Thursday, March 30, 2023

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जिस गड्ढे में अपना दूध छलका रही थी गाय, वहीं से निकले गोरक्षनाथ: भभूत और गोबर से जुड़ी है गुरु गोरखनाथ के जन्म की...

नेपाल के गोरखा जिले में एक गुफा है, जहाँ गोरखनाथ का पग चिन्ह है, एक मूर्ति भी है। यहाँ हर साल वैशाख पूर्णिमा को उत्सव मनाया जाता है, जिसे...

बजरंगबली की हुई थी 3 शादी, एक खास मंदिर में पत्नी के साथ हैं विराजमान: हनुमान जयंती पर जानें पौराणिक कथा

मंगलमूर्ति हनुमान जी एक बाल ब्रह्मचारी और रामभक्त के रूप में पूजे जाते हैं, यह आप सभी को पता होगा पर क्या वे अविवाहित थे?

फगुआ, दोल जात्रा, होला मोहल्ला, भगोरिया… हर राज्य में उल्लास का अलग है रंग: भारत की विविधता, संस्कृति, लोक कला, साहित्य को समेटती होली

होली का वर्णन जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र, नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे कई पुराणों में इस पर्व का उल्लेख मिलता है।

रंगभरी एकादशी: कश्मीरी पंडितों की रजत पालकी पर विराजमान महादेव कराएँगे माँ गौरा का गौना, 358 वर्षों से जीवंत है काशी की यह परम्परा,...

काशी में रंगभरी एकादशी 358 वर्षों से अपने भव्यतम स्वरूप में निरंतर निभाई जा रही है। इसके पहले कहा जाता है कि मुग़लों के शासन में लम्बे समय तक यह परंपरा बाधित रही।

ऋतुराज बसंत: ज्ञान, संगीत, कला की उपासना से लेकर काम और मोक्ष का जीवंत उत्सव भी, जानिए पौराणिक-सांस्कृतिक महत्व

बसंत, बसंत पंचमी, मदनोत्सव, सरस्वती पूजा, होली की प्रारम्भिक शुरुआत, श्मशान में मौत के तांडव पर भारी जीवन का उत्सव – ऋतुराज बसंत यह सब कुछ है।

मकर संक्रांति: जीवन की गतिशीलता, चरम बोध और आनंद का उत्सव; सनातन संस्कृति के इस पर्व में छिपा है गूढ़ विज्ञान

भारत की सांस्कृतिक विरासत यूँ ही इतनी विविधताओं से भरा नहीं है। इन सबके पीछे छिपा है जीवन का सनातन सिद्धांत। ऐसे में जानिए मकर संक्रांति के पीछे क्या है?

नव-सृजन से हो नव-वर्ष का अभिनंदन! अँधेरे के बजाय सूर्य की पहली किरण से हो स्वागत

नव वर्ष के स्वागत के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे हर मन में सात्विक नव ऊर्जा का संचार हो। आखिर नव-सृजन से ही तो होना चाहिए नव-वर्ष का अभिनंदन!

धनतेरस पर ₹75000 करोड़ का बिका सोना, 15 टन गहने-सिक्कों का हुआ कारोबार: वापस लौटी Gold की चमक

धनतेरस पर देशभर में लगभग 75,000 करोड़ रुपए की लगभग 15 टन सोने की बिक्री हुई। दुकान पर जाकर खरीदारी करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में भी 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

ईश्वर के स्त्री रूप को समर्पित नवरात्रि: दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती स्त्री-शक्ति के तीन आयाम, जानिए क्या है इसका आध्यात्मिक पक्ष

नवरात्रि क्या है? मनाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? क्यों है ये आदि सनातन परम्परा का वाहक? कुछ तो होगा इस उत्सव धर्मिता के पीछे का रहस्य?

दिगंबर के लिए ‘उत्तम क्षमा’ तो श्वेताम्बर कहेंगे ‘मिच्छामि दुक्कड़म्’: जानिए क्या है मानवीय विकृतियों पर विजय का महापर्व पर्युषण

पर्युषण पर्व जहाँ श्वेतांबर के लिए 8 दिन का होता है वहीं दिगंबर 10 दिन तक मनाते हैं। जिसे 'दसलक्षण' कहते हैं। ये दसलक्षण हैं- क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन एवं ब्रह्मचर्य।

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