पाकिस्तान और भारतके बीच कई युद्ध, सीमा पर झड़पें और आतंकवादी गतिविधियाँ होती रही हैं। लेकिन इन सबके बीच पाकिस्तान की एक ऐसी साजिश है, जो खुलेआम कम दिखती है, पर अंदर ही अंदर भारत को कमजोर करने की कोशिश करती है – यह है खालिस्तानी एजेंडे को हवा देना।
बीते 9-10 मई 2025 की रात को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के तीन हवाई ठिकानों – रावलपिंडी में नूर खान, चकवाल में मुरिद और पंजाब प्रांत के झांग जिले में रफीकी पर जवाबी हमला किया। यह हमला पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों का जवाब था।
इसके बाद पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी पुरानी चाल चली और सिख समुदाय को भारत के खिलाफ भड़काने की कोशिश शुरू कर दी। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे पाकिस्तान खालिस्तानी अलगाववादियों को मोहरा बनाकर भारत में अराजकता और भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद।
पाकिस्तानी सेना ने सिखों को लेकर किया बकवास दावा
9-10 मई 2025 की रात को भारत ने पाकिस्तान के आक्रामक रवैये का करारा जवाब दिया। पाकिस्तान ने भारत पर कई बार ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमले करने की कोशिश की थी, जिनमें से एक मिसाइल, फतेह-II, नई दिल्ली को निशाना बनाने की कोशिश में थी। यह मिसाइल हरियाणा के सिरसा में भारतीय सेना ने मार गिराई। इसके बाद भारत ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान के तीन प्रमुख हवाई ठिकानों को तबाह कर दिया।
इस हमले से पाकिस्तान बौखला गया। जवाब में पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने एक बेतुका दावा किया। उसने कहा कि भारत ने पंजाब के आदमपुर हवाई अड्डे से छह बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से एक आदमपुर में ही गिरी और बाकी पाँच सिखों के पवित्र शहर अमृतसर में गिरीं। यह दावा इतना हास्यास्पद था कि इसे कोई तथ्य आधारित विश्लेषण खारिज कर देता। इसका मकसद साफ था – सिख समुदाय, खासकर खालिस्तानी समर्थकों को भारत के खिलाफ भड़काना और यह दिखाना कि भारत सिखों को निशाना बना रहा है।
Shocking News
— Dr. Qamar Cheema (@Qamarcheema) May 9, 2025
India Fired 6 Ballistic Missiles of which 5 Hit Indian Punjab
Why are Sikhs Target ? pic.twitter.com/bs1lJYV8Y6
पाकिस्तान का यह झूठा प्रचार सिख समुदाय को भावनात्मक रूप से उकसाने की कोशिश थी। अमृतसर सिखों का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जहाँ स्वर्ण मंदिर जैसे पवित्र स्थल हैं। पाकिस्तान ने सोचा कि इस तरह के दावे से सिखों में भारत सरकार के खिलाफ गुस्सा भड़केगा और वे पाकिस्तान का साथ देंगे। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने ऐसी चाल चली है। दशकों से वह सिखों को भारत के खिलाफ भड़काने की कोशिश करता रहा है और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह कोशिश और तेज हो गई है।
खालिस्तान एजेंडे की शुरुआत से ही जुड़ी हैं पाकिस्तानी साजिश की जड़ें
खालिस्तान एजेंडे की शुरुआत 1947 के बंटवारे के समय से मानी जा सकती है, जब सिख समुदाय का एक छोटा सा हिस्सा चाहता था कि पंजाब में एक अलग सिख राष्ट्र बने। लेकिन यह माँग उस समय ज्यादा जोर नहीं पकड़ सकी। 1970 के दशक में यह एजेंडा फिर से उभरा, और इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का बड़ा हाथ था।
साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार मिली। इस युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश बन गया। इस हार का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन नेता जुल्फिकार अली भुट्टो ने खालिस्तान एजेंडा को हवा देने की साजिश रची।
