बीबीसी की इस दर्दभरी हेडलाइन के भीतर जाने पर पता चलता है कि यह लेख सिर्फ और सिर्फ फेक न्यूज़ और भ्रामक तथ्य फैलाने की स्वीकृति माँगने के अलावा और ज्यादा कुछ नहीं कहती है।
मीडिया के कई प्रमुख स्रोतों ने इस खबर को स्पष्ट तौर पर यह साबित करने का प्रयास किया है कि अमरोहा में एक दलित को मंदिर में जाने के कारण गोली से मार दिया गया।
ऑल्टन्यूज़ अभी भी अपने इस दावे पर खड़ा है कि इसमें मुस्लिम नजरिए जैसी कोई बात नहीं थी और यह मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए गढ़ी गई, साथ ही यह भी रिपोर्ट को 'डेवलपिंग स्टोरी' बताते हुए खत्म किया है।
पत्रकारिता छोड़कर ऑल्टन्यूज को कोचिंग संस्थान चलाने के धंधे में भी आने के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि सात दिनों के परिश्रम से जब इस तरह के परिणाम मिल सकते हैं तो ये लोग न्यूज एजेंसी की तर्ज पर 'समुदाय विशेष पीड़ित कोचिंग संस्थान' शुरू कर सकते हैं।
पीआईबी ने CNN न्यूज 18 के पत्रकार रुनझुन शर्मा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि एम्स के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को दिए गए उपकरणों की गुणवत्ता स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करती है। जिनका मूल्यांकन स्वयं एम्स समिति द्वारा प्रमाणित किया गया है।