राहुल गाँधी 'रेप इन इंडिया' जैसा विवादित बयान देते हैं तो उनके चेले-चपाटे स्मृति ईरानी को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर झूठ फैलाते हैं। वो भी उस शख्स के साथ जिसे पद्म भूषण सम्मान मिल चुका है, जो BEST सांसद रह चुका है।
एडीजे कोर्ट ने जेल में बंद अभिनेत्री पायल रोहतगी को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें जमानत दे दी है। कोर्ट ने पायल की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों के वकीलों की बहस के बाद रोहतगी द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए नेहरू-गाँधी परिवार के वीडियो को देखा और इसके बाद अपना फैसला सुनाया।
“हमारी ख्वाहिश और हमारी आरजू ये है कि दिल्ली में चक्का जाम हो। सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, पूरे देश में, जहाँ मुस्लिम कर सकता है। मुस्लिम हिन्दुस्तान के 500 शहरों में चक्का जाम कर सकता है।"
कॉन्ग्रेस के लोग जिस तरह से व्हाट्सप्प ग्रुप बना कर कॉलेज कैम्पस में उपद्रव की साज़िश रच रहे हैं, उसका पर्दाफाश होना ज़रूरी है। इन ग्रुप्स में कॉन्ग्रेस से जुड़ाव छिपा कर उपद्रव को न्यूट्रल प्रोटेस्ट साबित करने की कोशिश की जाती है। जानिए उस ग्रुप के एडमिन्स और मैसेजों के बारे में।
पायल को बूॅंदी पुलिस ने रविवार को अहमदाबाद स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था। उन पर नेहरू को लेकर सोशल मीडिया में आपत्तिजनक पोस्ट करने का आरोप है। गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थन में सोशल मीडिया में 'आई स्टैंड विथ पायल रोहतगी' ट्रेंड करने लगा था।
जातिगत भेदभाव के आरोपों में घिरे प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार जॉंच पूरी होने तक माखनलाल यूनिवर्सिटी के कैंपस में प्रवेश नहीं कर पाएँगे। लेकिन, उससे पहले छात्रों के साथ जो कुछ हुआ वह हतप्रभ करने वाला था। पीड़ित छात्रों की जुबानी सुनिए उस रात की प्रताड़ना।
गुरु यानी गुरु प्रसाद। सचिन तेंदुलकर उनसे 19 साल पहले मिले थे। अब एक वीडियो जारी कर उनकी तलाश करने में लोगों से मदद मॉंगी है। ऐसा क्या है गुरु में खास कि खुद तलाश रहे क्रिकेट के भगवान?
पायल रोहतगी सोशल मीडिया में वीडियो के जरिए अपनी बात रखती रहती हैं। उन पर नेहरू को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी का आरोप है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ट्रेंड हो रहा है 'आई स्टैंड विथ पायल रोहतगी'।
अगर कोई अपनी व्यक्तिगत कुंठा के कारण छात्रों से सौतेला व्यवहार करे तो क्या ऐसे किसी शिक्षक को शिक्षा देने का हक़ होना चाहिए? जब शिक्षा के मंदिर में ही छात्रों से भेदभाव हो। उनके बीच के आपसी सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश हो! जातिगत राजनीति हो तो भला छात्र पढ़ने कहाँ जाएँ? क्या पार्लियामेंट में या सड़क पर?