हिन्दूफ़ोबिया से ग्रसित स्वघोषित फैक्ट चेकर और प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ (Alt News) अपनी मोबाईल एप्लीकेशन के जरिए लोगों की व्यक्तिगत सूचनाएँ जुटा रहा है। यह इस कारण भी घातक साबित हो सकता है क्योंकि यही ऑल्ट न्यूज़ और इसके संस्थापक अक्सर सोशल मीडिया पर लोगों की गुप्त जानकारियाँ इकट्ठी कर उनके परिवार के लोगों को और उन्हें निशाना बनाते हुए पाए गए हैं।
लोगों की निजी जानकारियाँ चुराने वालों के हाथ अब खुद देंगे आप अपनी सीक्रेट डिटेल्स
ऑल्ट न्यूज़ की मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा जुटाई जा रही जानकारियाँ इस कारण भी चर्चा का विषय है क्योंकि यही ऑल्ट न्यूज़ और इसके संस्थापक अक्सर आधार कार्ड से लेकर, फेसबुक और अब आरोग्य सेतु एप्लीकेशन पर लोगों की निजी जानकारियाँ इकट्ठी करने का आरोप लगा चुके हैं।
ऐसे में ऑल्ट न्यूज़ का दोमुँहापन उन्हीं की मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए बेहद बेशर्मी से सार्वजनिक हो चुका है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि ऑल्ट न्यूज़ जैसे प्रोपेगेंडा वेबसाइट और ‘प्रगतिशील इंटरनेट उदारवादियों’ की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क होता है।
ऑल्ट न्यूज़ की एप्लीकेशन को मोबाइल पर इंस्टाल करने पर यह एप्लीकेशन लोगों से उनकी लोकेशन, कैमरा, टेलीफोन, स्टोरेज के साथ-साथ मोबाइल में मौजूद लगभग हर उस चीज का कंट्रोल माँगता है, जो कि ऑल्ट न्यूज़ जैसे लोगों, जो कि वामपंथियों के सीधे सम्पर्क में होने के साथ-साथ खुद को ‘फैक्ट चेकर’ घोषित करने से पहले फेसबुक पर ऐसे पेज चलाते थे, जिन पर हिन्दुओं की आस्था को निशाना बनाया जाता था, के पास होना किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा के लिए घातक साबित हो सकती हैं।
यही नहीं, ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक इस पेज के जरिए गोमूत्र-गाय से सम्बंधित भद्दे चुटकुले भी शेयर किया करते थे। हिन्दुओं की आस्था को ठेस पहुँचाने वाली इसी भाषा का प्रयोग पुलवामा आतंकी हमले के फिदायीन आतंकी अब्दुल अहमद डार ने भी किया था।
वहीं, ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक, जो कि अक्सर अपनी मम्मी के साथ सोशल मीडिया पर फर्जी खबर फैलाते हुए पकड़े जाते हैं, कुछ ही दिन पहले सरकार द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण से जुडी जानकारियों के लिए बनाई गई आरोग्य सेतु एप्लीकेशन को इंस्टाल ना करने की राय ट्विटर पर शेयर करते देखे गए थे।
Not that I plan to travel anytime soon, but I’m not going to install Arogya Setu come what may. https://t.co/JdrOLUtr3I
— Pratik Sinha (@free_thinker) May 21, 2020
Alt News App requirs location, storage, camera and telephone permission but Aarogya Setu App with just Location Permission is unsafe. https://t.co/nyZ5YohG9O pic.twitter.com/kVMIyxICS0
— Amit Kumar Sindhi 🇮🇳 (@AMIT_GUJJU) May 21, 2020
यह वैसा ही है, जैसे देश के वामपंथी पूँजीवादी व्यवस्थाओं और उद्योगपतियों को गाली देते नजर आते हैं लेकिन उन्हीं की बनाई विमान सेवाओं से देश-विदेश भ्रमण कर और उन्हीं की बनाई महँगी शराब को अपनी आलिशान बैठकों में इस्तेमाल करते हुए बताते हैं कि पूंजीवादियों ने सब कुछ हड़प लिया है।
प्राइवेसी की चिंता या फिर मोदी-घृणा का अंध-लेप?
