सुनवाई के दौरान कॉन्ग्रेस नेता सिंघवी ने पूछा कि मात्र 42-43 विधायकों के समर्थन से अजित पवार उप-मुख्यमंत्री कैसे बन सकते हैं? जबकि एनसीपी दावा कर रही है कि उसके 54 में से 49 विधायक वापस लौट आए हैं।
“सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग और पुलिस भाजपा के चार मुख्य पार्टी कार्यकर्ता हैं। वर्तमान गवर्नर भी उनके कार्यकर्ता हैं, लेकिन भाजपा अब अपने ही खेल में फँस गई है। यह उनके अंत की शुरुआत है।”
"मैं सुरक्षित हूँ। मैं एनसीपी के निशान पर चुनाव जीतकर आया हूँ, इसलिए पार्टी बदलने का कोई सवाल ही नहीं है। शरद पवार और अजित पवार जो भी फ़ैसला लेंगे मैं उसके साथ हूँ। किसी भी अफ़वाह पर विश्वास न करें।”
कॉन्ग्रेस नेता ने महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर ताबड़तोड़ ट्वीट किए। मौजूदा हालात को ठाकरे परिवार के प्रतिष्ठा का सवाल बताते हुए उन्हें सड़क पर उतरने की नसीहत दी।
कॉन्ग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश की। सिब्बल ने कोर्ट से कर्नाटक की तर्ज पर 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण कराने का आदेश देने की माँग की।
“सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्देश देगा, हम उसका पालन करेंगे। राज्यपाल ने हमें 30 नवंबर तक का समय दिया है, हम 170 विधायकों या उससे अधिक के साथ बहुमत साबित करेंगे।”
छोटे दलों और निर्दलीयों को लेकर कोई भी दल पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। मसलन, भारतीय शेतकारी कामगार पार्टी ने चुनाव कॉन्ग्रेस-एनसीपी गठबंधन के साथ लड़ा था। लेकिन, उसके इकलौते विधायक श्यामसुंदर शिंदे बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।
ज़हीर सैयद महाराष्ट्र के गढ़चंदूर स्थित महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं। उनका दावा है कि राजनीतिक घटनाक्रम से वे ‘सदमे’ में हैं और बीमार हो गए हैं। हालॉंकि छुट्टी की उनकी अर्जी नामंजूर की दी गई है।
न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ मामले की सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल हैं। वे 2018 में कर्नाटक राजनीतिक संकट के दौरान फ्लोर टेस्ट का आदेश देने वाली तीन-सदस्यीय पीठ के भी सदस्य रहे हैं।
शिवसेना के नेता मिलिंद नार्वेकर और एकनाथ शिंदे दो एनसीपी विधायकों संजय बंसोड और बालासाहब पाटिल को मुंबई एयरपोर्ट से लेकर आए। कहा जा रहा है कि ये दोनों अजित पवार गुट के विधायक हैं।