एक छात्रा ने ये भी बताया कि हर शुक्रवार (जुमा) को स्कूल में नमाज पढ़ना अनिवार्य था। हिंदी-अंग्रेजी से ज्यादा उर्दू-अरबी सिखाया जाता था। प्रार्थना में दुआ पढ़ने को कहा जाता था।
प्रिंसिपल कायस्थ परिवार की है, लेकिन अब वो 'खान' लगाती है। इसी तरह 2 अन्य शिक्षिकाएँ भी 'यादव' और 'जैन' की जगह 'खान' बन गईं। स्कूल में धर्मांतरण का खेल।