उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फँसे 41 मजदूर सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिए गए हैं। इन मजदूरों को निकालने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर उत्तराखंड के स्थानीय प्रशासन ने कदम से कदम मिलाकर काम किया। हालाँकि, इस सफलता के बीच भी लिबरल समुदाय मजहबी प्रोपेगैंडा चलाना नहीं भूला।
सिलक्यारा के निर्माणाधीन सुरंग में ये सभी 41 मजदूर 12 नवम्बर 2023 से इसमें फँसे थे। इन्हें निकालने के लिए 3 फीट व्यास वाला एक पाइप डाला गया था। सुरंग से निकालने के बाद स्वास्थ्य की जाँच के लिए उन्हें ऋषिकेश के AIIMS ले जाया गया। उधर, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इन मजदूरों के परिजनों के साथ 29 नवंबर 2023 की शाम को दिवाली मनाने की घोषणा की है।
कैसे हुआ सफल ऑपरेशन – सरकारी और निजी क्षेत्र का समन्वय लाया कामयाबी?
12 नवम्बर 2023 को सुबह 5:30 बजे इस सुरंग में काम चल रहा था। इसी दौरान इसमें मलबा गिरा और अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फँस गए। इनको निकालने के लिए सबसे पहले मलबा हटाने का प्रयास किया गया। हालाँकि, नया मलबा आते रहने के कारण यह तरीका कामयाब नहीं हुआ।
इसके बाद मलबे के भीतर से ही पाइप अन्दर डालने की योजना बनाई गई। जहाँ रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए यहाँ काम कर रह निजी कम्पनी ने मोर्चा संभाला तो वहीं यह पाइप लाने के लिए प्रशासन जुट गया। सबसे पहले देहरादून से पाइप भेजवाए गए।
केंद्र सरकार ने मामले पर अपडेट लेते हुए वायुसेना को तुरंत एक्शन मोड में ला दिया और वायुसेना के हवाई जहाजों ने देश भर से नए पाइप घटनास्थल तक पहुँचाए। अन्दर फँसे श्रमिकों तक खाना पानी पहुँचाने के लिए निजी कम्पनी और प्रशासन, दोनों ने ही कमर कसी।
प्रशासन ने वह सारी व्यवस्था निजी कम्पनियों को करके दी, जो उसे रेस्क्यू में सहायता कर रही थीं। जब जब इन रेस्क्यू टीम को नई मशीनों या अन्य संसाधनों की आवश्यकता पड़ी तो वायु सेना से लेकर राज्य सरकार ने उपलब्ध करवाए। चाहे वह ऑगर मशीन लाना हो या फिर हैदराबाद से प्लाज्मा कटर जैसी मशीनें लाना हो।
प्रशासन ने यहाँ देश विदेश से सुरंग के मामले के जानकारों को भी इकट्ठा किया और उन्हें व्यवस्थाएँ उपलब्ध करवाई। प्रधानमंत्री कार्यालय भी लगातार इस मामले में अपडेट लेता रहा। केंद्र की ओर से घटनास्थल पर केन्द्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा भी पहुँचे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी पूरे रेस्क्यू को निजी स्तर पर देखा है। सुरंग के अन्दर बेहतर तकनीक के लिए यहाँ काम कर रही निजी कम्पनियों के इंजिनियर लगे रहे और लगातार नए तरीके अपनाते रहे। श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए NDRF और SDRF की टीम लगाई गईं, जो सफलतापूर्वक उन्हें बाहर निकाल कर लाई।
ऑपरेशन कामयाब, लिबरल परेशान
जहाँ 17 दिनों के बाद श्रमिकों को सफलतापूर्वक निकाले जाने से पूरा देश प्रसन्न है, वहीं लिबरल गैंग अपने प्रोपगैंडा को चलाने में व्यस्त हो गया है। उसके लिए इन मजदूरों को निकालने वालों को धर्म जानना बहुत जरूरी हो गया है। रेस्क्यू मिशन में लगे 2,000 लोगों में से इन प्रोपगैंडा करने वालों को कुछ ऐसे नाम मिले जो कि मुस्लिम थे।
कथित पत्रकार सागरिका घोष ने सबसे पहले इन रेस्क्यू करने वालों को धर्म के आधार पर बाँटा और उनमें प्रमुखता से मुस्लिम नामों को दोहराया। एंकर राजदीप सरदेसाई ने भी यही किया। कई प्रोपगैंडाबाजों ने यही तरकीब अपनाई और कुछ मुस्लिम रेस्क्यू पर्सनल को पूरा श्रेय देने का प्रयास किया।
