Monday, October 14, 2024
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लिबरल गैंग के लिए अब ‘महान’ नहीं रहे सुनील गावस्कर, RSS प्रमुख मोहन भागवत के हाथों मानद डॉक्टरेट की उपाधि ग्रहण करने से भड़के

एक अन्य लिबरल ने इस सम्मान को श्रीलंका के आर्थिक संकट से जोड़ दिया। कहा कि श्रीलंका में फैली अराजकता के बीच जयसूर्या और संगकारा जैसे क्रिकेटर लोगों के साथ खड़े हैं, जबकि गावस्कर जैसे खिलाड़ी सरकार के साथ हैं। वे आरएसएस जैसे फासीवादी संगठन के साथ खड़े हैं।

श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस का दीक्षांत समारोह बुधवार (13 जुलाई 2022) को हुआ। आयोजन कर्नाटक के चिकबल्लापुरा जिले के मुद्देनहल्ली स्थित सत्य साईं ग्राम में हुआ। इस मौके पर भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर सहित 6 जानी-मानी हस्तियों को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। लेकिन गावस्कर का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के हाथों उपाधि ग्रहण करना वामपंथी और लिबरल गैंग को रास नहीं आया।

भागवत के हाथों सुनील गावस्कर को सम्मान ग्रहण करते देख लिबरल्स भड़क उठे। सोशल मीडिया पर वे अपनी निराशा और खीझ जताने लगे।

ट्विटर का स्क्रीनशॉट

एक ट्विटर यूजर ने कहा, “मैंने सोचा था कि इस आदमी को आउट करना मुश्किल था, लेकिन अफसोस।” वहीं एक अन्य व्यक्ति ने रिप्लाई करते हुए कहा कि उसके मन गावस्कर के लिए बहुत सम्मान था, क्योंकि महान क्रिकेटर होने के साथ उन्होंने 1992 के दंगों के दौरान एक परिवार को भी बचाया था।

एक यूजर जिसे गावस्कर पहले केवल इसलिए महान लगते थे क्योंकि उन्होंने एक ‘मुस्लिम परिवार’ की मदद की थी, उसकी सोच भी इस तस्वीर ने बदल दी।

हिमांशु नाम के एक अन्य लिबरल ने गावस्कर को श्रीलंका के आर्थिक संकट से जोड़ दिया। यूजर ने कहा कि श्रीलंका में फैली अराजकता के बीच जयसूर्या और संगकारा जैसे क्रिकेटर लोगों के साथ खड़े हैं, जबकि गावस्कर जैसे खिलाड़ी सरकार के साथ हैं। वे आरएसएस जैसे फासीवादी संगठन के साथ खड़े हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में खबर आई थी कि मुंबई में 1992 में हुए दंगों के दौरान गावस्कर ने एक मुस्लिम परिवार को बचाया था। इस खबर के सामने आने के बाद लिबरलों और वामपंथियों ने उन्हें नायक बताया था। कई ने गावस्कर की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए ट्वीट किया। इस घटना का जिक्र स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सुनील गावस्कर के बेटे रोहन ने किया था। इसी कार्यक्रम के दौरान गावस्कर को 2016 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

हालाँकि, यह पहला मौका नहीं है जब लिबरलों और वामपंथियों ने गावस्कर को इस तरीके से खारिज की है। 2020 में जब देश में सीएए विरोधी प्रदर्शन हो रहे थे तो एक कार्यक्रम के दौरान गावस्कर ने कहा था कि युवाओं को नए भारत के निर्माण पर अपना ध्यान लगाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया था कि कुछ युवा अपनी पढ़ाई, करियर पर ध्यान देने की बजाय अपने साल को बर्बाद करने में लगे हैं। इसके बाद भी लिबरलों ने इसी तरह की प्रतिक्रिया दिखाई थी।

अब भागवत के हाथों मानद उपाधि ग्रहण करना उन्हें अपराध लग रहा है। अपनी घृणा में वे गावस्कर की उपलब्धियों को नकार रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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