कोरोना वायरस के कारण पूरे विश्व में हड़कंप मचा हुआ है। हर ओर सभी देश अपने नागरिकों को बचाने की जद्दोजहद में जुटे हैं। लेकिन पाकिस्तान से लगातार ऐसी खबरें आई हैं जिनसे मालूम पड़ा कि पाकिस्तान प्रशासन अल्पसंख्यकों को राशन देने से न केवल मना कर रहा है बल्कि राशन के लिए उनपर धर्मांतरण का दबाव भी बना रहा है। अब इन्हीं खबरों के आधार पर पाकिस्तान की आलोचना विश्व का हर देश करने लगा है। इसी कड़ी में दुनियाभर के धार्मिक मसलों पर राय देने वाले अमेरिकी आयोग ने भी पाकिस्तान से आ रही इन खबरों की निंदा की है और इस समय इमरान सरकार को ये धार्मिक भेदभाव छोड़ मानवता के लिए काम करने की सलाह दी है।
सोमवार को विभाग की ओर जारी बयान में कहा गया कि कोरोना वायरस का संकट फैलता जा रहा है, ऐसे में पाकिस्तान में जिन लोगों को भोजन की समस्या आ रही है, वह काफी निंदनीय है। सरकार का कर्तव्य हर किसी को भोजन देना है, ऐसे में उस वक्त किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए वे पाकिस्तानी सरकार से अपील करते हैं कि हर धर्म के लोगों को भोजन मुहैया करवाया जाए।
USCIRF is troubled by the reports of food aid being denied to Hindus and Christians amid the spread of #Covid_19 in #Pakistan.https://t.co/DGm3YzUqJg
— USCIRF (@USCIRF) April 13, 2020
USCIRF कमिश्नर अनुरीमा भार्गव ने इस संबंध में बयान देते हुए कहा, “ये हरकतें निंदनीय हैं। जैसा कि कोविड-19 का प्रसार जारी है। पाकिस्तान में लोग अपने परिवारों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए भूख से लड़ रहे हैं और किसी एक के (धार्मिक) विश्वास के कारण खाद्य सहायता से इनकार नहीं किया जाना चाहिए। हम पाकिस्तानी सरकार से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि खाद्य सहायता हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों के साथ समान रूप से वितरित की जाए।”
We urge the Pakistani government to ensure that food aid from distributing organizations is shared equally with Hindus, Christians, and other religions minorities: US Commission on International Religious Freedom Commissioner, Anurima Bhargava. https://t.co/ilM8cAy2nd
— ANI (@ANI) April 13, 2020
वहीं, USCIRF के कमिश्नर जॉनी मूर ने पाक से कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दिए गए एक संबोधन में उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला था कि विकासशील देश कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश करते हुए भी लोगों को भूख से मरने से बचाएँ। प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के पास नेतृत्व करने का अवसर है लेकिन उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। अन्यथा वे धार्मिक भेदभाव और अंतर-सांप्रदायिक संघर्ष द्वारा निर्मित एक और संकट खड़ा कर लेंगे।
USCIRF Commissioner @JohnnieM: “In a recent address by Prime Minister Khan to the international community, he highlighted that the challenge facing governments in the developing world is to save people from dying of hunger while also trying to halt the spread of #Covid_19.” (1/2) https://t.co/tDMiTqhpgf
— USCIRF (@USCIRF) April 13, 2020
USCIRF कमिश्नर जॉनी मूर के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने बीते दिनों एक साथ इस लड़ाई में हिस्सेदारी की बात कही थी। ऐसे में अब अवसर है कि वह अपने देशवासियों को एक राह दिखाएँ और लोगों से किसी तरह का भेदभाव ना करने की अपील करें।
गौरतलब है कि पिछले दिनों पाकिस्तान के कराची व सिंध प्रांत से कुछ ऐसी रिपोर्ट आई थी जिसमें एनजीओ व सरकारी अधिकारी हिंदू व ईसाई समुदाय के लोगों को भोजन देने से मना कर रहे थे और पूछे जाने पर जवाब दे रहे थे कि भोजन मुस्लिम लोगों के लिए हैं।
बता दें, ऐसे वाकयों को लेकर पिछले दिनों एक स्थानीय ईसाई महिला का बयान भी आया था। बयान में महिला ने बताया था कि प्रशासन ने उन्हें राशन नहीं दिया। जब इसके पीछे वजह पूछी गई तो कहा कि राशन तभी मिलेगा जब आप ‘ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुन रसूलुल्लाह’ पढ़ेंगे। इसके बाद जब उन लोगों ने इससे मना कर दिया तो उन्होंने राशन देने से इनकार करते हुए चले जाने को कह दिया।
इसके अलावा एक व्यक्ति की भी वीडियो पाकिस्तान से वायरल हुई थी। वायरल वीडियो में व्यक्ति कह रहा था, ”हम भी यहीं के बाशिंदे हैं। हम भी पाकिस्तानी हैं। तो हमारा भी ख्याल करना चाहिए। जैसे सब लोगों के साथ कॉपरेट करते हैं। हमारे साथ भी करना चाहिए। हमारे पास भी छोटे-छोटे बच्चे हैं। हम भी गरीब लोग हैं। यहाँ के रहने वाले। मगर फिर हमारे साथ कोई कॉपरेट क्यों नहीं करता। दूसरे लोगों को दिया जाता है। हमें नहीं दिया जाता। ये गलत है न!”