‘द हिन्दू’ में 27 सितंबर 2019 के अंक में एक रिपोर्ट छपी है, जिसमें बताया गया है कि साल 1990 से 2005 के बीच जम्मू कश्मीर में 46 स्कूलों पर भारतीय सेना ने कब्जा कर लिया है और 400 स्कूलों को जला दिया गया। यहाँ पर द हिन्दू ने ये तो बताया कि 46 स्कूलों को भारतीय सेना ने अपने कब्जे (संरक्षण) में ले लिया, मगर ये नहीं बताया कि 400 स्कूलों को किसने जलाया? इसके जिम्मेदार कौन हैं? इस वामपंथी मीडिया हाउस ने बड़ी ही धूर्तता से 46 स्कूलों के कब्जे और 400 स्कूलों के जलने की बात को एक ही साथ इस तरह लिखा कि लोगों को लगे कि भारतीय सेना ने 46 स्कूलों को अपने संरक्षण में लेने के साथ ही 400 स्कूल भी जला दिए।
स्कूलों को जलाने वालों के बारे में बोलते हुए उनके शब्द कम पड़ जाते हैं या फिर कलम की स्याही सूख जाती है, ये तो वही बेहतर बता सकते हैं, मगर जिस तरह की धूर्तता से इसे छुपाया गया इससे साफ जाहिर हो रहा है कि वो उन प्रदर्शनकारियों या आतंकवादियों के खिलाफ बात नहीं कर सकते। भारतीय सेना के बारे में बड़े ही स्पष्ट और सीधे शब्दों में लिखा गया है, मगर प्रदर्शनकारियों के बारे में लिखते हुए शब्दविहीन हो गए या फिर यूँ कहें कि ये भी प्रोपेगेंडा फैलाने वाले गिरोह का हिस्सा बनकर अराजत तत्वों का तुष्टिकरण करना चाहते हैं।
अब बात करती हूँ प्रदेश में भारतीय सेना द्वारा संचालित किए जाने वाले 46 स्कूलों की स्थिति के बारे में। उस समय प्रदर्शनकारियों द्वारा 400 स्कूलों को जला दिए जाने से बच्चों और अभिभावकों के अंदर दहशत इस कदर हावी हो गई थी कि ना तो बच्चे स्कूल जाने को राजी थे और न ही अभिभावक उन्हें स्कूल भेजने के पक्ष में थे। उन्हें अपने बच्चों की जान की चिंता लगी रहती थी। मगर इस बीच भारतीय सेना ने घर-घर जाकर बच्चों और अभिभावकों को शिक्षा के प्रति प्रेरित किया और सुरक्षा का विश्वास दिलाया। सेना की ये कोशिश कामयाब हुई और आज हालात ये है कि इनके द्वारा संचालित किए जा रहे इन स्कूलों में 15000 के करीब छात्र हैं और तकरीबन 1000 टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ हैं। ये इन बच्चोंं के बेहतर और सुरक्षित भविष्य के लिए निरंतर मार्गदर्शन कर रहे हैं।
Jammu and Kashmir: Army Goodwill Schools outshine with 100% pass result in CBSE Class 10 exams https://t.co/JLijmpEOK5
— TOI Cities (@TOICitiesNews) May 7, 2019
इनके सही मार्गदर्शन का ही नतीजा है कि सीबीएसई 2019 की 10वीं परीक्षा में 100 प्रतिशत बच्चों ने सफलता हासिल की। रजौरी के छात्र हिताम अयूब ने 94.2% अंकों के साथ सफलता प्राप्त की। इन स्कूलों ने लगातार आधुनिक शिक्षण सहायक उपकरण जैसे डिजिटल क्लासरूम, आधुनिक प्रयोगशाला, अच्छी तरह से स्टॉक की गई लाइब्रेरी और खेल संबंधी बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के विकास में सकारात्मक योगदान देने का लगातार प्रयास किया है।
सेना के संरक्षण और मार्गदर्शन में राज्य की शिक्षा औऱ सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होती जा रही है, लेकिन छद्म लिबरल मीडिया गिरोह इस सकारात्मक पहलू की रिपोर्टिंग करना पसंद नहीं करते। वो तो बस प्रोपेगेंडा को हवा देने के मौके ढूँढ़ते रहते हैं। कभी पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग का चश्मा उतार कर देखें, तो शायद इन्हें भी सच नज़र आ जाए।