वाशिंगटन पोस्ट ने आईएसआईएस के सरगना बगदादी के मारे जाने के बाद उसे कुछ इस तरह से पेश किया, जैसे वो बहुत बड़ा इस्लामिक विद्वान हो और उसने मानव-सेवा के लिए अभूतपूर्व कार्य किया हो। वाशिंगटन पोस्ट के इस कृत्य से जम्मू कश्मीर का आतंकियों को लड़ाकू बताने वाले एनडीटीवी भी दुःखी हुआ। हजारों क़त्ल का गुनहगार बगदादी के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बताया कि वो कायर कुत्ते की मौत मारा गया।
The headline of this “obituary” also marks the death of reason. What are they trying to prove? Being fair to the ISIS chief by highlighting his accomplishments? Appeasement is as dangerous as antagonism & prejudice. #WaPoDeathNotices pic.twitter.com/MNC3nYHtEM
— Palki Sharma (@palkisu) October 28, 2019
ट्रम्प के इस बयान को सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया गया। वाशिंगटन पोस्ट के इस ‘कारनामे’ को लेकर हमने उनके संपादक से बात की, यह जानने के लिए कि आतंकियों के हिमायती बनने के चक्कर में वह बॉलीवुड या हॉलीवुड के गुंडों और बलात्कारियों के मरने पर क्या हेडलाइंस देगा? बातचीत लंबी रही, दिलचस्प रही और हाँ… उन्होंने मेरे सभी सवालों के जवाब भी दिए। उनके जबाव उन्हीं के शब्दों में नीचे है, पढ़ा जाए।
बाहुबली के कालकेय के मारे जाने पर
बाहुबली के गुंडे कालकेय के मारे जाने पर वाशिंगटन पोस्ट लिख सकता है कि एक लोकप्रिय रैपर मारा गया, जो विश्व की विलुप्त होती भाषाओं का जानकर था और साथ ही अफ्रीकन लोगों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहा था। कालकेय के बारे में वाशिंगटन पोस्ट लिखेगा कि उसे उसके काले होने के कारण रेसिस्ट लोगों ने मार डाला।
हालाँकि, कालकेय के लिए वाशिंगटन पोस्ट ‘एक महान तांत्रिक’ का दर्जा भी दे सकता है। कालकेय को उसके ‘स्टाइलिश और यूनिक बालों’ के लिए वशिंगटन पोस्ट ने उसे सम्मानित भी कर सकता है।
मोगैम्बो के लिए वाशिंगटन पोस्ट की हैडलाइन
‘मोगैम्बो ख़ुश हुआ’ डायलाग के लिए लोकप्रिय विलेन मोगैम्बो अगर असलियत में होता तो वाशिंगटन पोस्ट उसे महान केमिकल इंजीनियर साबित करने में देर नहीं लगती। फिर उसका हैडलाइन कुछ इस तरह बनता- ‘अपने स्टाइलिश ड्रेस के लिए लोकप्रिय केमिकल इंजीनियर की मौत’।
वाशिंगटन पोस्ट आगे लिखता कि नृत्य और गायिकी को बढ़ावा देने वाले कलाप्रेमी मोगाम्बो 75 वर्ष की उम्र में मारा गया। या फिर यूँ- ‘टेक्नोलॉजी का जानकर वैज्ञानिक मोगैम्बो अपने व्यापारिक हितों को पूरा करने में शहीद हुआ।’
ममगरमच्छ प्रेमी शाकाल
‘अजीब जानवर है, जितना भी खाता है- भूखा ही रहता है’- शान फ़िल्म का विलेन शाकाल अगर वास्तविकता में होता और मारा जाता तो वाशिंगटन पोस्ट उसे द्वीपसमूहों का रक्षक, मगरमच्छ पालन का परमपिता और टेक्नोलॉजी प्रेमी बताने में देरी नहीं करता। वाशिंगटन पोस्ट इस बात का भी जिक्र ज़रूर करता कि कैसे उसके दफ्तर और घर की डेकोरेशन गौरी ख़ान के इंटीरियर डिज़ाइन को धता बताती है।
वाशिंगटन पोस्ट ये ज़रूर लिखता कि शाकाल को कुछ लोगों ने सिर्फ़ इसीलिए मार डाला क्योंकि वो उसके चमचमाते टकले से जलते थे। इसकी हैडलाइन कुछ यूँ बनती- ‘महान पर्यावरणविद, जानवरों का प्रेमी शाकाल और मगरमच्छों की भूख का ख्याल रखने वाला शाकाल मारा गया।’
