Monday, November 18, 2024

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History

मुगलों को धूल चटा दिल्ली में भगवा लहराने वाले सिंधिया, दिग्विजय के ‘गद्दार’ पूर्वज को सबक सिखाने वाले सिंधिया

इतिहास का यह पन्ना सन् 57 से भी पुराना है। तब सम्पूर्ण भारतवर्ष में मराठा शासन का प्रभाव चरम पर था। मुगलों से अपने तलवे चटवाने वाला एक सिंधिया भी था। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पूर्वजों की बगावत को कुचलने वाला भी सिंधिया ही था।

अफजल को मारा, शाहिस्ता को हराया और औरंगज़ेब को नाकों चने चबवाया: छत्रपति शिवाजी के प्रमुख युद्ध

1659 में आदिलशाह ने छत्रपति शिवाजी के साम्राज्य को नष्ट करने के लिए 75000 सैनिकों की सेना के साथ अफ़ज़ल खान को भेजा। छत्रपति शिवाजी ने कूटनीतिक तरीके से अफजल खान को मार डाला। फिर उन्होंने आदिलशाही सल्तनत पर बड़े हमले शुरू करने के लिए अपने सैनिकों को संकेत दिया।

वो शिवा जिसने शिवाजी की जान बचाने के लिए ख़ुद का बलिदान दिया: जब 300 मराठों ने 1 लाख की फ़ौज को हराया

छत्रपति शिवाजी ने आधी रात को 300 सैनिकों के साथ हमला किया। उस वक्त लालमहल में शाहिस्ता खान के लिए 1,00,000 सैनिकों की कड़ी सुरक्षा थी। इस हमले से छत्रपति ने दुनिया को कमांडो ऑपरेशन की तकनीक दिखाई।

‘शेर-ए-पंजाब’ जो कोहिनूर अपनी बाँह पर पहनते थे चुने गए दुनिया के सर्वकालिक महान नेता

सर्वेक्षण में पाँच हजार से अधिक पाठकों ने हिस्सा लिया। 38% से ज्यादा मत पाने वाले रणजीत सिंह की सहिष्णु साम्राज्य बनाने के लिए प्रशंसा की गई। दूसरे स्थान पर अफ्रीकी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी अमिलकार काबराल रहे।

2000 साल पुराने मंदिर के परिसर को उलूग खान ने किया था खंडित, खुदाई में मिले लैंप और मूर्तियाँ

पिछले साल भूवैज्ञानिकों द्वारा यहाँ बाढ़ तलछट परतों के ज्ञान के साथ निर्देशित साइट पर हुई खुदाई के दौरान उलूग खान का नाम चर्चा में आया। इसके अलावा इस खुदाई से ये भी पता चला कि आखिर उस समय मंदिर के परिसर से क्या-क्या गायब हुआ था।

तब ब्रिटिश थे, अब कॉन्ग्रेस है: बंगाल विभाजन से दिल्ली दंगों तक यूँ समझें ‘मजहब’ वालों का किरदार

कॉन्ग्रेस जैसे राजनैतिक दल पहले समुदाय विशेष को भड़काते हैं, फिर तुष्टिकरण को सत्ता का जरिया बनाते हैं। इसके बाद मुस्लिम नेता ऐसे मौके का नाजायज ‘फायदा’ उठाने के लिए पहले अलग संविधान, फिर अलग देश की माँग करने लगते हैं।

बालाकोट में 189 साल पहले भी हुआ था एक ऑपरेशन, तब हूरों के चक्कर में मारे गए थे 300 जेहादी

बीते साल भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इस घटना से करीब 189 साल पहले भी बालाकोट में रणजीत सिंह की सेना ने जिहादियों का ऐसे ही सफाया किया था।

वीर सावरकर: वह लेखक, जिसकी किताब बेच बंदूकें खरीदते थे आज़ादी के परवाने

वह सावरकर ही थे जिन्होंने पहले मराठी और फिर अंग्रेजी में प्रकाशित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’/The Indian War of Independence के ज़रिए इस लड़ाई के असली रूप को जनचेतना में पुनर्जीवित किया।

भारत ने ब्रिटेन से वापस माँगी तमिलनाडु के मन्दिर से चोरी की हुई 15वीं शताब्दी की कांस्य प्रतिमा

संत तिरुमानकई अलवार की 15वीं शताब्दी की यह कांस्य प्रतिमा वर्ष 1967 के साउथबेई की नीलामी में नीलाम की गई और इस तरह आखिरकार यह प्रतिमा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एश्मोलीन संग्रहालय पहुँची।

शिवाजी की तलवार का इंग्लैंड कनेक्शन: सिर्फ 2000 सैनिकों से साम्राज्य खड़ा करने की कहानी

शिवाजी महाराज की तलवार पर 10 हीरे जड़े हुए थे, जो इस वक्त लंदन में हैं। उनकी तलवार प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड सप्तम को नवंबर 1875 में उनकी भारत यात्रा के दौरान कोल्हापुर के महाराज ने उपहार स्वरूप भेंट की थी। लेकिन कभी भी इस तलवार को वापस लाने के कोशिश नहीं की गई।

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