Thursday, November 28, 2024
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‘मौत तेरे करीब…जहन्नुम में सड़ेगा’: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस काटजू के पोस्ट में ‘हनुमान’ देख टूट पड़े इस्लामी कट्टरपंथी

काटजू का पोस्ट पढ़ने के बाद एक शबीर आरजू नामक यूजर ने कहा, "तुम्हारी मौत आने वाली है। हमें फेसबुक के जरिए बताते रहना कि कैसे तुम्हें जहन्नुम में सड़ाया जा रहा है।"

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू (Markandey Katju) सोशल मीडिया पर अपने विवादित पोस्टों के कारण चर्चा में रहते हैं। हाल में उन्होंने अपनी आदतों के चलते फिर कुछ ऐसा विवादित लिख दिया कि इस्लामी कट्टरपंथी उनके पीछे पड़ गए और उन्हें बताने लगे कि मौत उनके नजदीक आ रही है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने अपने पोस्ट में ‘हनुमानजी हू अकबर’ लिखा था। इस पोस्ट के बाद उन्हें भर-भर कर गालियाँ मिलने लगीं।

काटजू का फेसबुक पोस्ट

शबीर आरजू नामक यूजर ने कहा, “तुम्हारी मौत आने वाली है। हमें फेसबुक के जरिए बताते रहना कि कैसे तुम्हें जहन्नुम में सड़ाया जा रहा है।”

काटजू को मिलने वाली मौत की धमकियाँ

वहीं, सलीम बेग ने लिखा, “एक उपयुक्त उदहारण हो तुम कि आखिर लोगों को एक उम्र के बाद क्यों रिटायर हो जाना चाहिए। एक उम्र के बाद वो बच्चों की तरह बर्ताव करने लगते हैं।” लेकिन काटजू ने इस रिप्लाई के बदले सलीम को लिखा, “ला इलाहा इल हनुमान जी।”

कट्टरपंथियों के रिप्लाई पर काटजू की प्रतिक्रिया

किसी शबीर अहमद ने उन्हें कहा कि उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।

मोहम्मद शॉन ने काटजू की इस हरकत को गौ मूत्र से जोड़ दिया। शॉन ने लिखा, “सर गौ मूत्र का सेवन तो रोज नहीं करने लग गए।”

आमिर मलिक ने काटजू को दिमाग का इलाज करवाने की सलाह दी। साथ ही नवाज ने उनको बताया कि ‘हनुमान जी’ अकेले भगवान कैसे हो सकते हैं क्योंकि उनके भगवान तो ‘राम जी’ हैं। इसलिए हो सकता है वो इस ‘ला इलाहा’ को राम जी के लिए ले लें न कि खुद के लिए।

आसिफ अंसारी ने काटजू को बजरंग दल का नाम लेकर डराया और कहा कि अगर ये सब किसी संघी ने पढ़ा तो उनके लिए अच्छा नहीं होगा।

बता दें कि सोशल मीडिया पर कट्टरपंथियों से लगातार गाली पड़ने के बाद काटजू ने अपना पोस्ट डिलीट कर दिया है। लेकिन मालूम रहे कि ये पहली बार नहीं है जब मार्कंडेय काटजू इस तरह अपने पोस्ट के कारण विवादों में घिरे हों। पिछले साल हाथरस घटना के समय काटजू ने देश में बढ़ रही रेपों की संख्या का सारा ठीकरा बेरोजगारी पर फोड़ा था। इसके बाद उनकी बहुत आलोचना हुई थी और सवाल उठे थे कि ऐसे शख्स ने न्याय व्यवस्था का हिस्सा बनकर कैसे फैसले लिए होंगे

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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