Roll call of honour: Remember the names of our Rat miner super—heroes: Feroz and Munna Quereshi, Rashid ,Irshad ,Naseem ,Monu ,Naseer , Ankur ,Jatin ,Saurabh, Waqeel Hasan , Devender. Aap sabko desh ka salaam! 🙏When India stays united, India wins! ⭐️⭐️
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 29, 2023
The roll of honour of rescuers at #UttarakhandTunnelRescue : DG NDRF Atul Karwal, Lt Gen. Harpal Singh, Syed Ata Hasnain of NDMA, Mahmood Ahmed, managing director NHIDCL, Cyriac Joseph of Squadrone, and rat hole miners, from India’s poorest sections, among them Wakeel Khan and…
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) November 28, 2023
Salute to the rat miners who saved the tunnel workers. Among the rat miners are Munna Qureshi and Feroz Qureshi. Says much that, to save the workers, they came to Uttarakhand, the same state where Muslims face state-sanctioned violence and expulsion. https://t.co/arqwrSPW5a
— Clifton D' Rozario (@clifroz) November 29, 2023
Wakil Khan and Munna Qureshi entered tunnel and dug it manually to save the lives of 41 workers who were trapped in the #UttarakhandTunnel for the last 17 days. pic.twitter.com/qEnIfkdjTd
— Md Asif Khan (@imMAK02) November 28, 2023
हालाँकि, हर बात में हिन्दू-मुस्लिम ढूँढने वालों को एक्स पर ही कड़ा जवाब मिला। भारत के पूर्व विदेश सचिव कँवल सिब्बल ने इस पर प्रश्न पूछा कि यदि रेस्क्यू करने वाले सारे व्यक्ति हिन्दू होते तो क्या उनका नाम सम्मान से नहीं लिया जाता?
If they were all Hindus no roll call of honour would be needed? There would be no heroes? Because some of them are Muslims, the names of Rat miners have to be remembered. Rescue has to be remembered because it was secular? Why think in these terms? https://t.co/e6ClZzJfNg
— Kanwal Sibal (@KanwalSibal) November 29, 2023
एक व्यक्ति ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “विश्व में 99% आतंकी हमले मुस्लिम करते हैं, लेकिन आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। 2,000 रेस्क्यू करने वालों में 2 मुस्लिम हैं और ये अब कॉन्ग्रेसियों, वामपंथियों और लिबरलों के लिए हीरो बन गए हैं।”
99% of terrorist attacks are solely done by Musalmans but there is no religion of terrorists.
— दीक्षित जी (@AeroDixit) November 29, 2023
Out of 2000 rescue operators 2 are from muslim community but these 2 rat hole miners have became hero of rescue operation for congi stooges, leftists and anti.
Shame on their thinking. https://t.co/NqDbFgZRYm
एक्स पर इस सुरंग में रैट माइनिंग के जरिए मजदूरों को निकालने वाले रेस्क्यू पर्सनल का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वह भारत माता की जय के नारे लगाते दिखे हैं।
All rat miners irrespective of their religion chanting ‘Bharat Mata ki Jai’ & ‘Vande Mataram’. This is new Bharat. A tight slap to fiberals (fake liberals) & Lutyen’s media for dividing them in Hindu-Muslim. This cabal(fiberals & Lutyens) is most communalpic.twitter.com/sR7sXrwqbK
— Randeep Sisodia (@Randeep_Sisodia) November 29, 2023
लोगों ने कहा कि यह बिना किसी धर्म-जाति में बँटे हुए ये नारे लगाए हैं, जबकि लिबरल इसमें लोगों को बाँट रहे थे।