Friday, October 11, 2024
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हिजाब से रोक हटाओ, गोहत्या की हो इजाजत… कर्नाटक में कॉन्ग्रेस सरकार बनते ही एमनेस्टी इंडिया एक्टिव, हिंदू विरोधी फैसलों की डिमांड

एमनेस्टी इंटरनेशनल का हिंदू विरोधी और भारत विरोधी गतिविधियों का इतिहास रहा है। साल 2019 में ऑपइंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया, ब्रिटिश सरकार और कट्टरपंथी इस्लामवादियों के बीच संबंधों का पर्दाफाश किया गया था। यह संगठन लगातार भारत को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला और मुस्लिम विरोधी बताने की कोशिश करता रहा है।

भारत सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने वाला संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ एक बार फिर चर्चा में है। एमनेस्टी इंडिया ने मंगलवार (23 मई 2023) को कर्नाटक में नव-निर्वाचित कॉन्ग्रेस सरकार के लिए हिंदू विरोधी माँगों की एक सूची जारी की। इसमें हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने, गोहत्या की अनुमति देने और मुस्लिम दुकानों का बहिष्कार करने वाले हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है।

एमनेस्टी इंडिया ने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कर्नाटक में कॉन्ग्रेस सरकार से मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए तीन प्रमुख कार्रवाई का आह्वान किया। एमनेस्टी इंडिया ने अपनी पहली माँग में शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को हटाने को कहा। उसने कहा, “यह प्रतिबंध मुस्लिम लड़कियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धर्म की स्वतंत्रता और शिक्षा के अधिकार के बीच चयन करने के लिए मजबूर करता है। इससे समाज में सार्थक रूप से भाग लेने की उनकी क्षमता बाधित होती है।”

दरअसल, प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान फिर चाहे वह सरकारी हो या निजी, सबका एक निश्चित ड्रेस कोड होता है। खासतौर पर स्कूलों में। कर्नाटक में दिसंबर 2021 में मुस्लिम लड़कियों के एक समूह ने क्लास में हिजाब पहनकर आना शुरू किया। रोके जाने पर उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके बाद सरकार ने राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।

सरकार के इस कदम का मुस्लिमों ने विरोध किया और अदालत का दरवाजा तक खटखटाया। हालाँकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना था कि हिजाब इस्लाम धर्म के अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। इसलिए कोर्ट ने कक्षाओं में सरकार द्वारा लगाए हिजाब पर प्रतिबंध के फैसले को बरकरार रखा।

हाईकोर्ट के इस फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में इस तरह की माँग करके एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत के न्यायिक मामलों में दखल देने की कोशिश कर रहा है। इसे शीर्ष अदालत में परिणाम को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।

एमनेस्टी इंडिया ने अपनी दूसरी माँग में पशु क्रूरता (रोकथाम) अधिनियम, 2020 और कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक, 2022 के प्रावधानों की समीक्षा करने और उन्हें निरस्त करने के लिए कहा। दूसरे शब्दों में, एमनेस्टी इंडिया ने कर्नाटक में गोहत्या की अनुमति और हिंदू विरोधी ताकतों को राज्य में धर्मांतरण रैकेट (लव जिहाद) चलाने की माँग की है।

एमनेस्टी इंडिया ने अपने ट्वीट में आगे कहा कि गोवध और धर्मांतरण पर बने कानून का दुरुपयोग हो सकता है और इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, एमनेस्टी इंडिया ने मुस्लिम विक्रेताओं का बहिष्कार करने वाले हिंदुओं के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया।

उसने अपने ट्वीट में कहा, “राज्य में चुनावों से पहले मुस्लिम के आर्थिक बहिष्कार और उनके खिलाफ हिंसा का आह्वान किया गया था। धर्म-जाति आधारित भेदभाव से प्रेरित घृणा और घृणित अपराधों को समाप्त करने के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करें।” दिलचस्प बात यह है कि ऐसी कई रिपोर्ट आई हैं, जिनमें मुस्लिमों ने हिंदू व्यवसायों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है, लेकिन एमनेस्टी ने इसे कभी भी घृणित नहीं कहा।

एमनेस्टी इंडिया स्पष्ट रूप से भारत में कट्टरपंथी इस्लामवादियों के घृणित अपराधों की आलोचना करने में विफल रहा है। उदाहरण के लिए, राजस्थान के उदयपुर में हिंदू दर्जी कन्हैया लाल की हत्या की निंदा की, लेकिन इस संगठन ने एक बार भी यह उल्लेख नहीं किया कि उनकी हत्या दो कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने की थी। यहाँ तक कि उसने गिरफ्तार किए गए आरोपितों- रियाज और गौस मोहम्मद का नाम तक नहीं लिया।

एमनेस्टी के इस ट्वीट पर कॉन्ग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कर्नाटक कॉन्ग्रेस के एमएलसी प्रकाश राठौड़ से इन माँगों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “सरकार ने कुछ दिन पहले ही अपना कामकाज शुरू किया है। मुझे पूरा यकीन है कि बहुत जल्द एक उचित निर्णय लिया जाएगा।”

एमनेस्टी इंडिया

एमनेस्टी इंटरनेशनल का हिंदू विरोधी और भारत विरोधी गतिविधियों का इतिहास रहा है। साल 2019 में ऑपइंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया, ब्रिटिश सरकार और कट्टरपंथी इस्लामवादियों के बीच संबंधों का पर्दाफाश किया गया था। यह संगठन लगातार भारत को मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला और मुस्लिम विरोधी बताने की कोशिश करता रहा है।

यही नहीं, एमनेस्टी इंडिया ने अगस्त 2020 में दिल्ली दंगों की रिपोर्ट के नाम पर जमकर प्रोपेगेंडा फैलाया था और दिल्ली पुलिस के क्रिया-कलापों को गलत तरीके से पेश किया था। ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ ने सितंबर 2020 में भारत में अपने सभी क्रियाकलापों को रोक दिया था।

उस दौरान संस्था ने कहा था कि अब वो भारत में ‘मानवाधिकार की रक्षा’ के सारे क्रिया-कलापों को रोक रही है। ‘एमनेस्टी’ ने इसके पीछे भारत सरकार की ‘बदले की कार्रवाई’ को जिम्मेदार ठहराया था। उसने कहा था कि भारत सरकार ने उसके सभी बैंक खातों को पूरी तरह सीज कर दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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