प्रशासन का कहना है कि गणेश पूजा के दौरान हुए हादसे के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। लेकिन, कारीगर दुविधा में हैं। अचानक से नया नियम तय किए जाने के बाद उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अब उनकी मूर्तियाँ कौन ख़रीदेगा?
पटनायक ने कहा कि हिंदुत्व यह मानता है कि सीता को क़ैद में रखने के लिए लक्ष्मण रेखा बनाई गई थी जबकि हिंदुइज्म कहता है कि रावण को रोकने के लिए लक्ष्मण रेखा बनाई गई थी। इससे पहले वह लक्ष्मण रेखा को काल्पनिक बता चुके हैं।
हरिजन ने कहा कि लोगों में अंधविश्वास है कि अगर वे देवताओं का अनादर करेंगे तो कुछ बुरा होगा। उसने यही दिखाने के लिए कि कोई भी देवता उसे नुकसान नहीं पहुँचा सकता, उसने शिवलिंग पर पेशाब कर दिया। मगर उसके साथ कुछ भी बुरा नहीं हुआ, वह सामान्य जिंदगी जी रहा है।
सबरीमाला मंदिर बीते दिनों महिलाओं के प्रवेश को लेकर काफी चर्चा में रहा था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के बाद लाखों श्रद्धालु (जिनमें महिलाएँ भी शामिल थीं) सड़क पर उतरे थे। केरल की सरकार ने इस विरोध-प्रदर्शन को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया था।
एसजेटीए ने इन मठों को जगन्नाथ मंदिर की संपत्ति बता कर ढाहना शुरू कर दिया। सरकार का कहना है कि इन मठों के बिल्डिंग सुरक्षित नहीं हैं और इसीलिए इन्हें हटाना ज़रूरी है। लांगुली मठ 300 वर्ष पुराना था। इसे रैपिड एक्शन फाॅर्स और पुलिस की मौजूदगी में ढाह दिया गया। 900 वर्ष पूर्व निर्मित एमार मठ को भी नहीं बख्शा गया।
सोलंकी ने कहा कि प्लेटफॉर्म हिन्दूफोबिया से पीड़ित है। उन्होंने अधिकारियों से माँग की कि नेटफ्लिक्स के प्रतिनिधियों को बुला कर उनसे स्पष्टीकरण माँगा जाए और हिन्दुओं की भावनाएँ आहत करने वाले सारे कंटेंट्स को प्लेटफॉर्म से हटाए जाएँ।
हिन्दू का व्यवसाय धंधा तो मजहब विशीष का कारोबार इबादत कैसे? क्यों असहिष्णुता गणेश चतुर्थी पर ही आती है, मुहर्रम पर नहीं? क्यों कम्पनियॉं मानती हैं कि जूते खाकर भी आप उनका ही प्रोडक्ट खरीदेंगे। जवाब है, हिन्दू आज अपनी ही संस्कृति, दर्शन और इतिहास का मज़ाक बनाने वालों के पोषक बने हुए हैं।
हिन्दुओं को इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो कौन-सा मांस खा रहे हैं। जिन्हें फर्क पड़ा, तो उन्हें 'बिगट', 'कम्यूनल', 'असहिष्णु' और पता नहीं क्या-क्या कह दिया गया। क्योंकि बहुसंख्यकों का न तो कोई धर्म है, न उनकी भावना आहत होती है।