बरकत ने मीडिया को बताया था कि उसे ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ बोलने के लिए कहा गया। इस पर पुलिस का कहना था कि अगर वास्तव में ऐसा था तो FIR में इसका ज़िक्र क्यों नहीं किया गया?
कथित अल्पसंख्यकों के पीड़ित होने पर बड़े-बड़े अक्षरों में उनके नाम प्रकाशित किए जाते है, लेकिन जब वही घटना बहुसंख्यक समुदाय के साथ होती है, तो हेडलाइन में बस 'दूसरे समुदाय' की बात लिख कर खानापूर्ति...
मारपीट की इस घटना से पूरे क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव का माहौल बना हुआ है। घटनास्थल पर पुलिस के पहुँचने से पहले ही हमलावर वहाँ से भाग गए। सीओ कोतवाली दिनेशचंद्र मिश्रा ने बताया कि मामला दो पक्षों में आपसी विवाद का है।
युवक विष्णु गोस्वामी की मौत की सूचना मिलते ही खोरहंसा गाँव में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। इलाक़े में घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए एहतियातन पुलिस अधिकारी कैम्प कर रहे हैं।
विवाद बढ़ता देख विष्णु गोस्वामी ने पिता को अलग छोड़ दिया और ख़ुद चारों से उलझ गया। इस बीच इमरान, तुफ़ैल, रमजान उर्फ़ मास्टर व निज़ामुद्दीन में से किसी एक ने पास खड़े टैंकर से पेट्रोल निकाला और विष्णु पर डालकर उसे आग के हवाले...
हर आतंकी और उसका संगठन एक ही नारा लेकर निकलता है, काले झंडे पर सफ़ेद रंग से लिखा वाक्य क्या है, सबको पता है। बोल नहीं सकते, वरना 'बिगट' और 'कम्यूनल' होने का ठप्पा तुरंत लग जाएगा। हमने पीढ़ियाँ निकाल दीं कहते हुए कि आतंक का कोई मज़हब नहीं होता।
हिन्दू आज़ादी से अपने त्यौहार मनाएँ, मुस्लिम बिना व्यवधान से नमाज़ पढ़ें, लेकिन दोनों ही मामलों में अगर कोई बाधा डालने वाला कार्य करता है तो दोनों ही ख़बरों को समान प्राथमिकता दी जाए। एक को छिपाना और एक को विश्व स्तर पर ले जाकर भारत को भीड़तंत्र वाला देश साबित करने का प्रोपेगंडा अब नहीं चलेगा।
जानकारी के अनुसार, प्रशासनिक अधिकारियों ने गाँव में रह रहे युवक के परिवार को फ़िलहाल 2 घंटे के भीतर गाँव से निकल जाने का आदेश दिया और 4 अप्रैल तक सामान समेत गाँव छोड़ने को कहा।