साल 1993 में इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में खालिस्तानी नेता जगजीत सिंह चौहान ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने उनके साथ मिलकर खालिस्तान एजेंडा को शुरू करने की योजना बनाई थी। चौहान ने बताया कि भुट्टो ने ननकाना साहिब को खालिस्तान की राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था। यह वही समय था जब भुट्टो भारत के साथ शांति वार्ता की बात कर रहे थे। इस दोहरे खेल से साफ है कि पाकिस्तान की मंशा भारत को अंदर से कमजोर करने की थी।
1980 के दशक में खालिस्तान एजेंडा हिंसक रूप ले चुका था। जरनैल सिंह भिंडराँवाले जैसे नेताओं ने सिख युवाओं को भारत सरकार के खिलाफ भड़काना शुरू किया। इस दौरान पंजाब में आतंकवादी गतिविधियाँ चरम पर थीं। लेकिन यह हिंसा अपने आप नहीं फैली। पाकिस्तान की आईएसआई ने खालिस्तानी आतंकवादियों को हथियार, ट्रेनिंग और सुरक्षित ठिकाने मुहैया कराए। बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स जैसे संगठनों के नेता पाकिस्तान में बैठकर भारत में आतंक फैलाने की साजिश रचते थे।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की नई चाल
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने अपनी साजिश को और तेज कर दिया। उसने न सिर्फ सैन्य प्रवक्ताओं के जरिए झूठे दावे किए, बल्कि अपने नागरिकों, खासकर मशहूर हस्तियों को भी इस प्रचार में शामिल किया। पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहम्मद यूसुफ ने एक ट्वीट में दावा किया, “आरएसएस समर्थित बीजेपी सरकार एक आतंकवादी संगठन से कम नहीं है। यह अपने पड़ोसियों में डर फैलाती है, अपने नागरिकों, खासकर सिखों और मुसलमानों, पर अत्याचार करती है और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए फर्जी हमले करवाती है।” इस तरह के बयान सिखों और मुसलमानों को एकजुट दिखाकर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश हैं।
The RSS-backed Indian government BJP is nothing short of a terrorist entity—spreading fear among its neighbors, oppressing its own citizens, particularly Sikhs and Muslims, and orchestrating false flag attacks to advance its agenda. We are a proud nation, steadfast in our support…
— Mohammad Yousaf (@yousaf1788) May 9, 2025
पाकिस्तान की यह साजिश सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है। उसने अपने मीडिया और यूट्यूब चैनलों के जरिए भी सिखों को भड़काने की कोशिश की। उदाहरण के लिए खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में दावा किया कि अगर पाकिस्तान खालिस्तान का समर्थन करे, तो पंजाब के सिख भारतीय सेना को पाकिस्तान पर हमला करने से रोक देंगे। यह बयान साफ दिखाता है कि पाकिस्तान खालिस्तानी नेताओं को भारत के खिलाफ मोहरा बना रहा है।
करतारपुर साहिब के नाम पर झूठ परोसता है पाकिस्तान
पाकिस्तान ने पहले भी पवित्र सिख स्थलों का इस्तेमाल सिखों को भड़काने के लिए किया है। साल 2019 में करतारपुर कॉरिडोर के खुलने से सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब जाने की सुविधा मिली। यह एक ऐतिहासिक कदम था, लेकिन पाकिस्तान ने इसका इस्तेमाल अपने प्रचार के लिए किया।
कॉरिडोर के उद्घाटन के ठीक बाद, पाकिस्तानी अधिकारियों ने एक प्रदर्शनी लगाई, जिसमें दावा किया गया कि 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना ने गुरुद्वारे पर बम गिराया था, जो एक पवित्र कुएँ में गिरकर निष्क्रिय हो गया। इस दावे का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं था, फिर भी पाकिस्तान ने इसे ‘वाहेगुरु का चमत्कार’ बताकर सिखों की भावनाओं को भड़काने की कोशिश की।
