वैसे तो पश्चिम बंगाल हमेशा से राजनैतिक हिंसा और हत्याओं के कारण खबरों में रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल विशेष रूप से भाजपा के खिलाफ गंभीर राजनीतिक हिंसा के लिए जाना गया।
इस घोटाले से जुड़े एक टीवी चैनल को 6.21 करोड़ रुपए दिए गए थे, जिस पर कार्रवाई चल रही है। इसी तरह तृणमुल कॉन्ग्रेस द्वारा संचालित समाचारपत्र ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बनाई गई पेंटिंग को 6.5 करोड़ रुपए में बेची। इस पर भी सीबीआई की नज़र है।
एशियन रिव्यू ऑफ बुक्स ने इस पुस्तक के लिए लिखा है, ’’राजनीतिक प्रवंचना के प्रशंसक इस व्यंग्यपूर्ण कथा को सराहेंगे, जो पश्चिम बंगाल के शासक वर्गों में फैले कपटाचरण, मीडियाई जोड़तोड़ और हत्याओं के किस्से बयां करती है।’’
अपूर्बा चक्रबर्ती कल रात इस्लामपुर के गुलशन इलाके में अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ एक शादी समारोह में गए थे। इसके बाद जब वो लगभग 10 बजे शादी से वापस घर जा रहे थे, तो संदिग्ध TMC गुंडों ने सड़क पर उनके साथ मारपीट की।
प्रिंसिपल ने बताया कि इस इलाके में कम उम्र में विवाह करने का चलन है। चूँकि पुरुष काम के लिए अधिकतर समय बाहर रहते हैं, ऐसे में माताएँ ही लड़कियों की देखभाल करती हैं। इसलिए वो अपनी बेटियों की जल्द शादी...
मतुआ समुदाय की मार्गदर्शिका वीणापाणि देवी ठाकुर के निधन के साथ ही बंगाल का चुनावी गणित बदलता नज़र आ रहा है। एक पत्र में उन्होंने नागरिकता विधेयक को लेकर ममता बनर्जी की आलोचना की थी। 1.5 करोड़ की जनसंख्या वाला मतुआ समुदाय वैष्णव सम्प्रदाय का हिस्सा है।
ममता द्वारा पूछे गए इस वाहियात प्रश्न पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि बनर्जी की टिप्पणी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। "जहाँ एक तरफ पूरा देश बदला लेने के लिए कह रहा है कि वहाँ पाकिस्तान पर भारत द्वारा किए गए हमलों का सबूत माँगा जा रहा है।
“पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के डर से अधिकारी इतने विवश हैं कि किसी को प्रतिनियुक्ति पर भी जाने की अनुमति नहीं है। यहाँ बंगाल में एक ख़ौफ़ की स्थिति है।”
CBI और पश्चिम बंगाल पुलिस के बीच विवाद में यह एक नया मोड़ आया है जो जाँच एजेंसी और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच दरार को स्पष्ट करता है। हाल ही में, सीबीआई ने कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से शारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में पूछताछ की थी।
फ़िल्म निर्देशक अनिक दत्ता ने कहा कि सिनेमाघरों से फ़िल्म हटाने के संबंध में उन्हें किसी भी तरह की कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई, सभी (हॉल मालिकों) ने उनसे कहा कि निर्देश उच्च अधिकारियों के द्वारा दिए गए थे।