Sunday, November 17, 2024
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बोरिस जॉनसन की बड़ी फजीहत, चाय-दुकान पर उनकी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पारित: द वायर

सिएटल में मौजूद भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल के प्रवक्ता जावेद सिकंदर असम को भारत से काट देने जैसी बातें कहने वाले राजद्रोह का आरोपित शरजील इमाम के बयान का भी स्वागत करते हैं या नहीं, यह बात ना ही स्क्रॉल ने बताई है, ना दी वायर ने और ना ही दी न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने।

गत लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि राहुल गाँधी के भ्रष्टाचारों के खिलाफ पूरे सबूत होने के बावजूद भी मीडिया उन पर बात नहीं करता है, लेकिन मोदी के लिए दुनिया के किसी कोने में भी अगर कोई गाली दे दे तो मीडिया फ़ौरन जाकर उसका बयान बड़े हेडलाइंस में चला देता है। ऐसा ही एक करनामा करते हुए ‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस‘ देखा जा रहा है।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर है, जिसकी हेडलाइन है- “In embarrassment for Modi government, Seattle City Council passes resolution against CAA, NRC”
जिसका अर्थ है- “मोदी सरकार की बड़ी फजीहत, सिएटल सिटी काउंसिल ने CAA और NRC के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है”

इस खबर को पढ़ने पर पता चलता है कि यह खबर उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में बसे वाशिंगटन राज्य के किसी सीऐटल शहर की है, जो किसी तरह द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर्स के हाथ लगी। इसके बाद सब सिलसिलेवार तरीके से होता नजर आया जो तरीका मोदी सरकार के खिलाफ मीडिया गिरोह अक्सर आजमाते हुए नजर आता है।

दिलचस्प बात यह है कि ये सब वही वामपंथी मीडिया गिरोह की घातक टुकड़ियाँ हैं, जो कई बार अपने सरकार-हिन्दू और देशविरोधी प्रोपेगैंडा के कारोबार में संलिप्त पाए गए हैं।

मीडिया गिरोह की सबसे प्रमुख इकाई, यानी प्रोपेगैंडा वेबसाइट दी वायर, स्क्रॉल, दी क्विंट आदि ने भी इस खबर को प्रकाशित किया। हालाँकि, दी वायर ने इसे ‘मोदी सरकार की शर्मिंदगी’ बताने का उतावलापन नहीं दिखाया।
‘दी वायर’ की रिपोर्ट बताती है कि जावेद सिकंदर सिएटल में भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल के प्रवक्ता ने भी इस निर्णय का स्वागत किया है। अब अगर मोदी सरकार के विरोध में पारित किसी प्रस्ताव का स्वागत कोई जावेद, अब्दुल, लुकमान या गजनवी कर दे, तो भारत में मौजूद पत्रकारिता के समुदाय विशेष का स्खलित होना स्वाभाविक है ही।

मीडिया गिरोह की मानें तो अब अगर चीन की कोई नगर पालिका या ग्राम पंचायत भी भारत में फासिस्ट मोदी सरकार के दौरान चाउमीन में डाली जा रही शिमला मिर्च के खिलाफ प्रस्ताव जारी कर दे, तो मोदी सरकार की जड़ें हिलते देर नहीं लगेगी।

जैसा की भारतीय मीडिया में बैठे हुए कुछ कथित ‘सेक्युलर’ विचारकों ने नागरिकता कानून के खिलाफ शुरू से ही माहौल बनाया था, सिएटल में पारित इस प्रस्ताव में नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (CAA-NRC) को मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया है।

विरोधी राजनीतिक दलों के प्रवक्ता की तरह काम करने वाले NDTV में रवीश कुमार जैसे लोगों की पूरी बटालियन जब मुस्लिमों को उकसाने के लिए रोजाना अपने प्राइम टाइम और सोशल मीडिया एकाउंट्स से डिटेंशन कैम्प की तुलना जर्मनी के गैस चैंबर से करते हैं तो एक समय आता है जब असहिष्णुता जैसे शब्द स्थापित होने शुरू हो जाते हैं।

सिएटल में मोदी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने से मोदी सरकार की फजीहत होना इसी प्रकार है, जिस तरह से चाय की दुकान पर खड़े चार लोग चाय-बीड़ी-सिगरेट ख़त्म होने के इन्तजार में समय बिताने के लिए नेहरू के नाम के साथ गयासुद्दीन गाजी जैसी परिकल्पनाओं पर बहस करते हैं। या फिर भारतीय स्कूल-कॉलेज के बच्चे कैंटीन में बैठकर युगांडा की सरकार की ईंट से ईंट बजा देने का संकल्प कर लेते हैं।

भारतीय मीडिया गिरोह बखूबी जानता है कि इस प्रकार की हेडलाइंस से आज नहीं तो कल उनका सन्देश समाज के बीच चर्चा का मुद्दा बनेगा और वाशिंगटन या सिएटल को ठीक से बोल पाने में अक्षम लोग भी इस बात से प्रभावित होते नजर आएँगे कि कहीं कोई मोदी सरकार के विरोध में प्रस्ताव पारित कर रहा है।

हालाँकि, सिएटल में मौजूद भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल के प्रवक्ता जावेद सिकंदर असम को भारत से काट देने जैसी बातें कहने वाले राजद्रोह का आरोपित शरजील इमाम के बयान का भी स्वागत करते हैं या नहीं, यह बात ना ही स्क्रॉल ने बताई है, ना दी वायर ने और ना ही दी न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने। हो सकता है कि मीडिया गिरोह की इन घातक टुकड़ियों ने यह जानने में रूचि भी न दिखाई हो कि जावेद सिकंदर के विचार शाहीन बाग़ की भेंट चढ़े बच्चे के बारे में क्या हैं।

भारतीय मीडिया के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 के आम चुनावों से पहले ही अपनी राय स्पष्ट कर दी थी। एक इंटरव्यू के दौरान ऑपइंडिया की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि हर घोटाले में नामदार परिवार (कॉन्ग्रेस की ओर इशारा करते हुए) का नाम सबसे ऊपर है। ऑनलाइन मैगज़ीन पर उनके खिलाफ सभी सबूत मौजूद हैं, लेकिन कोई भी मीडिया वाला उन पर बात करने को राजी नहीं होता है।

दरअसल, ऑपइंडिया ने गाँधी परिवार के सदस्यों द्वारा किए गए संदिग्ध भूमि सौदों का ख़ुलासा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान की पोल खोलने के लिए दी न्यू इंडियन एक्सप्रेस और दी वायर की सिएटल में पारित हुए एक प्रस्ताव को मोदी सरकार की फजीहत बता देना इसी बात की पुष्टि करता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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