सतही तौर पर प्रतीक सिन्हा का आक्रामक रवैया इस चोले में दिखता है, मानो वो वाकई भारतीय नागरिकों की निजता/प्राइवेसी को ले कर चिंतित हों। लेकिन ऐसा वास्तव में है नहीं। जहाँ आरोग्य सेतु ऐप का लक्ष्य लोगों को जानकारी उपलब्ध करा कर संक्रमण को रोकने का है, वहीं, स्वयं प्रतीक सिन्हा का ऑल्टन्यूज सिर्फ लोगों की हर तरह की जानकारी इकट्ठा करने के लिए बेवजह अपने ऐप के जरिए उनसे डेटा लेता है।
ऑल्ट न्यूज ऐप को भला आपके फोन, तस्वीरें, आपके माइक्रो एसडी कार्ड आदि में इतनी रुचि क्यों है? इस सवाल का कोई जवाब नहीं है, खास कर तब जब इसे प्रतीक सिन्हा के ट्वीट को संदर्भ में रख कर देखा जाए।
प्रतीक सिन्हा की समस्या यह है कि उन्हें हर बात पर हल्ला करना है। लोगों तक उनकी पहुँच का एक मात्र तरीका है कि झाँव-झाँव करते हुए, सरकार की हर बात में नुक्स निकाल कर हल्ला करते रहना कि सरकार डाका डाल रही है।
कोरोना की इस महामारी में तकनीक के इस्तेमाल से सरकार जानकारी पहुँचाने का, संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, न्यूनतम डेटा ले कर एक पूरी आबादी को सचेत रखना चाहती है। यही काम जब एप्पल और गूगल कर रहे हैं, तब यही लोग कहेंगे कि ‘भारत में भी काश ऐसा होता कि फोन से पता चल जाता’। जबकि आरोग्य सेतु ऐप ने ये काम काफी पहले ही कर लिया।
खैर, सरसरी निगाह डालने पर कोविड-19 की इस लड़ाई में हमारे सामने तीन चीजें हैं: बीमारी को फैलने से रोकना, अर्थव्यवस्था को बचाना और प्राइवेसी का हनन न्यूनतम स्तर पर करना। अगर आपको सरकार नाम, लोकेशन और ब्लूटूथ का आँकड़ा दे रही है, ताकि आप ही सुरक्षित रहें, तो फिर आपको स्मार्टफोन के दौर में प्राइवेसी की बात इस संदर्भ में तो नहीं ही करनी चाहिए।
बात होती है मंशा की। जहाँ सरकार के ऐप में हर डेटा को लेने के पीछे का उद्देश्य स्पष्टता से लिखा हुआ है, ऑल्टन्यूज ने वैसा नहीं किया है। उसने इसे बिलकुल ही धुँधला रखा है कि वो इतनी जानकारी क्यों लेना चाह रहा है? वो तस्वीरों का क्या करता है, फोन की जानकारी क्यों चाहिए, स्टोरेज कार्ड को ‘मोडिफाय’ करने के पीछे क्यों लगा हुआ है?
ये वैसे ही लोग हैं जो आजीवन सरकारों को कोसते हैं कि गाँवों में जल-संक्रमण वाली बीमारियों से लोग मरते हैं, और जब सरकार इनके घरों में शौचालय बनवा कर देती हैं तो कहते हैं कि सरकार अब हमारे शौचालय में घुसना चाहती है और मल त्यागना सिखाती है। ये लोग वही हैं जो शौचालय में शौच करने को भी प्राइवेसी से जोड़ देते हैं, भले ही उससे ऐसी आबादी की भावी बीमारियों से ग्रसित होने की संभावना घट रही हो।