पत्रकार अली सोहराब इससे पहले भी आपत्तिनजक ट्वीट करने के आरोप में यूपी पुलिस की कार्रवाई का सामना कर चुका है। अब उसने फिर से अफवाहें फैलाने और झूठे ट्वीट व पोस्ट करने का सिलसिला चालू कर दिया है। अली सोहराब ने माता वैष्णो देवी मंदिर में 400 लोगों के फँसे होने की झूठी ख़बर पोस्ट की है। इसके बाद उसने फेसबुक पर ही अगली पोस्ट में यह भी दावा किया कि उनमें से 145 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अली सोहराब ने लिखा कि बाकियों का टेस्ट जारी है और नए मामले भी सामने आ सकते हैं।
अली सोहराब ने ये सब तबलीगी जमात की हरकतों को ढकने के लिए किया। वो झूठी ख़बर फैला कर ये साबित करना चाहता था कि जैसे दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में हज़ारों जमाती इकट्ठे होकर पुलिस-प्रशासन की अवहेलना कर रहे थे, उसी तरह माता वैष्णो देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने ऐसी ही हरकत की है। जमातियों के कारण भारत में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक से तेज वृद्धि हुई है और इसीलिए सेक्युलर गिरोह के कई पत्रकार मजहब और कौम को जिम्मेदार न ठहराने की बात करते हुए घूम रहे हैं।
बता दें कि माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने पहले ही ऐसी किसी भी ख़बर को नकार दिया है, जिसमें मंदिर में श्रद्धालुओं के फँसे होने की बात कही गई है। कटरा में भी कोई श्रद्धालु नहीं फँसा हुआ है। यात्रा पहले ही रोकी जा चुकी है। कई लोग मीडिया पर आरोप लगा रहे थे कि जब किसी हिन्दू धार्मिक स्थल में श्रद्धालु होते हैं तो उन्हें ‘फँसा हुआ’ बताया जाता है जबकि मस्जिद के मामले में ‘छिपा हुआ’ कहा जाता है। इसके बाद फेक न्यूज़ का दौर शुरू हुआ, जिसे अली सोहराब जैसों ने हज़ारों तक फैलाया।
पिछली बार लगता है @Uppolice की सेवा में कमी रह गयी जो अभी भी अली सोहराब अफ़वाह उड़ाने में जुटा हुआ है। इस बार ‘रिपीट ओफेंडर’ मानते हुए इस पर गभीरतम धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया जाए। एक उदाहरण सेट करने की जरूरत है पूरे देश में और वो उत्तरप्रदेश से ही सम्भव। @dgpup @CMOfficeUP pic.twitter.com/YuK64ZESjY
— Vedank Singh (@VedankSingh) April 4, 2020
इससे पहले जब लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई थी, तब अली सोहराब ने दिवाली कह कर सोशल मीडिया पर जश्न मनाया था। तब अली सोहराब को दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस की संयुक्त ऑपरेशन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था। उस पर आईपीसी की धारा 295 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए दुर्भावना से ग्रसित होकर और जानबूझ कर किया गया कृत्य) और 66, 67 आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था।