बंगाल में हाल ही में पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है, जिसमें ममता बनर्जी के नेतृत्व में हुए सिंगुर आंदोलन के अलावा उनके द्वारा किए गए अन्य आन्दोलनों को जगह दी गई है। कई ऐसी पुस्तकों के सामने आने की ख़बर है, जिसमें भारतीय विभूतियों को ग़लत तरीके से पेश किया गया है।
पिछले 22 दिनों से पिथौरागढ़ महाविद्यालय के छात्र पुस्तकों और शिक्षकों के लिए सड़क पर हैं। पोस्टर और बैनरों की मदद से अपनी बातें पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं। आम लोगों के जेहन में ये बात पहुँचाने की कोशिश की जा रही है कि एक आवाज बनकर ही बदलाव लाया जा सकता है।
त्रिपुरा में फ़िलहाल 4,389 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं। नाथ ने कहा कि राज्य सरकार के अधीन आने वाले 147 स्कूलों ऐसे हैं जिनमें अधिकतम 10 बच्चे पढ़ते हैं। बाकी 13 बंद पड़े हैं क्योंकि उनमें एक भी बच्चा नहीं पढ़ता।
दलित समुदाय से आने वाली भूगोल की प्रोफेसर सरस्वती केरकेटा ने आरोप लगाया कि छात्रों व कर्मचारियों के एक वर्ग ने उनकी जातीय पृष्ठभूमि को लेकर अपशब्द कहे थे और क्लास में जानबूझ कर बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी थी।
वक़्फ़ परिषद की इस बैठक में केंद्रीय मंत्री नक़वी ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत वक़्फ़ की प्रॉपर्टी पर कॉलेज, अस्पताल आदि बनवाने के लिए 100 फ़ीसदी फंडिंग की जाएगी।
"मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है... साथ ही वहाँ अंग्रेज़ी, हिन्दी तथा गणित भी पढ़ाया जाता है। मदरसों को हमेशा मिड-डे मील से महरूम रखा गया है। सरकार को इस बात का ऐलान करना चाहिए कि..."
अजय बहादुर सिंह की कहानी भी जानने लायक है। उनके पिता इंजिनियर थे और उनकी इच्छा थी कि बेटा डॉक्टर बने। इसके लिए अजय जी-जान से जुट कर तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन, अचानक से घर में विपत्ति आन पड़ी। अजय को चाय बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन अपने सपने को नहीं मारे वो और...
“चेन्नै में जिन स्टूडेंट्स के सिलेबस में हिन्दी है वे इन परीक्षाओं के ज़रिए हिन्दी सीखने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं। फ़रवरी में आयोजित परीक्षा में 30000 से ज़्यादा परीक्षार्थी बैठते हैं वहीं जुलाई में होने वाली परीक्षा में 10000 परीक्षार्थी शामिल होते हैं।"
जो विद्यार्थी गलत तरीके से पैसे देकर शिक्षक की नौकरी पा भी लें तो वे क्या पढ़ाएँगे और क्या नीति की बातें सिखाएँगे? बात सिर्फ शिक्षकों की नहीं है। धाँधली करके प्राप्त की गई किसी भी नौकरी के किसी भी पर पहुँचा अधिकारी क्या उस पद के साथ ईमानदार रह पाएगा? क्या वह आगे भी रिश्वतखोरी नहीं करेगा?