अयोध्या भूमि विवाद भारत के सबसे पुराने विवाद के रूप में जाना जाता था। इस मामले पर शनिवार (9 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए ऐतिहासिक फ़ैसले से भारत के इतिहास में एक और पन्ना जुड़ गया। इस तरह सदियों से चल रहे इस विवाद पर अंतत: विराम लग गया। अब भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का रास्ता खुल गया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पाँच-सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक सर्वसम्मत फ़ैसले में घोषणा की कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, जो सात दशक पुराने टाइटल सूट के पक्षकार थे, उन्हें तीन महीने में अयोध्या में अन्य जगह पर मस्जिद के निर्माण के लिए पाँच एकड़ ज़मीन दी जानी चाहिए।
देश भर के समाचार पत्रों ने रविवार की सुबह इस ऐतिहासिक फ़ैसले को कैसे कवर किया, आइए इस पर एक नज़र डालते हैं…
नवभारत टाइम्स ने “मंदिर वहीं, मस्जिद नई” शीर्षक से फ्रंट पेज पर ख़बर प्रकाशित की। इस ख़बर में अयोध्या फ़ैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को संबोधित किए जाने का उल्लेख उनकी तस्वीर के साथ किया गया।
पंजाब केसरी ने अपने फ्रंट पेज पर भगवान श्री राम के धनुषधारी तस्वीर को प्रकाशित किया और “श्रीराम मंदिर वहीं बनेगा” शीर्षक से ख़बर प्रकाशित की।
हिन्दी दैनिक अख़बार जनसत्ता ने फ्रंट पेज पर सुप्रीम कोर्ट और शंख बजाते भक्तों के साथ “मंदिर वहीं” शीर्षक से ख़बर प्रकाशित की।
प्रमुख हिन्दी दैनिक अमर उजाला ने अपनी ख़बर “रामलला विराजमान” शीर्षक से प्रकाशित किया और फ़ैसले को राम राज की भोर के रूप में संदर्भित किया।
दैनिक जागरण ने सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद भगवान राम के एक बड़े चित्र और प्रस्तावित राम मंदिर के एक चित्र को अपने पहले पन्ने पर प्रकाशित किया।
दैनिक भास्कर ने “रामलला ही विराजमान” शीर्षक से सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रकाशित की। दिलचस्प बात यह है कि फ्रंट पेज पर पुरातत्वविद केके मुहम्मद की रिपोर्ट थी, जो पुरातत्वविदों की टीम का एक हिस्सा थे। उन्होंने 1976-77 में राम मंदिर साइट पर पहली खुदाई की थी, जिसमें पुष्टि की गई थी कि बाबरी मस्जिद के नीचे एक भव्य मंदिर के पर्याप्त पुरातात्विक प्रमाण हैं।
दैनिक हिन्दी अख़बार हिन्दुस्तान, जो हिंदुस्तान टाइम्स समूह का एक हिस्सा है, उसने फ्रंट पेज पर “राम मंदिर का रास्ता साफ” शीर्षक से ख़बर प्रकाशित की और साथ ही अयोध्या में भगवान राम का एक भव्य मंदिर भी प्रकाशित किया।
दैनिक हिन्दी अख़बार, प्रभात खबर ने अपने फ्रंट पेज पर सुप्रीम कोर्ट की एक तस्वीर लगाई और “अयोध्या राम की” शीर्षक के साथ ख़बर प्रकाशित की। इसका अर्थ है अयोध्या नगरी भगवान राम की है।
प्रभात खबर ने यह भी उल्लेख किया है कि कैसे मुस्लिम पक्षकारों को अयोध्या में 5 एकड़ ज़मीन केवल एक मस्जिद बनाने के लिए मिलेगी।
अंग्रेजी अखबारों की बात करें तो हिन्दुस्तान टाइम्स के फ्रंट पेज पर ‘श्री राम’ के नाम की ईंटों के साथ खड़े एक संत की तस्वीर है, जो अयोध्या की साइट पर मौजूद थे। दरअसल, इस तस्वीर में वो संत एक भव्य मंदिर के निर्माण का लंबे समय से इंतज़ार करते नज़र आ रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि जिस जगह पर वर्षों से विवाद चला आ रहा है, उसकी जगह अब एक मंदिर होगा, जबकि मस्जिद को 5 एकड़ का भूखंड मिलेगा।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने फ्रंट पेज पर “RAM MANDIR WITHIN SITE” हेडिंग से ख़बर प्रकाशित की।
मुंबई मिरर, जो टाइम्स ग्रुप का ही हिस्सा है, उसने भगवान को मिली जमीन और मुस्लिमों को नाजुक शांति नाम से ख़बर प्रकाशित की।
लेकिन एक अखबार है – द टेलिग्राफ। यह अपने फ्रंट पेज के अपने कुख्यात हेडलाइन के लिए जाना जाता है। जहाँ सभी मीडिया हाउस ने सर्वोच्च न्यायालय की सर्वोच्चता को बरकरार रखते हुए हेडलाइन बनाई, वहीं इसने बड़ी चालाकी से हिंदूस्थान को तोड़ कर हिंदू स्थान लिखा। सामान्य हिंदी भाषी शायद इसकी धूर्तता को समझने में थोड़ा समय लगाए, लेकिन HINDU STHAN को अगर आप ध्यान से देखें तो समझ जाएँगे कि इसका संपादक कितनी गिरी हुई मानसिकता का इंसान है। दरअसल Stan (अगर H को साइलेंट कर दें तो, जो कि टेलिग्राफ के संपादक की मंशा भी थी, तभी उसने इसे ब्रेक करके हेडलाइन बनाई) का अर्थ शैतान होता है। खैर… शायद इन्हें नहीं पता लेकिन ये हेडलाइन बनाते-बनाते खुद हेडलाइन बन जाएँगे, JNU से गायब होते वामपंथियों की तरह।