गिरफ्तार दोनों आतंकवादी भाई हैं। आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का प्रमुख अब्दुल सुभान कुरैशी इनका जीजा है। कुरैशी 2018 से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की हिरासत में है।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर कॉन्ग्रेस के दबाव और कर्नाटक विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से दुविधा में शिवसेना। उप मुख्यमंत्री और महकमों को लेकर जारी खींचतान से पिंड छुड़ाने के लिए क्या फिर भाजपा के पास लौटेंगे उद्धव ठाकरे?
महाराष्ट्र में राजनीतिक रस्साकशी के दौर में शिवसेना सांसद संजय राउत का शायराना अंदाज आपने खूब देखा होगा। सोशल मीडिया में शेरो-शायरी के इस कीड़े ने उनके नए साथी एनसीपी की मुंबई इकाई के अध्यक्ष नवाब मलिक को भी काट लिया है। गौर फरमाइए,
कर्नाटक में भाजपा को 6 सीटें चाहिए थीं लेकिन पार्टी 12 जीत रही है। शाह शायद अब डबल का आँकड़ा लेकर चल रहे हैं। डीके शिवकुमार नए 'चाणक्य' बनते-बनते रह गए। कुमारस्वामी और देवगौड़ा तो रो कर दर्द कम कर लेंगे, मुंबई की तिकड़ी का क्या होगा अब? मोदी ने जवाब दे दिया है।
इन प्रदर्शनों में सरकारी अधिकारियों और पुलिसबलों पर हमले किए गए थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई आन्दोलनों में हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ चल रहे मामले वापस लिए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने इन सभी केसों की डिटेल्स मँगाई है।
प्रियदर्शिनी पार्क को पक्षियों की 70 प्रजातियों के अलावा तितलियों की 40 प्रजातियों ने अपना बसेरा बनाया हुआ है। इसके अतिरिक्त यहाँ कई रेप्टाइल्स और छोटे जानवर भी रहते हैं। 3 एकड़ में बनने वाले मेमोरियल के निर्माण में कुल 61 करोड़ रुपए ख़र्च आएँगे।
ACB ने हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि जॉंच में अजित पवार की संलिप्तता के प्रमाण नहीं मिले हैं। क्रियान्वयन एजेंसी की गड़बड़ियों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
कुल 90 सीटों में से कॉन्ग्रेस-शिवसेना के 59 पार्षद थे। वहीं, बीजेपी समर्थित कोणार्क विकास अघाड़ी के पास केवल 31 पार्षद थे। लेकिन, जब अंतिम परिणाम आया तो कॉन्ग्रेस के 47 में से 18 पार्षदों ने बीजेपी के पक्ष में मतदान किया और कोणार्क विकास अघाड़ी की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल 49 वोटों के साथ मेयर चुनी गईं।
तीनों ही पार्टियाँ गृह, वित्त, हाउसिंग, राजस्व जैसे विभागों पर नज़रें गड़ाए बैठे हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, काली कमाई और बंदरबाँट का भरपूर 'स्कोप' है। सरकार अभी 6 मंत्रियों को ही जब विभाग नहीं बाँट पा रही है, तो ज़ाहिर सी बात है मंत्रिमंडल विस्तार कर बाकी पद भरना तो और बड़ी चुनौती होगी।
विपक्षी दलों को दिक्कत बुलेट ट्रेन से नहीं है। उनका विरोध राजनीतिक ओछेपन के अलावा कुछ नहीं है। उनको दिक्कत इस बात से है कि यदि यह परियोजना समय पर पूरी हो जाएगी तो इसका श्रेय नरेंद्र मोदी को जाएगा।