Friday, October 11, 2024
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जाधवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ने वर्जिन लड़कियों को बताया ‘सील्ड बोतल’

उन्होंने लड़कों को 'वर्जिनिटी का महत्त्व' समझाते हुए अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि क्या आप टूटी सील के साथ कोल्ड ड्रिंक की बोतल या बिस्किट के पैकेट खरीदना चाहेंगे?

जाधवपुर यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। दरअसल, यहाँ के एक प्रोफ़ेसर ने लड़कियों की वर्जिनिटी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनका विरोध हो रहा है। यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन्स के प्राध्यापक कनक सरकार ने लड़कियों की तुलना कोल्ड ड्रिंक की बोतल और बिस्किट के पैकेट से की है। उन्होंने लड़कों को ‘वर्जिनिटी का महत्त्व’ समझाते हुए अपने फ़ेसबुक पोस्ट में कहा कि क्या आप टूटी सील के साथ कोल्ड ड्रिंक की बोतल या बिस्किट के पैकेट खरीदना चाहेंगे? बाद में तीखी आलोचना का सामना करने के बाद उन्होंने ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का रोना शुरू कर दिया।

अपने आपत्तिजनक फ़ेसबुक पोस्ट में प्रोफ़ेसर कनक सरकार ने ‘वैल्यू बेस्ड काउन्सलिंग फ़ॉर एडुकेटेड यूथ’ के अंतर्गत लिखा:

“कई लड़के मूर्ख ही रह जाते हैं। वो पत्नी के रूप में वर्जिन लड़की को लेकर जागरूक नहीं होते। वर्जिन लड़कियाँ सील्ड बोतल या बंद पैकेट की तरह होती हैं। क्या आप कोल्ड ड्रिंक या बिस्किट के पैकेट को टूटे सील के साथ ख़रीदना चाहेंगे? आपकी पत्नी के मामले में भी यही होता है। एक लड़की जन्म से ही बायोलॉजिकली सील्ड होती है जब तक कि उसका सील खोला नहीं जाए। एक वर्जिन लड़की का अर्थ हुआ आप उसके साथ बहुत कुछ पा रहे हैं, जैसे महत्व, संस्कृति और सेक्सुअल हाइजीन। अधिकतर लड़कों के मामले में वर्जिन लड़की एक परी की तरह होती है।”

प्रोफेसर का आपत्तिजनक फ़ेसबुक पोस्ट जिसे उन्होंने डिलीट कर दिया (फोटो साभार: एनबीटी)

प्रोफ़ेसर के इस आपत्तिजनक बयान के बाद उन्हें काफ़ी विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों के विरोध को देखते हुए उन्होंने अपने फ़ेसबुक पोस्ट को डिलीट कर दिया। इसके बाद माफ़ी माँगने की बजाए वो अपने पोस्ट के बचाव में उतर आए। अपने पूर्व के पोस्ट का बचाव करते हुए उन्होंने अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई देते हुए एक दूसरा पोस्ट लिखा। दूसरे फ़ेसबुक पोस्ट में प्रोफ़ेसर कनक ने इसे अपनी व्यक्तिगत राय बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए को निरस्त कर दिया है और सोशल मीडिया में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है।

साथ ही उन्होंने बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का ज़िक्र करते हुए कहा कि जब उन्होंने एक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ लिखा तब उनका समर्थन किया गया। उन्होंने कहा कि हम हिन्दू देवी-देवताओं के बारे में लिखने वाले बंगाली कवि श्रीजातो का भी समर्थन कर रहे हैं। अपने आपत्तिजनक बयान का बचाव करते हुए प्रोफ़ेसर सरकार ने लिखा:


पूर्व के पोस्ट का बचाव करते हुए नई पोस्ट

“अपने विचारों को व्यक्त करना हर किसी का अधिकार है। मैंने किसी भी व्यक्ति,या किसी के खिलाफ बिना किसी सबूत या सबूत या किसी संदर्भ के कुछ भी नहीं लिखा है। मैं सोसाइटी के अच्छे और भलाई के लिए सामाजिक शोध और लेखन कर रहा हूं।”

बाद में उन्होने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि ये उनका व्यक्तिगत विचार है और जाधवपुर यूनिवर्सिटी का इस से कुछ भी लेना-देना नहीं है। बता दें कि प्रोफ़ेसर कनक सरकार कई वर्षों से जाधवपुर यूनिवर्सिटी में शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं। टीचर्स एसोसिएशन ने भी उनके इस पोस्ट से ख़ुद को अलग कर लिया है। राज्य की महिला आयोग ने भी उनके इस बयान के लिए उनकी निंदा की है

वैसे ये पहली बार नहीं है जब जाधवपुर यूनिवर्सिटी गलत कारणों से सुर्ख़ियों में आया हो। इस से पहले भी कई विवादित वजहों से जाधवपुर यूनिवर्सिटी ख़बरों में आता रहा है। पिछले वर्ष जनवरी में यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक फोटो में उनके चेहरे को विकृत कर दिया गया था। उसके बाद यूनिवर्सिटी के कुलपति ने इस घटना की निंदा की थी। सत्तर के दशक में यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर ही तत्कालीन कुलपति को मार डाला गया था। ऐसा इसीलिए, क्योंकि उन्होंने लेफ़्ट संगठन के छात्रों द्वारा परीक्षा बहिष्कार के ख़िलाफ़ स्टैंड लिया था।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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