कई शिकायतकर्ता एक हाउसिंग प्रोजेक्ट के निवेशक हैं, जिन्होंने कहा है कि उनका सारा रुपया डूब गया। इसके अलावा कई अन्य किस्म के आरोप भी हैं। इनकम टैक्स द्वारा दायर की गई चार्जशीट के आधार पर ईडी शिवकुमार के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चला रही है।
मोईन कुरैशी दुबई और लंदन से लेकर यूरोप तक के हवाला कारोबार में संलग्न रहा है। केंद्र सरकार के कई बड़े अधिकारियों का कहना है कि कॉन्ग्रेस के बड़े नेताओं ने मोईन कुरैशी को बचाने के लिए पूरा जोर लगाया और उसे संरक्षण दिया।
ED ने अदालत को बताया कि 317 बैंक खातों के जरिए धन शोधन किया गया है। ईडी ने कहा कि शिवकुमार के खिलाफ जाँच के अनुसार, शोधित धन 200 करोड़ रुपए से अधिक है और करीब 800 करोड़ रुपए मूल्य की बेनामी संपत्ति है।
यह नोटिस देश में नागरिक व सामाजिक गतिविधियों के लिए 51.72 करोड़ रुपए की उधारी और ऋण से संबंधित है। इसमें एनमेस्टी पर आरोप है कि उसने अपने मूल निकाय एमनेस्टी इंटरनेशनल (ब्रिटेन) से सेवा निर्यात के नाम पर यह राशि हासिल की और...
प्रवर्तन निदेशालय ने यह कार्रवाई 'Prevention of Money Laundering Act (PMLA)' के तहत की है। लगातार 4 दिनों तक चली मैराथन पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ़्तार किया है।
2017 में एक छापेमारी के दौरान डीके शिवकुमार की सम्पत्तियों में गड़बड़ी मिली थी, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ जाँच की जा रही है। शिवकुमार के साथ-साथ चार अन्य को भी इस मामले में पूछताछ के लिए ED से नोटिस मिला है, जिसे रद्द कराने का अनुरोध लेकर वह......
ED की हिरासत से बचने के लिए चिदंबरम किस कदर व्यग्र हैं, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने खुद ही सोमवार तक सीबीआई की हिरासत में रहने की पेशकश कर डाली।
चिदंबरम और इस मामले के सह-आरोपितों की 12 देशों में सम्पत्ति है। इन देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड, फ्रांस, ग्रीस, मलेशिया, मोनाको, फिलीपींस, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका, स्पेन और श्री लंका शामिल है।
चिदंबरम के परिवार का और कानूनी विवादों का रिश्ता नया नहीं है। चिदंबरम के अलावा उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ भी ये आरोप हैं कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ संभावित जाँच को रुकवाने के लिए 10 लाख डॉलर की माँग की थी। इस मामले में कार्ति चिदंबरम को बीते साल 28 फरवरी को गिरफ्तार भी किया गया था।
CBI तथा प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पी चिदम्बरम की गिरफ्तारी से राहत माँगने वाली याचिका के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किए हैं। अब कोर्ट कैविएट दायर करने वालों का पक्ष सुने बिना मामले में कोई फैसला नहीं सुना सकता है।