दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगे हुए। लेकिन प्रोपेगेंडा पोर्टलों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने दंगाइयों को बचाने के लिए हिंदुओं के खिलाफ घृणा परोसी। इसका असर अब दिखने लगा है। हिंदुओं को उनकी पहचान के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
वहाँ टी स्टॉल के बगल में स्थित रजाई-गद्दों की एक दुकान को भी जला डाला गया। वहाँ स्थित एक ग़रीब की ठेले को भी आग के हवाले कर दिया गया। सूरज जी अपनी चाय की दुकान जलाए जाने के बाद से लगातार भटक रहे हैं और उन्हें अब न्याय की उम्मीद है।
फ़िलहाल गुरुवार दोपहर 12:30 बजे तक इस मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया गया है। जज ने जैसे ही आदेश की घोषणा की, वकीलों के एक समूह ने 'जय श्री राम' और 'हर हर महादेव' के पवित्र नारों से आसमान गूँजा दिया।
"चाँदबाग चौराहे के पास ही दुर्गा फकीरी मंदिर है। पेट्रोल पंप फूँकने के बाद दंगाई तेजी से चारो तरफ आग लगा रहे थे। शाम का समय था। दहशत और शोर बढ़ता जा रहा था। जैसे ही भारी संख्या में दंगाइयों की नजर मंदिर की तरफ पड़ी तो सबसे पहले मंदिर बचाने के लिए मंदिर के पुजारी प्रार्थना करने लगे। दंगाइयों ने मंदिर पर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी।"
राहुल गॉंधी ने बुधवार को दिल्ली के दंगा प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। इस दौरान एक बार फिर जुबान फिसलने की उनकी आदत सामने आ गई। साथ ही एक महिला ने कॉन्ग्रेस नेताओं को दंगों के लिए जिम्मेदार बताया।
सब कुछ सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। कुछ भी अचानक नहीं हुआ। हिंदुओं की संपत्ति को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। निर्मम तरीके से हत्या की गई। रूह कॅंपाने वाली चुनिंदा कहानियॉं ताकि सनद रहे उस कथित 'डरी हुई भीड़' की बर्बरता।
द प्रिंट के पत्रकार ने कपिल मिश्रा से इंटरव्यू के लिए समय देने की गुहार लगाते हुए कहा कि बीजेपी नेता को हर जगह से ख़ासा समर्थन मिल रहा है। उसने कहा कि वो 'द प्रिंट' में उन पर लेख अथवा प्रोफाइल तैयार करना चाहता है।
दयालपुर थाने में अजय गोस्वामी ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि ताहिर हुसैन के मकान से गोलियॉं चल रही थी। पत्थरबाजी और पेट्रोल बम भी फेंके जा रहे थे। पुलिस उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करने की भी तैयारी कर रही है।
"बंगाल में चूहा भी काट ले तो ये लोग (BJP वाले) सीबीआई जाँच की माँग करते हैं। वहीं, दिल्ली में इतने लोगों की हत्या हुई, इसको लेकर कोई न्यायिक जाँच नहीं हुई। मैं सुप्रीम कोर्ट के जजों के द्वारा न्यायिक जाँच की माँग करती हूँ।"
कविता ने मुश्किल वक्त में भी हौसला नहीं छोड़ा। फिर भी अपना सुहाग नहीं बचा पाई। उसके सास-ससुर तो इतने डरे हुए हैं कि श्मशान घाट से ही गॉंव लौट गए। शिव विहार के उस घर तक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए जहॉं उनका लाडला रहता था।