गब्बर सिंह: शूटिंग चैंपियन और मेडलिस्ट
शोले के गब्बर के बिना गुंडों की कोई भी सूची अधूरी ही रहेगी। उसके मारे जाने पर वाशिंगटन पोस्ट की हैडलाइन में कहा जाता कि शूटिंग चैंपियन और नृत्य प्रेमी गब्बर के मारे जाने से होली का त्यौहार फीका पड़ गया। अहा! उसे माँस और बेली डांस से कितना प्रेम था! बच्चों को अच्छी नींद देने में वह कई माताओं की मदद कर चुका है। वाशिंगटन पोस्ट लिखता- ’48 वर्षीय गब्बर कई चोटों के कारण मारा गया।’
वाशिंगटन पोस्ट लिखता- ‘सामंतवादी ठाकुर के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाला, ठाकुर के हाथ का प्रेमी और फोक डांस को बढ़ावा देने वाला गब्बर नहीं रहा। एक महान मार्क्सवादी और पहाड़ों के सामाजिक कार्यकर्ता को एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने मार डाला।’
आवाज़ का जादूगर डॉक्टर डैंग
वाशिंगटन पोस्ट की नज़र में डॉक्टर डैंग एक आवाज़ का वैज्ञानिक होता, जो गूँज की गूँज पर एक्सपेरिमेंट करने के चक्कर में मारा गया। वाशिंगटन पोस्ट कुछ यूँ लिखता- ‘दवाओं का महान जानकार और अंतरराष्ट्रीय डॉक्टर डैंग को तीन मशहूर अपराधियों ने मार डाला।’
वाशिंगटन पोस्ट को डॉक्टर डैंग में रासायनिक पदार्थों का एक ऐसा विशेषज्ञ दिखता, जो दुनिया को बदलने के लिए लगातार एक्सपेरिमेंट्स कर रहा है। एक पूर्व सैन्य अधिकारी, जिसकी याद्दाश्त इतनी तेज थी कि वो कुछ भी भूलता नहीं था।
बुल्ला, जो हमेशा रखता था खुल्ला
बुल्ला का नाम तो सबने सुना होगा। ‘गुंडा’ के इस गुंडा की अगर वास्तविक जीवन में मृत्यु होती तो वाशिंगटन पोस्ट लोगों को बताता कि महान कवि और कविताओं, छंदों एवं चौपाइयों का जानकार बुल्ला मारा गया। या फिर यूँ- ‘मर्द बनाने की दावा रखने वाला विटामिन-विशेषज्ञ बुल्ला 50 वर्ष की उम्र में मारा गया।”
बुल्ला, जो अपने आसपास भी चुटिया, इबू हथेला और लम्बू आटा जैसे कवि हृदय लोगों को अपने साथ रखता था- उससे वाशिंगटन पोस्ट ज़रूर द्रवित हो गया होता।
थानोस , जनसंख्या नियंत्रण स्पेशलिस्ट
जनसंख्या नियंत्रण स्पेशलस्ट, दुनिया की चिंता करने वाला और एक इमोशनल पिता को कैसे एक करोड़पति ने मार डाला, इससे वाशिंगटन पोस्ट न सिर्फ़ दुःखी हुआ होता बल्कि वह लोगों को इससे ज़रूर अवगत कराता।
वाशिंगटन पोस्ट लिखता, ‘वैश्विक संतुलन बनाने के चक्कर में थानोस को मार डाला गया। वह लोगों को प्रचुर मात्रा में संसाधन देकर सबकी बराबरी के लिए लड़ने वाला सामाजिक कार्यकर्ता था। वह मणियों का प्रेमी था। महान पर्यावरणविद की 1020 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।”
वाशिंगटन पोस्ट द्वारा खूँखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के सबसे बड़े सरगने के मारे जाने के बाद इस तरह का हैडलाइन बनाने के बाद आश्चर्य नहीं कि वह उपर्युक्त गुंडों के मारे जाने पर उक्त बातें लिखता। कहने को तो हिटलर को भी पॉपुलेशन कण्ट्रोल विशेषज्ञ और वीरप्पन को दो बच्चियों का पिता बता कर उसे ‘बेचारा’ साबित किया जा सकता है। अब देखना यह है कि ‘द क्विंट’ और एनडीटीवी को टक्कर देने निकला वाशिंगटन पोस्ट इस क्षेत्र में और कितना आगे जा सकता है।
नोट: वाशिंगटन पोस्ट के संपादक ने निजी कारणों से उनका नाम न छापने के लिए आग्रह किया था। और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए हमने कहीं भी उनका नाम नहीं लिखा है।