कमलनाथ ने भी राज्यपाल टंडन को पत्र लिखा था, जिस पर राज्यपाल ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें लिखे गए पत्र की भाषा अशोभनीय है और संसदीय मर्यादा के अनुरूप नहीं है।
MP में कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या 230 है। इनमें से 2 विधायकों की मृत्यु हो चुकी है। यानी वर्तमान संख्या 228 है। कॉन्ग्रेस में हुई बगावत के पहले पार्टी के पास थे 114 विधायक, भाजपा के पास थे 107, सपा के एक , बसपा के दो और निर्दलीय विधायक थे कुल चार। अब इसमें से अगर उन 22 कॉन्ग्रेसी विधायकों को निकाल दिया जाए, जिन्होंने अपने इस्तीफे...
सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर फ्लोर टेस्ट रोकने की माँग की थी। पत्र में उन्होंने कहा था कि वर्तमान परिस्थिति में फ्लोर टेस्ट कराना अलोकतांत्रिक होगा। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने कॉन्ग्रेस के कई विधायकों को कर्नाटक में बंदी बना लिया है। ऐसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट कराना अलोकतांत्रिक है।
सोमवार को कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। लेकिन, इतना तय है कि यदि मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार गई तो उसका असर राजस्थान जैसे दूसरों राज्यों पर भी पड़ेगा। गुजरात, झारखंड और छत्तीसगढ़ के भी कॉन्ग्रेस विधायकों में असंतोष है।
सियासी घमासान के बीच कमलनाथ सरकार ने कर्मचारियों का महँगाई भत्ता बढ़ा दिया है। कर्मचारियों का महँगाई भत्ता जुलाई 2019 से बढ़ाया गया है। आदिवासी नेता रामू टेकाम और राशिद सोहेल सिद्दकी को मध्य प्रदेश राज्य लोकसेवा आयोग का सदस्य बनाया है।
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने देवी की शरण में जाकर उन्हें अनुष्ठान करके मनाने की कोशिश की। उन्होंने आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में विशेष किस्म का 'शत्रु विनाशक हवन' किया।
कॉन्ग्रेस ख़ुद अपनी सरकार बचाने को लेकर आश्वस्त नहीं, उसे पता है कि सदन में वो अल्पमत में है। तभी विधायकों को अपनी पार्टी के साथ बाँध रखने में अक्षम CM कमलनाथ को गृहमंत्री अमित शाह को लंबा-चौड़ा 4 पेज का लेटर लिखना पड़ गया।
इन बर्खास्त किए गए मंत्रियों में इमरती देवी, तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युमन सिंह तोमर और डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं।
इस्तीफा देने वाले कॉन्ग्रेस विधायकों में से 6 आज स्पीकर से मिलेंगे। स्पीकर ने इन विधायकों से मिलकर इस्तीफे की सत्यता बताने को कहा था। 6 विधायकों को आज, 7 को शनिवार और बाकी 9 विधायकों को रविवार को उपस्थित होना है।
सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद ईओडब्ल्यू ने जमीन घोटाले की फिर से जाँच शुरू की है। 10 हजार करोड़ रुपए के इस मामले की पहली बार जॉंच शिवराज सरकार के जमाने में हुई थी। सबूत न मिलने पर फाइल बंद कर दी गई थी।