असम में शुक्रवार (दिसंबर 20, 2019) को 10 दिन के बाद इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई। नागरिकता संशोधन कानून के कारण असम में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद सुरक्षा कारणों से इसे निलंबित किया गया था।
कुछ लोग हिंसा भड़का कर नॉर्थ-ईस्ट को जलाना चाहते हैं। हम आपके लिए वो 11 झूठ लेकर आए हैं, जिसका इस्तेमाल कर के CAA को असम सहित अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के ख़िलाफ़ बताया जा रहा है। 11 झूठ और उन सभी को काटता हुआ सच का पुलिंदा। इसे नोट कर लें।
"कॉन्ग्रेस नेता कमरुल इस्लाम हिंसा वाली जगह पर मौजूद था। कॉन्ग्रेस ने अपील की थी कि लोग असम सचिवालय 'जनता भवन' के पास इकट्ठे हों। एक बड़े बुद्धिजीवी ने, जो अकादमिक व्यक्ति भी है, दिल्ली में बैठ कर असम सचिवालय और गुवाहाटी को जलाने की तैयारी की थी। इसमें इस्लामी कट्टरपंथी PFI भी..."
राज्यसभा में अगर नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB, कैब) पास हो जाता है, तो बांग्लादेश से आए 5 लाख से ज्यादा बंगाली हिंदू, जिन्हें एनआरसी की अंतिम सूची में जगह नहीं मिल पाई थी, उन्हें नागरिकता मिल जाएगी।
2011 से 2016 के बीच 107 लोगों ने इस कुप्रथा के चलते अपनी जान गँवाई थी। जबकि इसके बाद भाजपा के शासनकाल में इससे संबंधी आँकड़ों में अच्छी-खासी गिरावट। जून 2016 से लेकर अक्टूबर 2019 तक अंधविश्वास के चलते होने वाली हत्या का आँकड़ा गिरकर 23 पर आ गया।
आईआईटी गुवाहाटी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने हाई कोर्ट में मंदिर के खिलाफ याचिका डाली है। उनका दावा है कि यह 2015 तक सिर्फ़ एक चबूतरा था, जहाँ पीपल के पेड़ के नीचे कुछ मजदूरों ने देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ रख दी थी।
राजपूतों और मराठों की तरह कोई और भी था, जिसने मुगलों को न सिर्फ़ नाकों चने चबवाए बल्कि उन्हें खदेड़ कर भगाया। असम के उन योद्धाओं को राष्ट्रीय पहचान नहीं मिल पाई, जिन्होंने जलयुद्ध का ऐसा नमूना पेश किया कि औरंगज़ेब तक हिल उठा। आइए, चलते हैं पूर्व में।