अपनी ग़लती मानने के बजाय कि कुणाल ने हद पार कर दी। फेक इमेज का इस्तेमाल कर अपने मंतव्यों को हँसी-ठिठोली का नाम दिया । कामरा के लिए स्टॉक एक्सचेंज का मजाक उड़ाना किसी मनोरंजन से कम नहीं है।
क्या यह फ़ेक न्यूज़ फ़ैलाने के साथ-साथ धारा 171[G] के अंतर्गत चुनावों को अवैध रूप से (चुनावों के सम्बन्ध में झूठ बोलकर) प्रभावित करने का अपराध नहीं है ?
स्वराज्य की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा की एक ग्राउंड रिपोर्ट में इस घटना से संबंधित एक और रोचक जानकारी सामने आई है क्योंकि लगभग 35 छात्र, जो कथित पीड़िता खानम के सहपाठी भी थे, ने स्पष्ट तथ्यों द्वारा इस घटना पर अपना पक्ष साझा किया।
BSNL ने कहा कि BSNL इस तरह की किसी भी खबर से इनकार करता है। CMD ने यह तब कहा जब मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि BSNL 54,000 कर्मचारियों को हटाने का प्लान बना रहा है।
सोशल मीडिया पर अक्सर हम देखते हैं कि मोटिवेशनल कोट्स और पंक्तियों को किसी भी शायर या बड़े लेखक के नाम से 'वायरल' कर दिया जाता है। इस प्रचलन के सबसे बड़े शिकार अब तक सबसे ज्यादा गाँधी, ग़ालिब, रूमी और चाणक्य हुए हैं।
इस खबर के मूल हकीक़त को परखेे बिना इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना दिखाता है कि आजकल सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस प्रकार फेक न्यूज को फैलाने के लिए किया जा रहा है।
इसमें कोई शक नहीं कि अच्छा हास्य-व्यंग्य सच्चाई के इतने करीब होता है कि कई बार दोनों में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी से लोकसभा चुनावों से ठीक पहले ऐसी 'गलती' हो, इसकी संभावना कम है। यह जानबूझकर किया गया मालूम होता है।
झूठ का पर्दाफाश होने के बाद भी ये उम्मीद मत रखिए कि दिल्ली के ठग और #बेगुसरायकाबकैत अपनी बेशर्मी के लिए कोई माफ़ी माँगेंगे। ये वो लोग हैं जो अपने गिरोह के लोगों या खुद की की हुई यौन शोषण, बलात्कार जैसी हरकतों पर भी चुप्पी साधते हैं।