Saturday, April 20, 2024
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जमात से लौटकर डॉ इदरीस मरीज देखते रहे, ऑपरेशन किया: उन पर सवाल उठाना साथी डॉ को पड़ा भारी, कट्टरपंथी दे रहे धमकियाँ

”अगर डॉ इदरीस अकबानी हिंदू होता तो भी मैं यही सब लिखती। पर उस समय झुंड बनाकर लोग मुझे धमकाते नहीं। जैसा कि अभी मुस्लिम डॉक्टर के लिए कर रहे हैं। झुंड में लड़की पर बेवजह हमला करना बंद करो कभी हिन्दू मुस्लिम से ऊपर उठके देश के बारे मे सोचो।”

एक नामी अस्पताल का एक बड़ा डॉक्टर तबलीगी जमात द्वारा आयोजित भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम में शामिल होता है। कार्यक्रम खत्म होने के बाद अपने घर लौटता है। ड्यूटी ज्वाइन करता है। ओपीडी में कम से कम सौ मरीजों को रोज देखता है और 100 के करीब सर्जरी करता है। इसके बाद मालूम पड़ता है कि वो तबलीगी जमात गया था और उसने ये बात सबसे छिपाई। प्रशासन उसे फौरन क्वारंटाइन करता है और उसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जाता है। अब ये खबर मीडिया में आती है। एक लड़की इसे लेकर चिंता जताती है और डॉ की लापरवाही उजागर करती है। मगर, डॉक्टर के मजहब के कारण पूरा कट्टरपंथियों का गिरोह उसे गरियाने लगता है। डॉ के परिजन उसे धमकाने लगते हैंं। जिसे देखकर लड़की को एहसास होता है कि उसने भले ही आजीवन हर इंसान को इंसान समझा, उन्हें धर्म के रंग में तोले बिना आँका। मगर ये लोग, उससे अलग है और मजहब को ही सर्वेसर्वा मानते हैं। इसलिए उसे झुंड बनाकर धमकी दे रहे हैं, गाली दे रहे हैं, उससे बदसलूकी कर रहे हैं।

लड़की का नाम डॉक्टर दीपा शर्मा है। दीपा ने 4 अप्रैल को एक खबर की जानकारी देते हुए उसके ऊपर अपनी प्रतिक्रिया ट्वीट की। इस ट्वीट में उन्होंने बताया कि तेलंगाना के आदिलाबाद के रिम्स अस्पताल में ऑप्थामोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ इंदरीस अकबानी ने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने अपने अधिकारियों से इसकी जानकारी छिपाई। बाद में ये अस्पताल जाने लगे। ओटी में इन्होंने 100 लोगों की सर्जरी की और 100 से ज्यादा मरीजों को एक दिन में ओपीडी में देखा। उन्होंने कई बेगुनाहों को जानबूझकर संक्रमित किया।

अब हालाँकि ये खबर एक दम सच है और मीडिया रिपोर्ट्स ने इसे प्रकाशित भी किया है। मगर मुस्लिम ने इस पर चिंतित होने की बजाय इसे भी अपनी आन पर ले लिया। किसी ने समुदाय को बदनाम करने के लिए एक अजेंडा बताया। तो किसी ने योगी आदित्यनाथ का मुद्दा बीच में ले आते हुए हिंदू धर्म का हवाला दिया और इदरीस अकबानी की लापरवाही को जस्टिफाई किया।

डॉ के कई हितैषियों ने इस ट्वीट को देखकर इदरीस की नेगेटिव रिपोर्ट शेयर की। और डॉ दीपा के लिए लिखा कि पहले तथ्य जान लो, फिर भौंको। कट्टरपंथियों ने लड़की के ख़िलाफ़ शिकायत भी कर डाली और तेलंगाना सीएमओ और डीजीपी को टैग करके उनपर एक्शन लेने के लिए कहा कि वे गलत न्यूज फैला रही हैं।

इसी तरह एक और यूजर ने किया। जिसपर डॉ दीपा ने साफ कर दिया कि वो फाइनल रिजल्ट के बारे में बात नहीं कर रहीं। उनकी चिंता ये है कि अगर वो पॉजिटिव आ जाते तो क्या होता? उनका कहना है कि स्वैब टेस्ट 100% सही नहीं है। चूँकि जो लोग शुरू में नेगेटिव आ रहे हैं, बाद में पॉजिटिव पाए जाते हैं। डॉ दीपा की शिकायत है कि डॉ इदरीस ने जानकारी छिपाई और ड्यूटी जारी रखी। और उनका ट्वीट सिर्फ़ इसी बारे में हैं। और ये 100% सही है।

