इस रिपोर्ट के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि 2004 से अब तक 235 सांसदों की औसत संपत्ति ₹6.08 करोड़ थी। जबकि पिछले तीन चुनावों में लगातार जीतने वाले 5 सांसदों की संपत्ति में बड़े स्तर पर इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह हमला देश की आत्मा पर हुआ है। लेकिन जिन लोगों ने यह हमला किया है वह देश को ज़रा सी चोट नहीं पहुँचा सकते हैं, इस मामले में पूरा विपक्ष सुरक्षाबलों और सरकार के साथ हैं।
लोकसभा में चर्चा हो गई, सवालों का जवाब दे दिया गया, सुप्रीम कोर्ट ने संतुष्टि जता दी, बिंदुवार आँकड़े दे दिए गए, कैग की रिपोर्ट आ गई, लेकिन राहुल का लिप-लॉक टूट ही नहीं रहा!
राहुल ने सदन के अंदर महज 14 चर्चाओं में ही हिस्सा लिया है। उन्होंने सरकार से एक भी धारदार सवाल पूछने की हिम्मत नहीं की। यही नहीं, राहुल गाँधी ने सदन के अंदर एक भी प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया।
राहुल गाँधी हमेशा से ही नए-नए तरीक़ों का इस्तेमाल करके भाजपा के ख़िलाफ़ टीका-टिप्पणी करते नज़र आते हैं। फिर भले ही कॉन्ग्रेस का हर दावा झूठा ही क्यों न साबित हो जाए।
बंगाल प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के प्रमुख सोमेंद्र नाथ मित्रा ने भी ममता बनर्जी को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि अगर पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार निर्दोष हैं, तो फिर वह पूछताछ से क्यों बच रहे हैं?