राजनीति में प्रतीकों के गहरे मायने होते हैं। केजरीवाल ने शपथ लेते वक्त संदेश दे दिया है कि चुनाव के दौरान पैदा हुई हनुमान भक्ति फिलहाल चलती रहेगी। तब तक आप की टोपी की जिम्मेदारी नन्हे अव्यान तोमर के सिर पर होगी।
"ये नई तरह की दिल्ली है जहाँ बिजली मुफ़्त, पानी मुफ़्त, आना मुफ़्त, जाना मुफ़्त... बीमार हुए तो एक करोड़ का इलाज भी मुफ़्त... मोर को नाचते देखकर लगा अगर मुफ़्त योजना अंग्रेज़ लाते तो ये मोर कभी आज़ाद नहीं होना चाहता।"
"कुछ राज्यों में सफलता नहीं मिली लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भाजपा से लोगों का विश्वास उठा है। महाराष्ट्र में हम चुनाव जीते हैं। हरियाणा में केवल 6 सीटें कम हुईं हैं। झारखंड में हम चुनाव हारे और दिल्ली में पहले से हारे हुए थे, बावजूद इसके सीट और वोट पर्सेंट बढ़ा है।"
क्या दिल्ली में मुफ्त की बिजली पाने वाले उस दर्द को महसूस कर सकते हैं, जो अपने खेत-खलिहान को आँखों के सामने डूबते देखने में होता है? वह दर्द जो अपने बाप-दादाओं के पुश्तैनी घर और अपने आम के बगीचों को डूबते देखने में होता है?
गुप्त सूत्र बताते हैं कि दिल्ली चुनाव से पहले ही कॉन्ग्रेस आलाकमान ने उच्चस्तरीय बैठक में सभी उम्मीदवारों को जमानत जब्त करवाने के निर्देश दिए थे। नतीजों के बाद जो तीन उम्मीदवार ऐसा नहीं कर पाए हैं अब वे पार्टी भी अपने भविष्य को लेकर सशंकित हैं।
दिल्ली चुनाव परिणामोंं में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बीजेपी की करारी हार में भी उसकी एक बड़ी जीत छिपी हुई है। ऐसा इसलिए कि इस 70 विधानसभा सीटों में से 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। वहीं इसमें गौर करने वाली बात यह कि बीजेपी का इस बार करीब 63 सीटों पर वोट शेयर बढ़ा है।
दिल्ली के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम कैसे रहे, ये जानने के लिए आपको 18वें से लेकर 23वें राउंड तक की मतगणना पर एक नज़र डालनी होगी। इन 5 राउंड्स में, मुस्लिम ध्रुवीकरण का सबसे बड़ा खेल देखने को मिला। दिल्ली चुनाव AAP ने विकास के बल पर जीता, ये नैरेटिव एकदम गलत साबित होता है।
ADR की रिपोर्ट में बताया गया है कि चुने गए MLA में से सबसे अधिक संपत्ति वाले तीनों AAP के ही MLA हैं। जबकि 70 में से 43 MLA के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं और 37, यानि लगभग 53% MLA ऐसे हैं, जिनके खिलाफ खतरनाक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
"2013 में जब हम हारे तो कॉन्ग्रेस को दिल्ली में 24.55 फीसदी वोट मिले थे। शीला जी 2015 के चुनाव में शामिल नहीं थीं, जब हमारा वोट प्रतिशत गिरकर 9.7 फीसदी हो गया। 2019 में जब शीला जी ने फिर से कमान संभाली तो कॉन्ग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़कर 22.46 फीसदी हो गया।"
आज जब दिवगंत शीला दीक्षित के मत्थे हार का दोष मढने की कोशिश हो रही यह जानना जरूरी है कि इस बार दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए सोनिया गॉंधी ने हर उस शख्स को गले लगाया था जिससे पूर्व मुख्यमंत्री के मतभेद थे, जो उनसे कभी बदला लेना चाहते थे।