इस तरह के लोगों का इलाज करने की जरूरत ही क्या है? इन्हें बुरी तरह पीटते हुए विडियो बना कर उसे वायरल कर देना चाहिए। जिससे लोगों में सरकार के प्रति कुछ भरोसा पैदा हो।"
प्रतिदिन 523 दिव्यांगों और 1200 से अधिक दिहाड़ी मज़दूर, जरूरतमंदों के छोटे-छोटे समूहों में दोनों समय का भोजन वितरित किया जा रहा है। संगठन मेडिकल हेल्प भी जरूरतमंदों तक पहुँचाने का काम कर रहा है।
आरफा की मानें तो नर्सें झूठ बोल रही हैं और प्रोपेगेंडा में शामिल हैं। तबलीगी जमात वाले नीच हरकत कर ही नहीं सकते, क्योंकि वे नि:स्वार्थ भाव से मजहब की सेवा कर रहे हैं। इसके लिए दुनियादारी, यहॉं तक कि अपने परिवार से भी दूर रहते हैं।
प्रार्थना पुरुषार्थ का स्थगन नहीं है और यही वजह है कि प्रार्थना में कुछ भी अवैज्ञानिक नहीं है। Covid-19 को रोकने के सभी प्रयास हमारी शुभकामनाओं से बल पाएँगे और हमें निर्धारित निर्देशों का पालन करने की प्रेरणा देंगे। दवा हमारे शरीर की और दुआ हमारे मन की इम्यूनिटी को बढ़ाती है।
"भारत में लॉकडाउन को उस समय पूरी तरह से लागू कर दिया गया था, जब भारत में बहुत कम कोरोना के मामले सामने आए थे। इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि निश्चित तौर पर यह भारत सरकार का दूरगामी फैसला था। यही कारण है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में यह महामारी तेजी से नहीं फैल सकी। सरकार का यह एक साहसिक फैसला है।"
कई लोग मीडिया पर आरोप लगा रहे थे कि जब किसी हिन्दू धार्मिक स्थल में श्रद्धालु होते हैं तो उन्हें 'फँसा हुआ' बताया जाता है जबकि मस्जिद के मामले में 'छिपा हुआ' कहा जाता है। इसके बाद फेक न्यूज़ का दौर शुरू हुआ, जिसे अली सोहराब जैसों ने हज़ारों तक फैलाया।
जमात ने पिछले तीन सालों में कितना टैक्स भरा है, उसके बैंक खातों में कहाँ-कहाँ से कितने पैसे आए हैं, इसका विवरण माँगा गया है। इसके अलावा उन विदेशियों और भारतीय जमातियों की लिस्ट भी माँगी गई है, जिन्होंने 12 मार्च के बाद आयोजनों में शिरकत की थी।
"मेरे पिता में दो हफ्ते पहले कोरोना संक्रमण पाया गया। 1 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। अगले दिन उन्हें जला दिया गया। उनका शव पुलिस की देखरेख में एक गाड़ी में ले जाया गया जहाँ उन्हें जलाया गया। हम उनका जनाजा नहीं निकाल पाए।"
कासरगोड जिले के मडिक्की गाँव की अरई जुमा-मस्जिद में इमाम लॉकडाउन के बावजूद लोगों को नमाज पढ़वा रहा था। जिसकी सूचना मिलने पर नीलेश्वरम पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मस्जिद के इमाम व एक अन्य को गिरफ्तार कर लिया। जिला कलेक्टर ने आईपीसी की धारा 269 के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
आरोपित जमाती मसूरी के रहने वाले हैं। ये मरकज में भी मौजूद थे। जाँच से पता चला है कि ये नर्सों को देख अश्लील इशारे करते थे और हँसते थे। समझाने की कोशिश भी की गई लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद नर्सों ने सीएमओ से शिकायत की।