गुड़िया जब ज़मीन पर गिर तो हमलावरों ने उस पर कार चढ़ा दी। गुड़िया को बचाने के लिए दौड़ी ताहिरा खातून को भी हमलावरों ने गाड़ी से रौंद दिया। इसके बाद हमलावर घटनास्थल से फ़रार हो गए।
प्रदेश अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग ने सभी आरोपितों पर रासुका के तहत कार्रवाई करने को कहा है। आयोग के अध्यक्ष डीजीपी बृजलाल के मुताबिक़ इस कांड में पुलिस व प्रशासन की लापरवाही सामने आई है।
आरजू अपने पति अमित के साथ एसपी से मिलने पहुँची थी। उसने बताया कि उन दोनों ने पिछले दिनों भागकर शादी की थी। कुछ दिन बाद जब इसकी भनक ग्रामीणों को लगी तो उन्होंने लड़के और उसके परिवार को मारपीट करके गाँव से निकाल दिया।
ग्राम प्रधान यज्ञवत घुर्तिया ने दो साल पहले एक आईएएस अधिकारी से उम्भा गाँव में 90 बीघा जमीन खरीदी थी। बुधवार सुबह प्रधान घुर्तिया जमीन पर कब्जा करने के लिए कई लोगों को ट्रैक्टर ट्राली से लेकर गाँव पहुँचा था। प्रधान ने ट्रैक्टर से जुताई शुरू की तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया।
खेत में घुसी गाय को देखकर इन्होंने पहले उसे धारदार हथियार लेकर भगाया और फिर गाँव में एक धार्मिक स्थल के पास उसे घेरकर मारना शुरू कर दिया। घटना में गाय की मौके पर ही मौत हो गई।
छुआछूत हिन्दू समाज को उसी पायदान पर खड़ा करता है जिस पर समुदाय विशेष पर्दा, हलाला, बुरका और तीन तलाक के चलते खड़े हैं- इंसान से उसकी गरिमा का हक छीनने वाला चाहे तीन तलाक हो, हलाला हो, या छुआछूत, वह बराबर निंद्य है।
नीरज शेखर 2 बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के निधन के बाद 2007 में बलिया सीट से पहली बार जीत हासिल की थी और बाद में वो 2009 में फिर से सांसद निर्वाचित हुए थे। 2014 में हार का मुँह देखने के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया।
"इस गाँव में 95 प्रतिशत दूसरे मजहब से हैं। आज दलित नाई की दुकान में जाने की माँग कर रहे हैं, कल को शादी-घर बुक करने की माँग करेंगे। ये लोग यहाँ अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। यहाँ दशकों से शांति बनी हुई थी। इस मामले को गलत मक़सद से हवा दी जा रही है।"
मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि जो गौ-पालक दूध निकाल कर पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं, उनके ख़िलाफ़ जुर्माने और दंड की सख्त कार्रवाई हो। वहीं जो निराश्रित गोवंश को पाल रह हैं, उन्हें 900 रुपए प्रतिमाह दिए जाएँ।
आजम खान और उनके सहयोगी अलेहसन खान नाम के एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने 26 किसानों से जमीन हड़प ली और इस जमीन का उपयोग आजम खान ने अपनी करोड़ों की मेगा परियोजना- मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में किया।