लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन से तनातनी के बीच भारतीय सेना ने अपनी तैयारियों को और मजबूत करना शुरू कर दिया है। इसी के तहत भारतीय सेना ने 72 हजार अमेरिकन असॉल्ट राइफल खरीदने का फैसला लिया है। इसके लिए सेना की तरफ से ऑर्डर भी दे दिया गया है। ये सभी अत्याधुनिक हथियार अमेरिका से खरीदे जाएँगे।
भारतीय सेना के एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि सीमा विवाद के बाद भारत सरकार ने जरूरी सामानों की खरीद की छूट सेना को दी थी। इसी के तहत सेना अमेरिका से 72 हजार असॉल्ट राइफलें खरीदने जा रही है।
बता दें कि पहले बैच के ऑर्डर के पूरा हो जाने के बाद सेना की तरफ से इस बंदूक के दूसरे बैच के लिए ऑर्डर दिया गया है। इससे पहले सेना को 72 हजार अमेरिकी असॉल्ट रायफलें मिल चुकी हैं, जिसका इस्तेमाल उत्तरी कमांड और ऑपरेशनल एरिया में किया जा रहा है। भारत ने फास्ट ट्रैक खरीद के तहत राइफलों का प्राप्त किया था। नई राइफलों को मौजूदा भारतीय स्माल आर्म्स सिस्टम (FTP) 5.56 गुणा 45 एमएम राइफलों की जगह इस्तेमाल किया जाएगा और स्थानीय रूप से आयुध कारखाना बोर्ड की ओर से निर्मित किया जाएगा।
इस रायफल की सबसे खास बात ये है कि इसकी रेंज 500 मीटर (आधा किलोमीटर) तक है। इसमें 7.62mm का बोर है। साथ ही इसकी गोली दूसरे बंदूकों के मुकाबले बड़ी होती है जो ज्यादा घातक है। इस बंदूक से लगाया गया निशाना बेहद सटीक होता है और एक गोली में ही दुश्मन को ढेर करने की क्षमता है। यही वजह है कि इसे शूट टू किल राइफल भी कहा जाता है।
भारतीय सेना कई वर्षो से अपने मानक INSAS असॉल्ट राइफलों को बदलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन यह प्रयास बार-बार विफल हो रहे थे। दूसरी ओर अभी हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने इन राइफलों की कमी को दूर करने के लिए इजरायल से भी 16,000 लाइट मशीनगन का ऑर्डर दिया था।
जानकारी के मुताबिक भारत अमेरिका से 1.5 लाख राइफल खरीदेगा, जिसका इस्तेमाल कश्मीर और एलओसी पर तैनात जवान करेंगे। वहीं बाकी जवानों को AK-203 राइफल मुहैया करवाई जाएगी, जो अमेठी आयुध कारखाने में भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से उत्पादन किया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले दिनों अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग ने इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) को अटैक हेलीकॉप्टर अपाचे और हैवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर चिनूक की डिलीवरी की थी। बोइंग ने शुक्रवार (11 जुलाई, 2020) को जानकारी देते हुए कहा था, “22 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से आखिरी पाँच को पिछले महीने हिंडन एयर बेस पर भारतीय वायुसेना (IAF) को सौंप दिए गए।” यह भी बताया कि भारतीय वायुसेना को 15 सीएच -47F (I) चिनूक हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टर पहले ही मार्च में सौंपा जा चुका है।
इसके अलावा फ्रांस से 6 राफेल लड़ाकू विमानों के 27 जुलाई को भारत पहुँचने की संभावना है। ये विमान पहले मई में भारत पहुँचने वाले थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। वहींं खबर है कि रक्षा मंत्रालय Spice-2000 बम खरीद कर वायु सेना को और मजबूत करने की रणनीति बना रहा है। Spice-2000 बम से 70 किमी दूर तक टारगेट को नष्ट कर सकता है। साथ ही बंकर को भी ध्वस्त करने की क्षमता रखता है।
चीन के साथ सीमा पर तनाव बढ़ने के मद्देनजर नरेंद्र मोदी सरकार ने हथियार और गोला बारूद खरीदने के लिए सेना के तीनों अंगों को 500 करोड़ रुपए तक का कोई भी हथियार खरीदने की छूट दी है। इसके साथ ही भारत सरकार ने सीमा पर तैनात भारतीय सेना को मौका आने पर अपने हिसाब से कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है। सेना को सरकार की ओर से यह साफ कर दिया गया कि वह कोई भी एक्शन ले सकती है।
इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने रूस से 33 फाइटर जेट खरीदने का ऐलान किया। इसमें 12 सुखोई-30 विमान और 21 मिग-29 भी शामिल हैं। इसके साथ ही पहले से मौजूद 59 मिग-29 को अपग्रेड भी करवाया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट की कुल लागत 18,148 करोड़ रुपए बताई गई है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए 248 एस्ट्रा बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइलों को खरीदने को भी मँजूरी दी है।