इसके बाद कुछ कट्टरपंथी कनिका कपूर का मुद्दा उठाते हैं क्योंकि वो हिंदू हैं और इसे मुद्दा बनाते हैं। मगर कुछ अन्य यूजर इसपर साफ करते हैं कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो चुकी है और उनका कोई सपोर्ट भी नहीं कर रहा। लेकिन फिर भी लोग उन्हें फेक न्यूज फैलाने वाली फेक डॉक्टर आदि कहते रहते हैं।

डॉ लुकमान नाम का यूजर इस ट्वीट पर कई प्रतिक्रिया देता है और एक ट्वीट में पीएम मोदी को कोसने के लिए लिखता है- ये कैसा जिहाद मोदी ने किया? असफल लॉकडाउन से अपने लोगों को मारा और अब एक जमात को दोष दे रहा है। ऐसे 100 अलग-अलग जमात हैं। हमें उन्हें ढूँढना चाहिए और उनपर कार्रवाई करनी चाहिए।

अब इन्हीं ट्वीट्स को देखते हुए और इदरीस में पक्ष में समुदाय विशेष की भीड़ को देखकर डॉ दीपा तंग आ गई। उन्होंने अपने ट्वीट को सही साबित करने के लिए एक खबर को शेयर किया और निवेदन किया कि जो भी समुदाय के लोग उनके पोस्ट पर घटिया कमेंट लिख रहे है, वो कहीं और अपनी नफरत निकालें। ये खबर 100% सच है। अब आखिरी परिणाम कुछ भी निकले। मगर ये बात आदिलाबाद के पुलिस, सरकार, मीडिया सबको मालूम है।

वे आगे लिखती हैं। कृपा करके ये नकारात्मकता यहाँ न फैलाएँ और मुझे सिर्फ इसलिए धमकाना बंद करें क्योंकि मैंने एक डॉक्टर की लापरवाही पर प्रश्न किए।  वे लिखती हैं, “डॉक्टर ने तबलीगी जमात का कार्यक्रम अटेंड किया और किसी को जानकारी नहीं दी। बाद में अस्पताल में कार्य जारी रखा। पुलिस को ये सूचना 1 अप्रैल को मिली। अब इसके परिजन, साथी और मजहबी लोग मुझे डरा-धमका रहे हैं।” 

उनका कहना है कि वे एक आम परिवार से आती हैं और उन्हें किसी राजनैतिक पार्टी का सपोर्ट नहीं है। डॉ इदरीस अकबानी ये बात अच्छे से जानते थे कि यदि वे कोरोना संक्रमित निकले तो कई मासूमों तक ये फैल सकता है। मगर बावजूद इसके उन्होंने मरीजों को देखना जारी रखा। अब उसके परिजन और मुस्लिम मुझे धमका रहे हैं। 

वे कहती है, ”अगर डॉ इदरीस अकबानी हिंदू होता तो भी मैं यही सब लिखती। पर उस समय झुंड बनाकर लोग मुझे धमकाते नहीं। जैसा कि अभी मुस्लिम डॉक्टर के लिए कर रहे हैं। झुंड में लड़की पर बेवजह हमला करना बंद करो कभी हिन्दू मुस्लिम से ऊपर उठके देश के बारे मे सोचो।”

वे ये प्रतिक्रियाएँ देखकर हताश होती हैं और लिखती हैं, ”आप हिंदुओं को इस्लामोफोबिया का शिकार कहते हो, मुस्लिमों के लिए नफरत फैलाने वाला बोलते हो। मेरे जैसा इंसान जिसने इंसान को इंसान समझा, धर्म के रंग से नही तोला, पर आए दिन आप लोग जो मुझपे झुंड बनाकर सोशल मीडिया पर धमकियाँ देते हो उससे मुझे मुस्लिमों से डर लगने लगा है।”

वे आखिर में सभी मुस्लिमों से प्रार्थना करती हैं कि वे सब अपने, अपनों और देश के बारे में सोचे। क्वारंटाइन में रहें। सोशल डिस्टेंसिंग रखें। साथ ही जो लोग नमाज़ अब भी मस्जिद मे पढ़ रहे हैं या जिन्होंने तबलीगी जमात में भाग लिया उनके खिलाफ खुद रिपोर्ट करें, जिम्मेदार भारतीय बनें, जिससे पूरा देश उनका सम्मान करेगा, प्यार देगा। साथ ही वो यह भी लिखती हैं कि कैसे टेस्ट में निगेटिव आया व्यक्ति भी अचानक से पॉजिटिव आ सकता है। इसलिए 28 दिनों का एकांतवास निहायत जरूरी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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