मंदिरों की संपत्ति तो पहले ही सरकारी कब्जे में है। सबसे ज्यादा ज़मीनों वाले चर्च और वक्फ बोर्ड को तो सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखा गया है, लेकिन सरकार मंदिरों की जमीनें समय-समय पर, किसी न किसी बहाने से बेचती रही है।
इस हमले में कट्टरपंथी नेता मियाँ मिट्ठू का हाथ सामने आया था। उसने न सिर्फ़ मंदिर बल्कि स्कूल को भी नुक़सान पहुँचाया। मियाँ मिट्ठू के नेतृत्व में भीड़ ने पुलिस के सामने शिक्षक की पिटाई की, मंदिर में तोड़फोड़ और स्कूल को नुक़सान पहुँचाया।
इस हमले में कट्टरपंथी नेता मियाँ मिट्ठू का हाथ सामने आया है। उसने न सिर्फ़ मंदिर बल्कि स्कूल को भी नुक़सान पहुँचाया। मियाँ मिट्ठू के नेतृत्व में भीड़ ने पुलिस के सामने शिक्षक की पिटाई की, मंदिर में तोड़फोड़ किया और स्कूल को नुक़सान पहुँचाया।
ये मंदिर 51 शक्तिपीठों की प्रतिकृतियाँ होंगी। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया है कि इसके साथ ही रॉक-कट मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध देवतामुरा और उन्नावकोटी पहाड़ियों के लिए एक हेलीकाप्टर सेवा भी शुरू की गई है।
हिन्दू का व्यवसाय धंधा तो मजहब विशीष का कारोबार इबादत कैसे? क्यों असहिष्णुता गणेश चतुर्थी पर ही आती है, मुहर्रम पर नहीं? क्यों कम्पनियॉं मानती हैं कि जूते खाकर भी आप उनका ही प्रोडक्ट खरीदेंगे। जवाब है, हिन्दू आज अपनी ही संस्कृति, दर्शन और इतिहास का मज़ाक बनाने वालों के पोषक बने हुए हैं।
शिक्षिका ने जब आरती करने के लिए कहा तो दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों ने मना कर दिया, क्योंकि वे ईसाई हैं। शिक्षिका ने उनके अभिवावकों को समझाने की कोशिश की कि अगर वे महज़ आरती से इतना बिदक रहे हैं, तो भरतनाट्यम सीखेंगे कैसे?
"इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए 2010 के फैसले में, विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा दूसरे समुदाय को दिया गया था, न कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को। इसलिए वो अपना हिस्सा हिन्दुओं को देना चाहते हैं। इसका एक आधार यह भी है कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की संपत्ति है।"
हिन्दू खुद ही न इस मुद्दे पर जागरुक है न उद्वेलित, इसलिए सरकारें भी मस्त नींद से ग्रस्त हैं। जानना ज़रूरी है कि मंदिरों की हुंडी में, दान-पेटिका में जो पैसा श्रद्धालु अपने देवता के प्रति कृतज्ञता में, मंदिर के काम के लिए, पुजारी जी की आजीविका के लिए डालते हैं, उस पैसे पर सरकारें कैसे डाका डालती हैं।