राणा अयूब द्वारा ज्ञानवापी पर किए गए एक ट्वीट पर ट्विटर ने कार्रवाई करते हुए उसे भारत में प्रतिबंधित कर दिया है। इस ट्वीट के खिलाफ सोशल मीडिया साइट को भारत सरकार ने एक्शन लेने को कहा था।
अपने ट्वीट में अयूब ने सरकार, न्यायव्यवस्था से लेकर देश के लोकतंत्र पर सिर्फ इसलिए सवाल उठाया था क्योंकि कोर्ट ने ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे की अनुमति दे दी थी। ये वही फैसला था जिसके बाद कट्टरपंथी जज को मारने की धमकी देने लगे हैं। उन्हें विदेशों से कॉल आ रही है।
अब अयूब ने अपने उसी ट्वीट पर लिए गए एक्शन की जानकारी पूरा मेल का सक्रीनशॉट लगाकर खुद दी। उन्होंने ट्विटर से पूछा कि आखिर ये क्या कर दिया। स्क्रीनशॉट में देख सकते हैं कि ट्विटर की ओर से राणा अयूब को यह मेल रात के 9:29 पर भेजा गया। कार्रवाई पर हैरानी दिखाते हुए उन्होंने कहा, “हेलो ट्विटर, आखिर ये सब है क्या?”
बता दें कि जो ट्वीट हटने से राणा अयूब इतना आहत हैं उसके स्क्रीनशॉट अब भी सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं। इस ट्वीट में देख सकते हैं कि उन्होंने बार एंड बेंच के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा था,
“एक और मस्जिद के ध्वस्तीकरण के लिए मंच तैयार करना, जिसमें अदालत की अनुमति, प्रशासन का साथ, लिबरलों की चु्प्पी और नागरिकों की मिलीभगत शामिल है। ये मुस्लिम अल्पसंख्यकों को अपमानित करने का एक और दिन रहै। लोकतंत्र है क्या?”
प्रोपेंगेडाबाज हुए आहत
मालूम हो कि देश की छवि पर सवाल उठाने वाले इस ट्वीट के हटने से सिर्फ अयूब आहत नहीं है बल्कि कई प्रोपेगेंडाबाज को इससे दुख हुआ है। भारत विरोधी प्रचार करने के लिए कुख्याच ऑद्रे ट्रुश्के ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ट्विटर भारत की सबसे बड़ी पत्रकारों में से एक का ट्वीट सेंसर करता दिख रहा है।
नेहा शास्त्री ने इस कार्रवाई को देख ट्विटर से पूछा कि क्या वो वाकई में भारत की उस सरकार के सामने घुटने टेकने लगे हैं, जो प्रेस की अभिव्यक्ति और किसी भी विरोध को दबाते हैं।
स्मृति मुंद्रा ने कहा, “गुजरात दंगों में भूमिका को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट का फैसले जीतने के बाद एक कार्यकर्ता (तीस्ता सीतलवाड़) मुंबई में गिरफ्तार की गई और अब एक मुस्लिम पत्रकार को सेंसर किया जा रहा है।”
एम्नेस्टी इंटरनेशनस के सेक्रेट्री जनरल एजेन्स कैलमार्ड ने ट्विटर की इस कार्रवाई को शर्मिंदा करने वाला बतायाा और पूछा कि आखिर राणा अयूब को चुप कराने की कोशिश की जा रही है।
कोविड राहत कार्य के नाम पर अयूब ने की मनी लॉन्ड्रिंग
उल्लेखनीय है कि इसी साल राणा अयूब के ऊपर ईडी ने कार्रवाई करते हुए उनके 1.77 करोड़ रुपए सीज किए थे। उनके खिलाफ PMLA के तहत कार्रवाई हुई थी। उस समय भी राणा अयूब ने भी गलती स्वीकारने की जगह कहा था कि उन्हें उनकी पत्रकारिता के कारण बदनाम किया गया और उन्होंने पैसों की हेरफेर नहीं की। हालाँकि उनके दावे तब पस्त पड़ गए जब ट्विटर यूजर हॉक आई ने उनके द्वारा किए गए फ्रॉड की पोल खोली थी। ईडी ने भी कहा था कि अयूब ने दान देने वालों को सुनियोजित ढंग से ठगा।
उन्होंने कोविड राहत कार्य के लिए फंड लिया और फिर 50 लाख रुपए की फिक्स डिपोजिट करवाई। इसके बाद अपने पिता और बहन के अकॉउंट में भी पैसे नेट बैंकिंग से ट्रांस्फर किए। 29 मार्च को उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस के चलते अधिकारियों ने लंदन जाने से रोका। 4 अप्रैल को कोर्ट की अनुमति के बाद वह सारी जानकारी साझा करने की शर्त पर विदेश जा पाईं।