भारत ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया, लेकिन पाकिस्तान ने इस तरह के झूठे प्रचार को जारी रखा। 2019 में भारत ने पाकिस्तान को एक 23 पेज का डोजियर सौंपा, जिसमें 30 ऐसे मामले दर्ज थे, जहाँ सिख तीर्थयात्रियों को खालिस्तानी प्रचार सामग्री दी गई। करतारपुर कॉरिडोर के जरिए पाकिस्तान ने सिख तीर्थयात्रियों को खालिस्तानी विचारधारा से प्रभावित करने की कोशिश की। यह साफ करता है कि पाकिस्तान का मकसद सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि सिखों को भारत के खिलाफ भड़काना भी था।
खालिस्तानी आतंकवादियों का पाकिस्तान प्रेम
पाकिस्तान ने हमेशा खालिस्तानी आतंकवादियों को शरण दी है। सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) संगठन चलाने वाले आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को पाकिस्तान का खुला समर्थन मिलता है। एसएफजे भारत में प्रतिबंधित है और इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। लेकिन पाकिस्तान में इस संगठन को खुली छूट है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, एसएफजे की वेबसाइट्स का डोमेन कराची की एक वेबसाइट से जुड़ा है।
पन्नू के अलावा, कई अन्य खालिस्तानी आतंकवादी पाकिस्तान में शरण ले चुके हैं। साल 2023 में कनाडा के गैंगवार में मारे गए हरदीप सिंह निज्जर ने 2013 में पाकिस्तान का दौरा किया था और वहाँ खालिस्तानी आतंकवादी जगतार सिंह तारा से मिला था। तारा को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा हुई थी। 2004 में उसने जेल से सुरंग खोदकर भागने के बाद पाकिस्तान में शरण ली थी।
इसी तरह 1981 में इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण के लिए जिम्मेदार दल खालसा के सह-संस्थापक गजिंदर सिंह को भी पाकिस्तान में शरण मिली। गजिंदर और उसके साथियों ने भिंडराँवाले की रिहाई और 5 लाख डॉलर की माँग के साथ दिल्ली से अमृतसर जा रहे विमान को लाहौर की ओर मोड़ दिया था। पाकिस्तान ने इस मामले में मुकदमा चलाया और अपहरणकर्ताओं को उम्रकैद की सजा दी, लेकिन 1994 में उसे रिहा कर दिया गया। भारत ने कई बार गजिंदर सिंह को प्रत्यर्पित करने की माँग की, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा यह कहकर इंकार किया कि वह उनके देश में नहीं है।
पाकिस्तान की ‘ब्लीड इंडिया’ साजिश
पाकिस्तान की ‘ब्लीड इंडिया’ साजिश का मकसद भारत को छोटे-छोटे घाव देकर कमजोर करना है। खालिस्तान एजेंडा इस साजिश का एक बड़ा हथियार रहा है। पंजाब भारत का एक संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है, जो पाकिस्तान के साथ एक लंबी और अस्थिर सीमा साझा करता है। पाकिस्तान ने दशकों से इस राज्य को अस्थिर करने की कोशिश की है। उसने क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद को समर्थन दिया, खालिस्तानी विद्रोह को बढ़ावा दिया और नशीले पदार्थों व हथियारों की तस्करी के नेटवर्क को चलाया।
1980 के दशक में पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद अपने चरम पर था। इस दौरान हजारों लोग मारे गए, और राज्य में अराजकता फैल गई। लेकिन यह हिंसा अपने आप नहीं फैली। पाकिस्तान की आईएसआई ने खालिस्तानी आतंकवादियों को हथियार, धन और ट्रेनिंग दी। बब्बर खालसा, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स जैसे संगठनों के नेता पाकिस्तान में बैठकर भारत में आतंक फैलाने की साजिश रचते थे।
सिख-मुस्लिम एकता का ढोंग
