Friday, March 29, 2024
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लिबरल गिरोह ने गलवान में सैनिकों के बलिदान का उड़ाया मजाक, बिहार चुनाव से जोड़ रचा प्रोपेगेंडा

"अजीब बात है कि हर चुनाव से पहले हमेशा शहीद होने वाले जवानों का इस्तेमाल किया जाता है, इस बार भी (पीएम मोदी) ने फिर से सैनिकों को निशाना बनाया है। बिहार रेजिमेंट के सैनिक बिहार में चुनाव से पहले मारे गए हैं।"

भारत और चीन के बीच तनाव ने 15 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक रूप ले लिया था। खूनी झड़प में भारत के 20 जवान बलिदान हो गए थे। वहीं सोशल मीडिया पर जंग लड़ने वाले लिबरल गैंग ने इस दुखद घटना को लेकर अपनी घटिया मानसिकता को प्रदर्शित करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया है।

हमेशा की तरह लिबरल्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मगर इस बार लिबरल्स न केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का, बल्कि सैनिकों के बलिदानी का भी मजाक उड़ाया है। इतना ही नहीं इस पूरे मामले को लिबरल गैंग ने बिहार में आने वाले चुनावों से जोड़ा है।

@BrandySahni नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “अजीब बात है कि हर चुनाव से पहले हमेशा शहीद होने वाले जवानों का इस्तेमाल किया जाता है, इस बार भी (पीएम मोदी) ने फिर से सैनिकों को निशाना बनाया है। बिहार रेजिमेंट के सैनिक बिहार में चुनाव से पहले मारे गए हैं। यह महज संयोग नहीं हो सकता अगर यह पूर्वनियोजित है तो।”

वहीं ट्विटर पर अपने आप को एएफपी का फैक्ट चेकर’ होने का दावा करने वाले उज़ैर हसन रिज़वी ने लिखा कि भारतीय सेना के बिहार रेजिमेंट में विभिन्न राज्यों के सैनिक हैं। इसके बाद यह निष्कर्ष निकाला कि पीएम मोदी के अपने शोक संदेश में बिहार का उल्लेख आगामी बिहार चुनावों में फायदा पाने के लिए किया है।

एक अन्य ट्विटर यूजर @ jameel7866786 ने 2019 में पुलवामा में सैनिकों की शहादत और हाल ही में हुए भारतीय और चीनी सेना के बीच सीमा पर खूनी हिंसक झड़प को एक बड़ा षड्यंत्र बताया है। 2019 के जनरल इलेक्शन को दुखद पुलवामा हमले और बिहार रेजिमेंट के 20 जवानों की शहादत को बिहार चुनाव से जोड़ते हुए, उन्होंने लोगों को दो परस्पर घटनाओं को लेकर इन्हें आपस में जोड़ने को कहा।

वहीं प्रोफेसर नाम के एक ट्विटर यूजर ने तो बिहार चुनावों के समय के ‘संयोग’ और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर बिहार रेजिमेंट को तैनाती करने के निर्णय पर सवाल उठाया।

“पीएम मोदी ने चीन को गैलवान घाटी दे दी” जैसे एक बेतुके और बेबुनियाद ट्वीट का जवाब देते हुए कॉन्ग्रेस समर्थक @ SamanSutiya1 ने लिखा कि 20 भारतीय सैनिकों की शहादत असल में बिहार चुनाव के जीत से जुड़ी थी। उन्होंने दावा करते हुए लिखा “20 में से 13 बिहार के थे। अब (बीजेपी) बेनिफिट ले सकती है।”

वहीं ससिधरन पझूर ने लिखा, “बिहार चुनाव आ रहे है। बिहार रेजिमेंट दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। नहीं, मैं कोई सुझाव नहीं दे रहा हूँ। ” दिलचस्प बात है कि ऐसी रणनीति लिबरल्स के पाठ्यपुस्तक में ही देखी जा सकती है कि किस तरह लोगों के सामने झूठ पेश करके उनके मन में संदेह के बीज बोए जा सकते हैं।

हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले पत्रकार राजदीप सरदेसाई के एक ट्वीट का जवाब देते हुए देश नामक एक यूजर दावा करता है कि उसने बिहार चुनाव में फायदे के लिए सीमा पर बिहार रेजिमेंट को तैनात करने के इस षड्यंत्र में अपने भाई को खो दिया है।

उल्लेखनीय हैं कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब लिबरल जमात के गैंग द्वारा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने की साजिश रची गई हो। पुलवामा हमले पर भी कई कॉन्ग्रेस समर्थकों ने उस घटना को षड्यंत्र बताते हुए कहा था कि पुलवामा अटैक प्रधानमंत्री के इशारे पर हुआ था।

कॉन्ग्रेस का विश्वास जीतने के लिए उनके ही एक नेता ने पुलवामा से ‘इनसाइड जॉब’ करार देते हुए यह सवाल किया था। जिसके बाद उसे पार्टी द्वारा लोकसभा टिकट भी दिया गया था। वहीं दूसरी ओर गोवा कॉन्ग्रेस के एक नेता ने भी आतंकी हमले के सबूत माँगे थे। इसके साथ ही पीएम मोदी पर पुलवामा हमले की योजना बनाने का आरोप भी लगाया था।

गौरतलब है कि कर्नाटक कॉन्ग्रेस के एक सांसद ने तो यहाँ तक कह दिया था कि पुलवामा हमला पीएम मोदी और पाकिस्तान के बीच एक ‘मैच फिक्सिंग’ था। कॉन्ग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार को घेरने के लिए यह ​​सवाल भी उठाया था कि कैसे विस्फोटक वहाँ तक पहुँचा?

वहीं पुलवामा अटैक को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि पीएम मोदी को पुलवामा हमले के बारे में पहले से पता था और उन्होंने फिर भी इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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