Saturday, April 27, 2024
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गलवान में 60 से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए थे, निर्भीक हुई है भारतीय सेना: अमेरिकी समाचार पत्र का दावा

"खेल बदल गया है और भारत इन आक्रमणकारियों को अब बढ़त लेने का अवसर नहीं दे रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के सैनिक 'नएपन' का निर्भीक प्रदर्शन कर रहे हैं। वो अब निर्भीक और बेहतर हैं।"

अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूज़वीक’ ने खुलासा किया है कि 15 जून को सीमा पर हुई भारत और चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प में चीन के 60 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। साथ ही, यह बात भी सामने आई है कि भारतीय क्षेत्र में इन आक्रामक गतिविधियों के पीछे खुद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आदेश थे, लेकिन उनकी सेना को मात कहानी पड़ी।

’60 से अधिक चीनी सैनिक मारे गए थे’

इस लेख के अनुसार, “विवादित इलाकों में घुसपैठ करना बीजिंग की पुरानी आदत है। वहीं, 1962 की हार से भारतीय नेता और जवान मानसिक रूप से लकवाग्रस्त हो चुके हैं और इसलिए वे सीमा पर सुरक्षात्मक रहते हैं। हालाँकि, गलवान घाटी में ऐसा नहीं हुआ। इस झड़प में चीन के 43 जवानों की मौत हुई। वहीं, पास्कल ने बताया कि यह आँकड़ा 60 से अधिक हो सकता है। भारतीय जवान बहादुरी से लड़े। दूसरी तरफ, चीन ने खुद को हुए नुकसान को नहीं बताया है।”

जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद सीमावाद बढ़ा

‘न्यूजवीक’ के अनुसार, “चीन अपनी विफलता से और अधिक परेशान हो गया है, जिसका विपरीत प्रभाव हो सकता है। हार से परेशान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के खिलाफ बड़ा कदम उठाने के लिए तैयार हैं। इससे निकट भविष्य में सीमा पर और अधिक तनाव पैदा हो सकता है।”

न्यूज़वीक की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नवंबर, 2012 में जब से शी जिनपिंग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने हैं तभी से भारत से लगी सीमा पर चीनी सैनिकों की आक्रामकता बढ़ गई है। जिनपिंग CPC केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष और पार्टी के महासचिव भी हैं। अमेरिकी समाचार पत्र के अनुसार, भारत और चीन के बीच सीमा का सीमांकन नहीं किया गया है, इसलिए चीनी सैनिक घुसपैठ करने के लिए इसका फायदा उठाते हैं।

अमेरिकी अखबार की इस रिपोर्ट में दोनों पक्षों (भारत-चीन) पर एक-दूसरे पर दशकों पुराने नियम के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के सैनिक निर्भिकता के नए मानकों का प्रदर्शन कर रहे हैं।

रूस ने चीनी गतिविधियों को लेकर भारत को किया था आगाह

‘न्यूज़वीक’ ने लिखा है कि रूस ने मई माह में ही चीन की हरकतों के बारे में भारत को आगाह किया था और चीन तिब्बत के इलाके में पहले से ही युद्धाभ्यास कर रहा था। इसमें कहा गया है कि ‘फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसी’ के क्लियो पास्कल के हवाले से, रूस ने भारत को मई में चीन की हरकतों के बारे में चेतावनी दी थी। इस अखबार ने आबादी के हिसाब से दुनिया के दो सबसे बड़े देशों में 45 साल में हुई यह पहली झड़प बताई है।

वर्तमान हालात यह हैं कि भारत के जवाबी हमलों से चीन के हौंसले पस्त हैं और अब पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 तक के इलाकों में चीनी सैनिक मौजूद हैं। लेकिन 29-30 अगस्त के बाद कई ऊँची चोटियों पर भारतीय सेना के नियंत्रण के बाद चीन की चिंता बढ़ चुकी हैं।

न्यूज़वीक के मुताबिक, ‘फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसी’ के क्लियो पास्कल का मानना है कि खेल बदल गया है और भारत इन आक्रमणकारियों को अब बढ़त लेने का अवसर नहीं दे रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि भारत के सैनिक ‘नएपन’ का निर्भीक प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय अधिक आक्रामक या अधिक आक्रामक रूप से रक्षात्मक हो गए हैं, लेकिन वे वास्तव में निर्भीक और बेहतर हैं।

उल्लेखनीय है कि 15 जून की इस झड़प में चीन ने अपने सैनिकों की वास्तविक जानकारी देने से मना कर दिया था, जबकि यह बात सामने आई थी कि 45 से अधिक चीन सैनिक हताहत हुए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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