इस्लामी कट्टरपंथ से डरा हुआ मेन स्ट्रीम मीडिया! ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि हिंदुस्तान टाइम्स ने ऐसा एक बार फिर खुद को साबित किया। जब कोरोना से सम्बंधित तमिलनाडु की एक खबर में वही तस्वीर लगाकर हटा बैठा जिस पर अगस्त के महीने शरजील उस्मानी जैसे कई कट्टरपंथियों ने खुलेआम धमकी देते हुए इसे ‘इस्लामोफोबिया’ तक कह डाला था।
आपको याद होगा करीब दो महीने पहले कोरोना वायरस से ही सम्बंधित खबर में फीचर इमेज में एक मुस्लिम व्यक्ति की फोटो लगाए जाने के बाद NDTV को इस्लामी चरमपंथियों की धमकी मिलनी शुरू हुई थी और अंततः NDTV को अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा था। 6 अगस्त को घटी इस घटना के ठीक तीन दिन बाद 09 अगस्त 2021 Times Now के द्वारा भी पिछले 24 घंटों में भारत में मिलने वाले संक्रमण के मामलों से सम्बंधित खबर में फीचर इमेज के तौर पर एक मुस्लिम महिला की तस्वीर लगाई गई थी। तब लोग ट्विटर पर मजे लेने के लिए खुद ही उस्मानी को टैग कर धमकी या फतवा माँगने चले गए थे कि ‘शरजील भाई धमकी दो’: NDTV के बाद Times Now और HT की रिपोर्ट में भी लगाया गया मुस्लिम का फोटो!
खैर अभी का मामला थोड़ा NDTV प्रो मैक्स है! मतलब कुछ ज़्यादा ही आसान और पेचीदा भी। इस बार ऐसी कोई प्रत्यक्ष धमकी HT मीडिया को देता हुआ नहीं दिखा लेकिन तस्वीर वही थी जिस पर शरजील उस्मानी सहित तमाम कट्टरपंथियों ने तथाकथित ‘सेक्युलर और निष्पक्ष’ मीडिया NDTV को खुलेआम तस्वीर हटाने की धमकी देते हुए, उस पत्रकार कर्मचारी की डिटेल भी माँगी थी जिसने ये गुस्ताखी की थी। तो इस बार हिंदुस्तान टाइम्स ने बेहद फुर्ती दिखाते हुए खुद ही आनन-फानन में तस्वीर बदल कर एक सेक्युलर तस्वीर लगाकर राहत की साँस ली है।
अब यहाँ होने को तीन सम्भावनाएँ हो सकती हैं:
- हो सकता है किसी ने मेल या सीधा फोन कर मुस्लिम व्यक्ति की तस्वीर हटाने की धमकी दी हो।
- किसी ने डायरेक्ट मैसेज किया हो या कहीं उनके ट्वीट या कमेंट में धमकी जैसे कोई बात लिखी हो जिसे उन्होंने देखते ही डिलीट कर यह एक्शन लिया हो।
- तीसरी संभावना यह भी हो सकती है कि चूँकि पहले इसी तस्वीर पर NDTV को खुलेआम धमकी दी गई थी तो इस बार खुद ही तस्वीर हटाकर संस्थान की सेक्युलरिटी और उस पत्रकार कर्मचारी की जान की रक्षा की गई हो जिसको बस धमकी मिलने ही वाली थी।
गौरतलब है कि 6 अगस्त, 2021 को आई NDTV की खबर में बताया गया था कि भारत में पिछले 1 दिन के मुकाबले कोरोना के 4% ज्यादा मामले आए हैं और नए मामलों की संख्या 44,643 है। जिस प्रकार हर खबर के साथ तस्वीर होती है, जो प्रतीकात्मक भी हो सकती है। इस खबर के साथ भी एक व्यक्ति (मुस्लिम) की प्रतीकात्मक तस्वीर थी, जो कोरोना टेस्ट करा रहा था। इस्लामी चरमपंथियों ने इसे मुस्लिमों को बदनाम करने की साजिश करार दिया और पूछा कि आखिर कोरोना की खबर में मुस्लिम व्यक्ति की तस्वीर क्यों लगाई गई?
खुद को इस्लामी एक्टिविस्ट कहने वाले शरजील उस्मानी भी धमकी पर उतर आया था। उसने सीधा यही सवाल पूछा कि आखिर वो कौन सा एम्प्लॉय है, जिसने NDTV में इस तरह की तस्वीर के प्रयोग करने का निर्णय लिया? साथ ही उसने NDTV के कर्मचारियों से कहा कि वो मैसेज भेज कर गुप्त रूप से बता सकते हैं कि किसने ऐसा किया है। जिसके बाद NDTV ने झटपट ट्वीट डिलीट कर इस झंझट से मुक्ति पाई। और साबित किया कि वो भी इन मुस्लिम कट्टरपंथियों से डरा हुआ सेक्युलर मीडिया है।
So NDTV deleted the tweet after Islamists like Sharjeel Usmani attacked.
— Ankur (@iAnkurSingh) August 8, 2021
This is how much media fears Muslims, but no fear in using picture of a Pujari when crime done by Maulvi. pic.twitter.com/DkDOjH34He
यहाँ एक बात और गौर करने लायक है कि मुस्लिम समूहों या कट्टरपंथियों द्वारा इस तरह की खुलेआम धमकी और आक्रामक व्यवहार ही वह वजह हो सकती है जिससे शायद कई डरे हुए मीडिया संस्थान मौलानाओं द्वारा किए गए अपराधों में भी पुजारियों व साधु-संतों की प्रतीकात्मक तस्वीर डाल देते हैं, फकीरों को तांत्रिक बताते हैं। क्योंकि हिन्दू सहिष्णु हैं, अपना अपमान होते हुए देख कर भी हिन्दू सिर्फ हल्का-फुल्का प्रतीकात्मक विरोध भर ही करते हैं या वामपंथी समूहों के दबाव में कई बार वह भी नहीं करते। ऐसे में सहिष्णु हिन्दुओं के विरोध पर ‘कड़ा जवाब’ देकर लिबरल गिरोह के पत्रकार खुद को ‘शेर’ समझते की खुशफहमी पालते हैं। लेकिन, इस्लामी चरमपंथियों के आगे इनके पास ‘भीगी बिल्ली’ बनने के अलावा कोई चारा नहीं रहता।