1947 के भारत-पाक युद्ध की बात करते हुए बताया गया कि उस समय 21,348 ऐसे परिवारों को रजिस्टर किया गया था, जो विस्थापित हो गए थे। इनमें से 26,319 परिवार पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में बस गए थे।
मोदी ने कहा था, 'मैं 130 करोड़ देशवासियों को बताना चाहता हूँ कि 2014 में पहली बार मेरी सरकार के सत्ता में आने के बाद से NRC पर कभी चर्चा नहीं हुई।' उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के आदेश की वजह से सिर्फ असम में किया गया। मोदी ने यह भी कहा था कि, नागरिकता कानून या NRC का भारतीय मुस्लिमों से कुछ लेना देना नहीं है।
चारों विद्रोही गुटों का नेतृत्व राजन दईमारी, गोविंदा बसुमतारी, धीरेन बोडो और बी सओरिगरा करते रहे हैं। इनके अलावा एक अन्य बोडो संगठन एबीएसयू के अध्यक्ष प्रमोद बोडो और बोडोलैंड टेरीटोरियल कॉउन्सिल के अध्यक्ष हाग्रामा मोहिलारी ने भी इस करार पर साइन किया।
Lesser Known Individual कहता है कि ऑपइंडिया उससे डरता है। यहाँ बताना ज़रूरी है कि मानहानि उसी का होता है, जिसका कुछ मान होता है। एक गालीबाज खलिहर का भला क्या मान? भला हो कि उसने गृह मंत्री से ये नहीं पूछा कि राहुल गाँधी को 'पप्पू' कब घोषित किया गया?
राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए इस रिपोर्ट का नाम दिया गया है- “उत्तर प्रदेश में आए पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश के शरणार्थियों की आपबीती कहानी” - इस रिपोर्ट में शरणार्थियों की निजी कहानियाँ और अनुभव भी समाहित हैं।
लगभग 1000 वहाबी प्रचारक (कट्टर इस्लाम के प्रचारक) केरल में आए। विचारधारा को फैलाया, पानी की तरह पैसा बहाया। कई नई मस्जिदों का निर्माण कराया, सब सऊदी अरब स्टाइल में। लेकिन यह सुनिश्चित किया कि इन मस्जिदों से कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार किया जाएगा।
इससे पहले भी जामिया में हिंसा को लेकर आप का दोहरा रवैया सामने आ चुका है। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ट्विटर पर दिल्ली पुलिस पर आग लगाने का इल्जाम लगाया था। वहीं, एक वीडियो में हिंसक भीड़ की अगुवाई करते पार्टी विधायक अमानतुल्लाह नजर आए थे।
यूॅं तो नॉर्थ ब्लॉक ने कई गृह मंत्री देखे हैं। पटेल से लेकर शाह तक। पर ज्यादातर के नाम भी याद नहीं आते। कड़े फैसलों की वजह से पटेल याद किए जाते हैं। शाह भी उसी राह पर हैं। लेकिन, कुछ ऐसे भी हुए हैं जो आतंकी हमले के वक्त भी हर घंटे सूट बदल रहे थे।
के विजय कुमार को बहुचर्चित चन्दन तस्कर वीरप्पन को मार गिराने के लिए जाना जाता है। उन्होंने तमिलनाडु पुलिस की उस स्पेशल टास्क फ़ोर्स का नेतृत्व किया था, जिसने दशकों तक कई राज्यों की पुलिस को छकाने वाले वीरप्पन को 2004 में मार गिराया था।
इन 21 के अलावा ज़िला कलेक्टर ने यह भी बताया कि 28 अन्य पाकिस्तानी प्रवासियों ने भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है और उसके लिए प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा 63 अन्य मामलों में भी जाँच हो रही है और जल्द से जल्द उन सभी को भारतीय नागरिकता देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।