भारत अपनी अंतरिक्ष और रक्षा क्षमताओं को नई ऊँचाइयों पर ले जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रविवार (18 मई 2025) सुबह 5:59 बजे अपनी 101वीं मिशन के तहत ईओएस-09 उपग्रह लॉन्च करने जा रहा है। यह उपग्रह पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी-सी61) के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित होगा। जो भारत की निगरानी क्षमता को और भी मजबूत करेगा।
ISRO's 101st launch
— ISRO (@isro) May 17, 2025
🚀 PSLV-C61 at a glance
🛰️ 63rd PSLV flight
📏 Height: 44.5 m | Mass: 321 t
⚙️ 4 stages | 6 XL boosters
📺 Live from 5:29 AMhttps://t.co/JTNzdc1own
More information: https://t.co/cIrVUJxKJx#ISRO #ISRO101 #PSLVC61 pic.twitter.com/YbMHf3QvvG
इसरो ने ऑपरेशन सिंदूर में निभाया अहम रोल
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश की सुरक्षा में इसरो की भूमिका अभूतपूर्व रही। इसरो के सैटेलाइट खासतौर पर RISAT और कार्टोसेट का बड़ा रोल रहा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन सैटेलाइट ने भारतीय सेना को दुश्मन की लोकेशन, मूवमेंट और ठिकानों की सटीक जानकारी दी। इसी वजह से भारतीय वायुसेना ने 23 मिनट में टारगेट को सफलतापूर्वक तबाह कर दिया, वो भी बिना लाइन ऑफ कंट्रोल पार किए।
इसरो की तकनीक की वजह से भारत को आतंकियों और दुश्मन की तकनीकी चाल, डिफेंस एस्टेब्लिशमेंट, रडार, एयर डिफेंस सिस्टम और हथियारों की लोकेशन और स्ट्रैटेजिक तैयारी की पहले से जानकारी मिल गई। इन सेटेलाइट्स की हाई रेजोल्यूशन इमेजिंग और अंधेरे में भी काम करने की क्षमता ने पूरे ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाया।
इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में 10 उपग्रहों ने भारतीय सेना की मदद की, जिससे पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम किया गया।
इसरो प्रमुख ने इम्फाल में सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा, “हमारे कम से कम 10 उपग्रह लगातार देश की सुरक्षा के लिए काम कर रहे थे। हमारे 7,000 किलोमीटर के समुद्री तट और उत्तरी सीमाओं की निगरानी के लिए उपग्रह और ड्रोन तकनीक जरूरी है।” उन्होंने बताया कि इसरो के बनाए भारतीय उपग्रहों ने पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों की सटीक जानकारी दी, जिससे अकाशतीर और अन्य स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों ने इन्हें नष्ट कर दिया।
इसरो के उपग्रहों की कैमरा रिजॉल्यूशन 26 सेंटीमीटर तक है, जो दुनिया में सबसे बेहतरीन है। नारायणन ने कहा, “हमारे सभी उपग्रह सटीकता के साथ काम करते हैं और देश की सुरक्षा व विकास के लिए हैं।”
नारायणन ने गुरुवार (15 मई 2025) को चेन्नई में पत्रकारों से कहा, “हमने जनवरी में श्रीहरिकोटा से 100वाँ रॉकेट लॉन्च किया था। अब 101वां उपग्रह ईओएस-09 लॉन्च होने जा रहा है।” उन्होंने बताया कि इसरो के सभी मिशन देश की जरूरतों के हिसाब से बनाए जाते हैं। “हम किसी देश से प्रतिस्पर्धा नहीं करते। हमारे मिशन देश की सुरक्षा और विकास के लिए हैं।”
बता दें कि इसरो अब अपने 101वें मिशन में जुटा है। इस मिशन में इसरो ईओएस-09 उपग्रह, जिसे रिसैट-1बी को लॉन्च करेगा। जो भारत की पृथ्वी अवलोकन क्षमता को और मजबूत करेगा। इसका वजन 1,696.24 किलोग्राम है और यह सी-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) से लैस है। यह रडार दिन-रात और हर मौसम में उच्च-रिजॉल्यूशन तस्वीरें ले सकता है। यह उपग्रह कृषि, वन, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में मदद करेगा। इसकी मिशन अवधि 5 साल है और इसमें मिशन खत्म होने के बाद सुरक्षित डी-ऑर्बिटिंग के लिए ईंधन भी है। यह उपग्रह सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में स्थापित होगा।
गौरतलब है कि इसरो ने 1979 में अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी। 1980 में पहला सफल लॉन्च हुआ था। आज इसरो के 50 से ज्यादा उपग्रह टीवी प्रसारण, दूरसंचार और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर में इसरो की तकनीक ने भारत को पाकिस्तान पर निर्णायक बढ़त दिलाई। ईओएस-09 की लॉन्चिंग के साथ भारत और इसरो अब अपनी अंतरिक्ष तकनीक को और मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।