पाकिस्तान की एक नई चाल है सिखों और मुसलमानों को एक साथ जोड़कर भारत के खिलाफ माहौल बनाना। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह साजिश और तेज हो गई। मोहम्मद यूसुफ जैसे पाकिस्तानी हस्तियों ने सिखों और मुसलमानों को एकजुट दिखाने की कोशिश की। कुछ वायरल वीडियो में मुस्लिम लोग सिख पगड़ी पहनकर विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए, जबकि कुछ सिखों को मस्जिदों में नमाज पढ़ते दिखाया गया। यह सब एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसके तहत पाकिस्तान सिखों को यह विश्वास दिलाना चाहता है कि उनकी लड़ाई मुसलमानों के साथ मिलकर लड़ी जा सकती है।
लेकिन यह एक ढोंग है। पाकिस्तान में सिख अल्पसंख्यक हैं और उन्हें कई बार धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। 2018 में पेशावर में एक सिख व्यक्ति की हत्या और 2022 में कराची में एक गुरुद्वारे पर हमला इसके उदाहरण हैं। पाकिस्तान का यह दावा कि वह सिखों का हितैषी है, सिर्फ एक प्रचार है।
झूठे प्रचार की पाकिस्तान की आदत पुरानी
पाकिस्तान की सरकार और सेना ने हमेशा भारत के खिलाफ झूठा प्रचार किया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी का दावा कि भारत ने अमृतसर पर मिसाइलें दागीं, इसकी ताजा मिसाल है। इससे पहले, 2016 में पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री सरदार मोहम्मद यूसुफ ने ननकाना साहिब में एक कार्यक्रम में दावा किया था कि भारत सिखों और कश्मीरियों को ‘गुलाम’ की तरह रखता है। ऐसे बयान सिख तीर्थयात्रियों को भारत के खिलाफ भड़काने के लिए दिए जाते हैं।
यह सच है कि 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद हुए सिख विरोधी दंगे सिख समुदाय के लिए एक बड़ा आघात थे। इन घटनाओं ने कुछ सिखों में भारत सरकार के प्रति नाराजगी पैदा की। लेकिन यह कहना गलत होगा कि सिख समुदाय भारत से अलग होना चाहता है। पंजाब में 95% से ज्यादा सिख खुद को गर्व से भारतीय मानते हैं। सिख समुदाय ने भारत की सेना, संस्कृति और अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दिया है। पाकिस्तान की साजिशों के बावजूद, सिख समुदाय ने बार-बार एकता का परिचय दिया है।
पाकिस्तान का सपना हमेशा रहेगा अधूरा
पाकिस्तान की खालिस्तानी साजिश कोई नई बात नहीं है। 1971 की हार के बाद से ही वह सिखों को भारत के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह कोशिश और तेज हो गई है। करतारपुर साहिब जैसे पवित्र स्थानों का दुरुपयोग, झूठा प्रचार, खालिस्तानी आतंकवादियों को समर्थन और सिख-मुस्लिम एकता का ढोंग – ये सब पाकिस्तान की उस साजिश का हिस्सा हैं, जिसका मकसद भारत को अस्थिर करना है।
I’ve heard BS from Pak army & news,but this is next-level inbred retardation
— Alexei Arora (@AlexeiArora) May 9, 2025
“India’s raining missiles on its own people &attacking Sikhs”
Baseless claims as a Pak missile instead was found in Amritsar yesterday
Anyways,good opportunity for Indian gov to see who amplifies this pic.twitter.com/Ssr2aIH4pm
लेकिन सिख समुदाय की देशभक्ति और भारत की एकता ने हर बार इन साजिशों को नाकाम किया है। सिख समुदाय भारत का अभिन्न हिस्सा है, और उसकी वीरता और समर्पण ने हमेशा देश को गौरवान्वित किया है। पाकिस्तान का यह सपना कि वह सिखों को भारत के खिलाफ खड़ा कर देगा, कभी पूरा नहीं होगा। भारत की ताकत उसकी विविधता में है, और सिख समुदाय इस ताकत का अहम हिस्सा है।
जरूरत है कि हम सब इस साजिश को समझें और एकजुट होकर इसका जवाब दें। पाकिस्तान की हर चाल को बेनकाब करना और सिख समुदाय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना हमारी जिम्मेदारी है। भारत की एकता और अखंडता को कोई भी ताकत कमजोर नहीं कर सकती, चाहे वह पाकिस्तान हो या उसके समर्थित खालिस्तानी।