गूगल पर यदि टैंक मैन लिख कर सर्च करेंगे तो आपके सामने एक ऐसी तस्वीर होगी जिसमें एक अकेला आदमी टैंक के आगे सावधान स्थिति में निर्भय खड़ा है। ये तस्वीर चीन के थियानमेन चौक की है। जहाँ 4 जून 1989 को हजारों लोगों का नरसंहार हुआ था। यूरोपीय मीडिया के अनुसार इस घटना में 10 हजार लोग मारे गए थे।
शुक्रवार को इस नरसंहार की 32वीं बरसी थीं। ऐसे में जब अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर के सोशल मीडिया यूजर्स ने माइक्रोसॉफ्ट के सर्च इंजन बिंग पर उस अंजान टैंक मैन की तस्वीर को तलाशा तो रिजल्ट में कुछ भी नहीं मिला। लोगों ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए और आशंका जताई कि तस्वीर को सेंसर किया गया है। बाद में माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन ने सफाई देते हुए इस पर बयान जारी किया।
माइक्रोसॉफ़्ट ने अपने सर्च इंजन बिंग पर ‘टैंक मैन’ सर्च किए जाने पर कोई नतीजा ना दिखाए जाने को एक ‘आकस्मिक मानवीय भूल’ क़रार दिया। माइक्रोसॉफ़्ट का कहना है कि ये मामला ‘एक आकस्मित मानवीय भूल का नतीजा था और हम इसे ठीक करने के लिए तेज़ी से काम कर रहे हैं।
हालाँकि, ह्यूमन राइट वाच के डायरेक्टर केनेथ रॉथ ने कहा है कि उनके लिए ये मानना बहुत मुश्किल है कि ऐसा ग़लती से हुआ है। इस मामले की पहली शिकायत आने के कई घंटों बाद बिंग में टैंक मैन की तस्वीरें फिर से दिखने लगी थीं।
Outrageous: on the anniversary of the murderous Tiananmen Square crackdown, Microsoft’s Bing search engine suddenly won’t return any images if you search for “tank man,” the iconic photo. I just tried. Hard to believe this is an inadvertent error. https://t.co/LMIrpbnUnu pic.twitter.com/cPG3XV3tBI
— Kenneth Roth (@KenRoth) June 4, 2021
बता दें ‘टैंक मैन’ शब्द का इस्तेमाल एक अज्ञात व्यक्ति का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो जून 1989 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के दौरान चीन के थियानमेन स्क्वायर में टैंकों के सामने खड़े होने के लिए प्रसिद्ध है। कहते हैं कि चीन, उस समय थियानमेन चौक पर हुई कार्रवाई पर ऑनलाइन होने वाली किसी भी चर्चा को सेंसर करता रहता है। ऐसे में टैंकमैन की तस्वीर न मिलने पर यूजर्स ने थियानमेन स्क्वायर नरसंहार से संबंधित जानकारियों पर संभावित सेंसरशिप के बारे में चिंता जताई। इसी के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने अपना बयान दिया।
गौरतलब है कि चीन में मीडिया के ऊपर लगे कड़े सेंसरशिप के कारण आज भी उस घटना से जुड़ी कई अहम जानकारियाँ उपलब्ध नहीं हैं। चीन की सरकारी मीडिया कम्युनिस्ट पार्टी के आदेश पर केवल वही बातें लिखती हैं जो उनके अपने फायदे की होती हैं।
एक रिपोर्ट बताती है कि चीन थियानमेन चौक नरसंहार से जुड़े सारे सबूत मिटाने की कोशिशों में लगा है। अब तक वहाँ की सरकार उस घटना से जुड़े 3 हजार से ज्यादा प्रमाणों को मिटा चुकी है और कुछ को सेंसर कर दिया है। उनके मुताबिक इस नरसंहार में केवल 200-300 लोग मारे गए थे जबकि यूरोपीय मीडिया कहता है कि 200-300 नहीं दस हजार लोग मारे गए थे।