Saturday, April 20, 2024

विषय

औरंगज़ेब

‘मुस्लिमों का अब्बा नहीं बाबर, औरंगजेब चाचा नहीं’: औरंगाबाद को ‘संभाजी नगर’ करने पर शिवसेना-कॉन्ग्रेस भिड़ी

शिवसेना ने सामना में लिखा है कि बाबर भारत के मुस्लिमों का पिता नहीं है और उसी तरह पापी औरंगज़ेब यहाँ के मुस्लिमों का चाचा नहीं है।

‘हिन्दू तो सिखों से अलग हैं, तुम उनका नेतृत्व मत करो’: औरंगजेब के कपट का जवाब वेदों से दिया, गुरु ने शीश कटा दिया...

आज ही नहीं, आज से 345 वर्ष पूर्व भी किसी ने कहा था कि हिन्दू और सिख अलग-अलग हैं। लेकिन, गुरु तेग बहादुर ने उसकी बात को नकार दिया। वेदों से उद्धरण दिए।

दारा शिकोह: ‘धोखे’ से जिसकी 4 लाख की सेना 40000 वाले औरंगजेब से हारी और इतिहास ने जिसके साथ फिर किया ‘धोखा’

दारा शिकोह के एक हाथ में पवित्र कुरान थी और दूसरे हाथ में पवित्र उपनिषद। वो मानता था कि हिन्दू और इस्लाम धर्म की बुनियाद एक है। वो नमाज और...

जीभ काटी, आँखें फोड़ी, नाखून उखाड़े, सर काट कर कुत्तों को खिलाया: छत्रपति संभाजी महाराज को मिली इस्लाम कबूल न करने की सज़ा

छत्रपति संभाजी महाराज के शरीर के अंग काट लिए जाते थे और रात भर तड़पने के लिए छोड़ दिया जाता था। फिर भी उन्होंने इस्लाम कबूल नहीं किया।

…उस मुगल ‘बादशाह’ की कब्र खोजेगा ASI, जिसने किया था गीता और 52 उपनिषदों का अनुवाद

"अगर औरंगजेब की जगह वह शहंशाह होता, तो क्या अलग भारत होता? ये धारणाएँ मुगल इतिहास की मिसप्लेस्ड अंडरस्टैंडिंग की वजह से आ रही हैं। उन्हें एक अच्छा मुस्लिम बनाया गया है लेकिन उनकी कब्र की खोज क्यों हो रही है?”

औरंगज़ेब के नाम पर सिखों ने पोती स्याही, कहा- वह लाखों हिंदुओं का क़ातिल, उसके नाम से आहत होती है भावना

"औरंगज़ेब हिंदुओं का ज़बरन धर्म परिवर्तन करता था। वो लाखों हिंदुओं का क़ातिल है। उसके नाम पर सड़क करोड़ों हिंदू और सिखों की भावना के साथ खिलवाड़ है। उसका नाम सड़कों और किताबों से हटाय जाए।"

जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफ़न की गई थी मंदिरों से लूटी गई हिन्दू प्रतिमाएँ, ये रहा सबूत

दिल्ली का जामा मस्जिद, जिसे शाहजहाँ ने बनवाया था। औरंगज़ेब के आदेश से मंदिरों से लूटी गईं हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफ़न कर दिया गया था। इसका सबूत है 'मसीर-ई-आलमगीरी', जो औरंगज़ेब की जीवनी है। पढ़िए क्या लिखा है इसमें?

वो मुग़ल बादशाह, जो बेटे की याद में रोते-रोते मरा… जबकि बेटा था ‘इस्लाम का दूत’

1666 में वो आज की ही तारीख़ थी, जब आगरा के किले में नज़रबंद एक बूढ़े मुग़ल बादशाह ने आख़िरी साँस ली थी। मौत के वक़्त उसके सारे कुकर्म लौट कर वापस उसके ही पास आए और इतिहास ने अपने-आप को फिर से दोहराया।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe