"एक अधिवक्ता काला कोट पहनने के बाद हिन्दू और मुस्लिम नहीं होता है। हिन्दू ही नहीं बल्कि कई मुस्लिम अधिवक्ताओं तक ने 'कुरान बाँटने' के इस फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है और कहा कि इस प्रकार की शर्त कोई न्यायालय कैसे रख सकता है?"
हो सकता है अंजुमन इस्लामिया वालों को ‘फक योर सिस्टर’ का या ‘तेरी माँ मेरी रखैल’ आदि का मतलब मालूम न हो, लेकिन कोर्ट के जजों को तो ज़रूर पता होगा कि इन शब्दों से एक लड़की की ‘मोडेस्टी आउटरेज’ होती है। और यह क़ानूनन जुर्म है।
ऋचा ने कहा, "आज कुरान बाँटने का आदेश दिया गया है, कल को इस्लाम स्वीकार करने या नमाज पढ़ने का आदेश देंगे तो वह कैसे स्वीकार किया जा सकता है। क्या किसी समुदाय विशेष वाले को सजा के तौर पर दुर्गा पाठ करने या हनुमान चालीसा पढ़ने का आदेश कोर्ट ने सुनाया है?"
जब बागपत एसपी से यह पूछा गया कि आखिर इमाम ने बाद में अपनी शिकायत में 'जय श्री राम' वाली बात क्यों जोड़ी, तो उन्होंने कहा कि अपने सहयोगियों के प्रभाव में आने के बाद उसने ऐसा किया। एसपी ने अंदेशा जताया कि उसके मित्रों ने उसे सलाह दी होगी कि जबरन 'जय श्री राम' बुलवाने वाली बात शिकायत में जोड़ देने के बाद मीडिया इस घटना को ज्यादा महत्त्व देगा और इसे फैलाया जाएगा।
लड़की पर एकतरफा कार्रवाई के विरोध में VHP, RSS, बजरंग दल आदि के लोगों का कहना है कि अगर जिस धर्म को लेकर लड़की ने टिप्पणी की है, तो उसी धर्म के लोगों ने प्रतिक्रिया में लड़की के धर्म को लेकर भी बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है। ऐसे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले संप्रदाय-विशेष के लोग बाहर क्यों हैं?
मोदी के जीतते ही ऐसी खबरों में अचानक से इजाफा कैसे हो गया? आखिर आधी खबरें झूठी क्यों साबित हो रही हैं? दर्जन भर मंदिर तोड़े गए, मूर्तियाँ विखंडित हुईं, और हर बार आरोपित या तो 'शांतिप्रिय' है, या अज्ञात।
ADG कानून व्यस्था उन्नाव ने इस क्रिकेट खेलने को लेकर दो पक्षों में हुई मारपीट की घटना को लेकर बताया कि इस मामले की जाँच में पता चला है कि मदरसे के बच्चों से धार्मिक नारे नहीं लगवाए गए थे। ऐसे झूठे आरोप लगाकर मेरठ और आगरा में भी शांति भंग करने का प्रयास किया गया लेकिन जिला और पुलिस प्रशासन के चलते ये नाकाम हो गए।
फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले मुहम्मद फ़िज़ान ने अपनी एक फोटो फेसबुक पर यह कहते हुए पोस्ट की थी कि वो बीफ का सूप पी रहा है और उसे ये बहुत पसंद आ रहा है। इसी फोटो को लेकर स्थानीय युवकों के साथ फ़िज़ान की बहस हुई और...
"हमारा जुमा है, अगर जुमा तक गिरफ्तारी नहीं हुई तो फिर हम बहुत... जो एक्शन कहीं भी नहीं हुआ होगा, वो होगा। अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि ये माहौल न बिगड़ने दे वरना जुमा है, कुछ भी हो सकता है। "
"मेरे टोपी वाले भाइयों, कब निकलेंगे टोपियाँ पहन-पहनकर सड़क पर। हम 2 दिन सड़क पर उतर आएँ तो हिन्दुस्तान पूरा बंद हो जाए। खाली निकलना है सड़क पर। चालीस करोड़ लोग हैं हम, वैध और अवैध मिलाकर... एक बार निकलना है खाली।"