Thursday, April 25, 2024
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‘मणिपुर हमले के पीछे चाइना, PLA और MNPF उग्रवादियों के चीनी नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध’: शीर्ष अधिकारियों का खुलासा

''चीन ने लंबे समय से पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों को हथियारों, गुरिल्ला रणनीति और वैचारिक प्रशिक्षण दिया है। इन संगठनों के कई नेताओं ने चीन की यात्रा भी की है। उनके चीन के सैन्य और राजनीतिक दलों से भी घनिष्ठ संबंध हैं।"

म्यांमार की सीमा से सटे मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 13 नवंबर को असम राइफल्स के एक काफिले पर उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था। इस हमले में एक कमांडिंग ऑफिसर, उनकी पत्नी, उनका 6 साल का बेटा और 46 असम राइफल्स के 4 अन्य जवानों की मौत हो गई थी। स्वराज्य की रिपोर्ट के अनुसार, सेना के कई शीर्ष अधिकारियों ने इस हमले के पीछे चीन का हाथ होने की आशंका जताई है।

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी मणिपुर और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट (MNPF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। पीएलए (एम) के चीन के साथ मजबूत संबंध हैं और इसे पूर्व में बीजिंग से सहायता और प्रोत्साहन मिला है। असम राइफल्स के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) शौकीन चौहान ने स्वराज्य को बताया, ”चीन ने लंबे समय से पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों को हथियारों, गुरिल्ला रणनीति और वैचारिक प्रशिक्षण दिया है। इन संगठनों के कई नेताओं ने चीन की यात्रा भी की है। उनके चीन के सैन्य और राजनीतिक दलों से भी घनिष्ठ संबंध हैं।”

मणिपुर से भारतीय सेना में पहले थ्री-स्टार जनरल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कोंसम हिमालय सिंह ने बताया कि शनिवार को मणिपुर में घात लगाकर उग्रवादियों द्वारा किया गया हमला अपना वर्चस्व कायम करने का एक प्रयास था, क्योंकि इस समय आतंकवाद पर शिकंजा कसा हुआ है। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कोन्सम हिमालय सिंह ने कहा, “मणिपुर में फिर से उग्रवाद को बढ़ावा देने में चीन का हाथ है, क्योंकि मणिपुर पूर्वोत्तर का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ उग्रवाद अभी भी सक्रिय है।”

नागालैंड में दीमापुर के पास रंगपहाड़ में सेना के 3 कोर मुख्यालय से जुड़े एक ब्रिगेडियर के मुताबिक, मणिपुर में पीएलए और अन्य विद्रोही समूह का चीन के साथ घनिष्ठ संबंध है। उन्होंने स्वराज्य को बताया कि इन संगठनों के नेता चीन की सेना के लगातार संपर्क में रहते हैं। ब्रिगेडियर ने बताया कि 46 असम राइफल्स ने भारत-म्यांमार सीमा पर मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले कई गिरोह का भंडाफोड़ भी किया है। यह उग्रवादियों की आय का मुख्य स्रोत है। आय का स्त्रोत बंद हो जाने के कारण वे कर्नल त्रिपाठी से खार खाए बैठे थे, जिसके चलते उनकी हत्या कर दी गई।

सेना के शीर्ष अधिकारियों ने स्वराज्य को यह भी बताया कि चीन म्यांमार के शान, रखाइन और काचिन प्रांतों में उग्रवाद को बढ़ावा दे रहा है। वह उग्रवादियों के समूह को एके-सीरीज राइफलें, ग्रेनेड और चीनी कारखानों में बने अन्य गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है। स्वराज्य ने यह भी लिखा है, ”ये सभी विद्रोही संगठन वामपंथी विचारधारा वाले हैं। ये सभी मणिपुर को एक कम्युनिस्ट देश बनाना चाहते हैं। चीन इन सभी समूहों के साथ-साथ पूर्वोत्तर के अन्य विद्रोही समूहों की कई दशकों से सहायता कर रहा है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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