पिछले साल जून महीने में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में मुँहतोड़ जवाब देने वाले 16 बिहार बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर, कर्नल संतोष बाबू समेत भारतीय सेना के 5 जवानों को गणतंत्र दिवस के मौके पर गैलेंट्री मेडल से सम्मानित किया जाएगा।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ रक्षा मंत्रालय और भारतीय सेना ने इस बारे में किसी भी तरह का खुलासा नहीं किया है कि मेडल्स की संख्या कितनी होगी। प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ कम से कम सेना के उन दो अधिकारियों और तीन जवानों को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने चीनी सेना का सामना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
जब भारत और चीन के बीच तय समझौते के मुताबिक़ चीन के सैनिकों ने पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के नज़दीक स्थित क्षेत्र से हटने के लिए साफ़ मना कर दिया, तब वहाँ पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति पैदा हुई। भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सैनिकों की तमाम साज़िशों को नाकाम करने के लिए हर ज़रूरी कदम उठाया।
चीनी सैनिक इस टकराव के लिए पूरी तैयारी के साथ आए थे। उनके पास लाठी-डंडे, रॉड, ड्रैगन पंच और कटीले तारों वाले कई हथियार मौजूद थे। गौरतलब है कि जून में LAC पर हुई हिंसा 1975 के बाद पहली ऐसी हिंसा थी, जिसमें सैनिकों ने जान गँवाई।
लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई और संघर्ष में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे जबकि चीन के 43 से अधिक जवानों के हताहत होने की सूचना सामने आई थी।
भारत-चीन विवाद के बीच उस दौरान (जुलाई 3, 2020) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लेह दौरे पर गए थे। उन्होंने वहाँ तैनात सैनिकों से मुलाकात की थी और सेना की तैयारियों का जायजा भी लिया था। इसके अलावा उन्होंने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों को खदेड़ने वाले बहादुर सैनिकों से भी मुलाकात की थी। उन्होंने सेना के शौर्य की गाथा का बखान करते हुए हर सैनिक की हौसला अफजाही की। उन्होंने कहा था कि पूरे भारत को हमारे सैन्य बल पर गर्व है।
भारतीय सेना के जवानों ने गलवान घाटी में हुए टकराव के बीच असीम साहस और पराक्रम का परिचय दिया था। चीनी की सेना ने इस बात की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की थी कि उनके कितने जवानों की जान गई थी। लेकिन भारतीय सेना और खुफ़िया एजेंसियों द्वारा किए गए दावों के मुताबिक़ चीनी कमांडिंग ऑफिसर समेत लगभग 60 से अधिक चीनी सैनिकों की जान गई थी।