Tuesday, November 19, 2024
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रवीश ने खोली अपने ही NDTV की पोल: सुशांत मामले में दूसरों को घेर रहे थे, खुद के चैनल पर 162 वीडियो

रवीश चर्चा कर रहे थे NEET, JEE, SSC, Railway पर... लेकिन भटक कर चले गए सुशांत पर। लगे दूसरे चैनलों को कोसने। सब चैनलों के वीडियो का डेटा दिखाने लगे। लेकिन 'पत्रकार रवीश' यह नहीं देख पाए कि उनके चैनल पर सुशांत सिंह से जुड़ी 162 वीडियो...

मीडिया जगत में रवीश कुमार का जलवा खत्म होते-होते अब एनडीटीवी की पत्रकारिता भी दम तोड़ने की कगार पर है। मीडिया चैनल्स में मची टीआरपी की होड़ से खुद को अलग बताने वाला यह चैनल दूसरों पर निशाना साधने के चक्कर में खुद की जगहँसाई करवाने लगा है।

ताजा मामला सुशांत केस में मीडिया कवरेज को लेकर है। जहाँ रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में मीडिया संस्थानों पर निशाना साधने के चक्कर में अपने चैनल की विश्वसनीयता पर ही बड़ा सवाल खड़ा कर देते हैं। वह कहते हैं कि कुछ बड़े चैनलों ने इतनी प्रमुखता से इस मुद्दे पर कवरेज की है कि अब उनके नामों में कोई अंतर नहीं रह गया।

आगे रवीश बताते हैं कि एक बड़े चैनल के यूट्यूब चैनल पर 20 से 29 अगस्त के बीच 550 के करीब वीडियो अपलोड हुई और इनमें से 400 के करीब वीडियो सुशांत मामले पर थी। इसके अलावा यदि केवल 3 दिन की बात कर रहें तो उसी यूट्यूब चैनल पर 250 वीडियो अपलोड की गई। इसमें से 210 केवल सुशांत सिंह मामले में थी। वह चैनल पर निशाना साधते हुए हर दिन अपलोड की जाने वाली वीडियो की औसत निकालते हैं और कहते हैं कि हर दिन उस चैनल पर 70 वीडियो क्लिप सुशांत मामले को लेकर अपलोड की जाती है।

फिर, एक अन्य चैनल को घेरते हुए रवीश कहते हैं कि इसी प्रकार दूसरे चैनल पर 20-29 अगस्त के बीच 190 वीडियो अपलोड हुई। इसमें से 160 वीडियो सुशांत सिंह राजपूत को लेकर है। 3 दिनों में इस चैनल ने 67 वीडियो अपलोड की। इनमें से 66 वीडियो सुशांत सिंह राजपूत की थी। यानी कोई दूसरी खबर तक नहीं थी। इसके बाद एक तीसरे चैनल पर भी सुशांत मामले में उन्हें 100 वीडियो दिखती है।

अब खास बात ये है कि सुशांत मामले में मीडिया कवरेज की बात रवीश कुमार अपने उस प्राइम टाइम में लेकर आए हैं, जिसमें वह NEET, JEE, SSC, Railway के परीक्षार्थियों के आंदोलन पर बात कर रहे थे। शायद ऐसा करते हुए उन्हें खुद ही नहीं पता था कि उनका चैनल पर इस दौरान सुशांत सिंह से जुड़ी कई वीडियोज अपलोड हो चुकी है।

‘पॉलिटिकल कीड़ा’ नाम के ट्विटर हैंडल से NDTV के पाखंड की पोल खोलती एक वीडियो सामने आई है। उनका दावा है कि जब रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में ये बातें कर रहे थे, उस बीच चैनल पर 162 वीडियो डाली गईं।

इसके अलावा यदि हम खुद भी एनडीटीवी का यूट्यूब चैनल एक्सेस करते हैं, तो मालूम चलेगा कि सुशांत मामले पर अभी तक एनडीटीवी बहुत सी वीडियो अपलोड कर चुका है। अब इसी हिपोक्रेसी को देख कर लोगों का कहना है कि रवीश जैसे पत्रकार अपने या अपने मालिक के गिरेबान में झाँकने की हिम्मत क्यों नहीं रखते।

रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में दावा करते हैं कि गोदी मीडिया के चैनल भी इस समय सुशांत मामले में इस तरह दिलचस्पी दिखा रहे हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री के मन की बात तक अच्छी नहीं लग रही। वह दर्शकों को बताते हैं कि लोग चाहे या न चाहें, मीडिया उन्हें सुशांत को ही दिखा रहा है। उनका रिमोट अब उनके हाथ में नहीं है। उनका रिमोट मीडिया के हाथ में है, अगर वह उनकी दिखाई कवरेज नहीं देखेंगे तो उनके घरों में बाउंसर भेजा जाएगा और उनके घर के सोफा सेट और क्रॉकरी तक तोड़ दी जाएगी।

इसके बाद रवीश कुमार बीच में राहुल गाँधी की वीडियो का प्रमोशन करते भी नजर आते हैं। वह कहते हैं कि पता लगाइए क्या नरेंद्र मोदी की वीडियो को डिस्लाइक करने वाले राहुल गाँधी की वीडियो को लाइक कर रहे हैं या फिर उनसे दूरी बना रहे हैं। रवीश कुमार छात्रों के आंदोलन की बातें करते-करते जीडीपी डिग्रोथ पर निशाना साधना नहीं चूँकते।

वह एक बार भी कोरोना महामारी के कारण उपजी स्थिति का जिक्र किए बिना गिरी हुई जीडीपी को मुख्य मुद्दा बनाते हैं। वह मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि ऐसा किसी के कार्यकाल में नहीं हुआ था। आगे अपने दर्शकों को 5 ट्रिलियन इकॉनमी का सपना न देखने की सलाह देते हुए रवीश कहते हैं कि अपने आगे के आर्थिक जीवन को सोचते-समझते हुए विचार करें।

यहाँ गौर करने वाली बात है कि एक ओर जहाँ टीआरपी की भागमभाग में हर चैनल सुशांत मामले पर कवरेज कर रहा है। वहीं एनडीटीवी ऐसा चैनल है, जो अपना औचित्य बनाए रखने के लिए अन्य खबरों के बीच में उसी प्रकार सुशांत का जिक्र कर देता है, जैसे कि इस वीडियो में किया।

दूसरे चैनल्स को गोदी मीडिया करार देने वाला एनडीटीवी प्रत्यक्ष रूप से राहुल गाँधी की पूरी वीडियो को अपने प्राइम टाइम के स्लॉट में जगह दे देता है और प्रत्यक्ष रूप से उसका प्रमोशन भी करता है और फिर साथ में ये भी कह देता है कि आप जो देखना चाहते हैं, वो दूसरे मीडिया चैनल आपको देखने नहीं दे रहे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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