Tuesday, September 17, 2024

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हिंदुत्व

40 वर्षों बाद जल-समाधि से निकाले गए भगवान: देश-विदेश से पहुँचे लाखों श्रद्धालु, सिर्फ़ 48 दिन होंगे दर्शन

48 दिनों तक चलने वाली दर्शन की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने पूरी व्यवस्था की है। ढाई हज़ार से भी अधिक पुलिसकर्मियों की देखरेख में महोत्सव चल रहा है। राज्यपाल बनवारी लाल ने पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया। इसके पीछे की कहानी जानिए।

राम मंदिर पर इंग्लैंड में हमला, प्रतिमाएँ तोड़ी गईं, 3 महीने में तीसरी घटना

सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि ब्लैक हुडी पहने एक शख्स हाथ में क्रिकेट बैट या फिर हॉकी स्टिक लेकर आता है और उन मूर्तियों पर भयानक तरीके से प्रहार करता है।

हिन्दू रीति-रिवाजों व साधु-संतों का अपमान करना ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’: ET की महिला पत्रकार

'द इकनोमिक टाइम्स' की पत्रकार ने हिन्दू रीति-रिवाजों का अपमान करने की बात कही है। पत्रकार ने कहा कि हिन्दू रीति-रिवाजों का अपमान करना 'अभिव्यक्ति की आज़ादी' के अंतर्गत आता है। उन्होंने लिखा कि पेरियार की भूमि पर यह सब मान्य है।

ये हिन्दू ‘बनने’ का मौसम आ गया है, हिन्दू-विरोध पर आधारित था नेहरूवादी सेक्युलरिज्म: जेटली

हाशिए पर पड़े 'गैर-राष्ट्रभक्त' मीडिया और सोशल मीडिया पर चाहे जितनी हाइप पा लें, निर्वाचन में जनता उन्हें नकार देगी- यही लोकतंत्र की ताकत है।

झूठ के सहारे तुफैल द्वारा हिंदुत्व को हिंसक साबित करने का खोटा प्रयास, देवी-देवताओं का अपमान

यहाँ तुफैल अहमद ने दो बड़ी गलतियाँ की। पहली ग़लती, हिन्दू देवी-देवताओं द्वारा धारण किए गए अस्त्र-शस्त्रों को हिंसा से जोड़कर देखा। दूसरी ग़लती, माँ सरस्वती के बारे में बिना तथ्य जाने झूठ बोला। दोनों ही गलतियों को तथ्यों व सबूतों के साथ काटा गया है। 'शांतिप्रिय' तुफैल शायद...

गीता कहती है हिन्दू बनो: सेक्स कांड में ‘बदनाम’ कॉन्ग्रेसी नेता ने भगवद्गीता को लेकर फैलाया झूठ

चव्हाणके ने सिंघवी को चुनौती देते हुए कहा कि आप गीता की वो पंक्ति बता दो जिसमें श्रीकृष्ण ने हिन्दू बनने को कहा हो लेकिन सिंघवी ने उनकी इस चुनौती का कोई जवाब नहीं दिया। चव्हाणके ने सिंघवी को वेद समझाते हुए बताया कि वेदों का भी कहना है कि मनुर्भव अर्थात मनुष्य बनो।

‘सम्राट अशोक ने रोबोटों से लड़ा था युद्ध, वैज्ञानिक सोच के मामले में हिन्दू ग्रंथ था विश्व-गुरु’

अजातशत्रु के अभियंताओं ने ऐसे रथों का अविष्कार किया, जिनमें घूमते चक्र थे। फारसी रथों में लगी हुई दरांतियाँ इसी से प्रेरित थीं। प्राचीन व्यक्तियों ने कृत्रिम जीवन, रोबोट आदि बनाने के बारे में तब सोचना शुरू कर दिया था, जब वे इसे निष्पादित करने से कोसों दूर थे।

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