जहाँ एक तरफ भारत ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और 6 एयरबेस तबाह कर दिए, वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मीडिया का एक धड़ा इस दौरान भारत विरोधी कवरेज में लगा रहा। ख़ासकर ‘द टेलीग्राफ’ के समाँ लतीफ़ ने एक ऐसी ख़बर चलाई जिसे मीडिया संस्थान को बाद में डिलीट करना पड़ा। युद्ध के माहौल में ऐसी ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग का परिचय देकर ‘द टेलीग्राफ’ ने पाकिस्तान का फ़र्ज़ी एजेंडा चलाया।
असल में ‘द टेलीग्राफ’ में समाँ लतीफ़ ने एक ख़बर लिखी, जिसका शीर्षक था – “और अधिक टकरावों के बाद भारत ने कराची की तरफ युद्धपोत भेजे”। इस ख़बर में बताया गया कि नई दिल्ली ने उस कराची बंदरगाह को निशाना बनाते हुए जहाजी बड़ा तैनात किया है, जहाँ से पाकिस्तान का 60% विदेशी कारोबार होता है। साथ ही ये भी लिखा गया दो परमाणु शक्तियों के बीच सीमा पर संघर्ष के बाद भारत द्वारा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस युद्धपोत भेजे गए हैं।
इस फ़र्ज़ी ख़बर के बाद सोशल मीडिया में भी अफवाहों का दौर शुरू हो गया। कई मीडिया संस्थानों ने कराची पोर्ट पर ब्लास्ट की ख़बरें चलाईं, सोशल मीडिया ने भी इसे हाथोंहाथ लिया। बता दें कि ये वही समाँ लतीफ़ है जिसे सितंबर 2022 में ‘सोसाइटी ऑफ एडिटर्स यूके’ ने ‘फ्रीलेंसर ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया था। लंदन में हुए अवॉर्ड समारोह में उसे आमंत्रित भी किया गया था। वो कश्मीरी पत्रकार है, UK के ‘इंडिपेंडेंट’ और जर्मनी के DW में भी लिख चुका है।

सिर्फ़ ये ख़बर ही नहीं, बल्कि ‘द टेलीग्राफ’ पर प्रकाशित अन्य ख़बरों में भी समाँ लतीफ़ ने पाकिस्तानी नैरेटिव को ही प्राथमिकता दी। जैसे, उसकी एक रिपोर्ट का शीर्षक है – “दोनों पक्षों द्वारा उल्लंघन के आरोपों के बीच पाकिस्तान सीजफायर को लेकर ‘प्रतिबद्ध’ है”। एक अन्य ख़बर में उसने सीजफायर का पूरा क्रेडिट अमेरिका को देते हुए लिखा, “जानिए कैसे अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान को युद्ध से वापस खींचा”। अन्तरराष्ट्रीय मंच पर इस तरह की रिपोर्टिंग से भारत की साख को धक्का पहुँचाने का प्रयास किया गया।